By गाँव कनेक्शन
पद्म पुरस्कार यानी पद्म विभूषण, पद्म भूषण और पद्म श्री, देश के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कारों में से हैं; 1954 से हर साल गणतंत्र दिवस के मौके पर इनकी घोषणा की जाती है।
पद्म पुरस्कार यानी पद्म विभूषण, पद्म भूषण और पद्म श्री, देश के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कारों में से हैं; 1954 से हर साल गणतंत्र दिवस के मौके पर इनकी घोषणा की जाती है।
By गाँव कनेक्शन
पद्म (पद्म विभूषण, पद्म भूषण और पद्मश्री) पुरस्कारों की घोषणा हर साल गणतंत्र दिवस के अवसर पर की जाती है।
पद्म (पद्म विभूषण, पद्म भूषण और पद्मश्री) पुरस्कारों की घोषणा हर साल गणतंत्र दिवस के अवसर पर की जाती है।
By गाँव कनेक्शन
1954 में स्थापित किए गए पद्म (पद्म विभूषण, पद्म भूषण और पद्मश्री) पुरस्कारों की घोषणा प्रत्येक वर्ष गणतंत्र दिवस के अवसर पर की जाती है।
1954 में स्थापित किए गए पद्म (पद्म विभूषण, पद्म भूषण और पद्मश्री) पुरस्कारों की घोषणा प्रत्येक वर्ष गणतंत्र दिवस के अवसर पर की जाती है।
By गाँव कनेक्शन
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने 8 नवंबर को जिन विशेष लोगों को पद्म अवॉर्ड से नवाजा उनमें संतरा बेचने वाले हरेकल हाजज्ब भी हैं, जिन्होंने संतरे बेचकर जो पैसे कमाए उससे गांव में स्कूल खुलवाया। जानिए किन 145 लोगों को मिला है पुरस्कार
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने 8 नवंबर को जिन विशेष लोगों को पद्म अवॉर्ड से नवाजा उनमें संतरा बेचने वाले हरेकल हाजज्ब भी हैं, जिन्होंने संतरे बेचकर जो पैसे कमाए उससे गांव में स्कूल खुलवाया। जानिए किन 145 लोगों को मिला है पुरस्कार
By गाँव कनेक्शन
पद्म (पद्म विभूषण, पद्म भूषण और पद्मश्री) पुरस्कारों की घोषणा हर साल गणतंत्र दिवस के अवसर पर की जाती है।
पद्म (पद्म विभूषण, पद्म भूषण और पद्मश्री) पुरस्कारों की घोषणा हर साल गणतंत्र दिवस के अवसर पर की जाती है।
By गाँव कनेक्शन
छुटनी महतो खुद भी डायन-बिसाही का शिकार हो चुकी हैं। वो तो बच गईं लेकिन उसके बाद उन्होंने दूसरी महिलाओं को इससे बचाने की ठान ली। उन्होंने अब तक डायन-बिसाही के शिकार 125 से अधिक महिलाओं को बचाया है। NCRB के आंकड़ों के अनुसार साल 2016 और साल 2019 के बीच झारखंड में अंधविश्वास से संबंधित डायन-बिसाही के मामलों में 79 लोगों की मौत हुई है।
छुटनी महतो खुद भी डायन-बिसाही का शिकार हो चुकी हैं। वो तो बच गईं लेकिन उसके बाद उन्होंने दूसरी महिलाओं को इससे बचाने की ठान ली। उन्होंने अब तक डायन-बिसाही के शिकार 125 से अधिक महिलाओं को बचाया है। NCRB के आंकड़ों के अनुसार साल 2016 और साल 2019 के बीच झारखंड में अंधविश्वास से संबंधित डायन-बिसाही के मामलों में 79 लोगों की मौत हुई है।
By Vivek Gupta
पंजाब की लोक संस्कृति में बड़ी पहचान रखने वालीं गुरमीत बावा को उनके निधन के दो महीने बाद मरणोपरांत 26 जनवरी को पद्म भूषण सम्मान देने की घोषणा हुई। कई परेशानियों के बावजूद, प्रशंसित पंजाबी लोक गायिका ने एक कठिन रास्ते पर जाना चुना और अपने गायन के माध्यम से पंजाबी लोककथाओं को पुनर्जीवित किया।
पंजाब की लोक संस्कृति में बड़ी पहचान रखने वालीं गुरमीत बावा को उनके निधन के दो महीने बाद मरणोपरांत 26 जनवरी को पद्म भूषण सम्मान देने की घोषणा हुई। कई परेशानियों के बावजूद, प्रशंसित पंजाबी लोक गायिका ने एक कठिन रास्ते पर जाना चुना और अपने गायन के माध्यम से पंजाबी लोककथाओं को पुनर्जीवित किया।
By Umesh Kumar Ray
दुलारी देवी को बिहार की मशहूर लोककला मिथिला पेंटिंग के क्षेत्र में योगदान के लिए पद्मश्री से सम्मानित किया गया। कर्पूरी देवी और महासुंदरी देवी के यहां बर्तन धोने व झाड़ू-पोंछा करने के दौरान ही उन्होंने पेंटिंग सीखना शुरु किया था। उनका जीवन और इस मुकाम तक पहुंचना किसी कहानी के जैसा ही है।
दुलारी देवी को बिहार की मशहूर लोककला मिथिला पेंटिंग के क्षेत्र में योगदान के लिए पद्मश्री से सम्मानित किया गया। कर्पूरी देवी और महासुंदरी देवी के यहां बर्तन धोने व झाड़ू-पोंछा करने के दौरान ही उन्होंने पेंटिंग सीखना शुरु किया था। उनका जीवन और इस मुकाम तक पहुंचना किसी कहानी के जैसा ही है।
By Shivani Gupta
महाराष्ट्र की 61 वर्षीय आदिवासी किसान राहीबाई पोपरे उन खास लोगों में शामिल हैं, जिन्हें भारत के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कारों में से एक पद्म पुरस्कार मिला है। 154 देशी किस्मों के बीजों का संरक्षण करने वाली राहीबाई पोपरे ने गांव कनेक्शन को बताया कि पीएम मोदी ने उनके गांव आने का वादा किया है, लेकिन उनके सुदूर गांव तक जाने के लिए सड़क नहीं हैं।
महाराष्ट्र की 61 वर्षीय आदिवासी किसान राहीबाई पोपरे उन खास लोगों में शामिल हैं, जिन्हें भारत के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कारों में से एक पद्म पुरस्कार मिला है। 154 देशी किस्मों के बीजों का संरक्षण करने वाली राहीबाई पोपरे ने गांव कनेक्शन को बताया कि पीएम मोदी ने उनके गांव आने का वादा किया है, लेकिन उनके सुदूर गांव तक जाने के लिए सड़क नहीं हैं।