By Seema Javed
सूरज अब सिर्फ दिन में नहीं चमकेगा, सस्ती बैटरियों ने सौर ऊर्जा को 24 घंटे का पावरहाउस बना दिया है, दुनिया की बिजली व्यवस्था बदल रही है, तेज़ी से, शांति से, और हमेशा के लिए।
सूरज अब सिर्फ दिन में नहीं चमकेगा, सस्ती बैटरियों ने सौर ऊर्जा को 24 घंटे का पावरहाउस बना दिया है, दुनिया की बिजली व्यवस्था बदल रही है, तेज़ी से, शांति से, और हमेशा के लिए।
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प्रकृति के साथ तालमेल में भी ज़िंदगी जी जा सकती है… हरे-भरे खेतों के बीच खड़ा यह घर सिर्फ़ ईंट और छत नहीं, एक संदेश है।
प्रकृति के साथ तालमेल में भी ज़िंदगी जी जा सकती है… हरे-भरे खेतों के बीच खड़ा यह घर सिर्फ़ ईंट और छत नहीं, एक संदेश है।
By Gargi Verma
In forested hinterlands of Chhattisgarh, solar powered generators, which were pushed at a massive scale for nearly a decade, have fallen to disuse. Poor maintenance of solar units remains a huge problem. Maintenance technicians complain about irregular payments.
In forested hinterlands of Chhattisgarh, solar powered generators, which were pushed at a massive scale for nearly a decade, have fallen to disuse. Poor maintenance of solar units remains a huge problem. Maintenance technicians complain about irregular payments.
By Ravleen Kaur
Agro-photovoltaic projects are being offered as a solution to the growing resistance against solar energy projects that require large tracts of land and often lead to conflicts with the local communities. These projects allow traditional livelihoods, such as grazing, and generation of electricity, to co-exist on the same piece of land.
Agro-photovoltaic projects are being offered as a solution to the growing resistance against solar energy projects that require large tracts of land and often lead to conflicts with the local communities. These projects allow traditional livelihoods, such as grazing, and generation of electricity, to co-exist on the same piece of land.
By Aishwarya Tripathi
कॉम्पैक्ट और पोर्टेबल सौर ऊर्जा पंप सेट सिंचाई को आसान बना रहे हैं। इन्हें इस्तेमाल करने वाले किसानों का कहना है कि इससे उनकी फसल की उपज पर काफी अच्छा असर पड़ा है।
कॉम्पैक्ट और पोर्टेबल सौर ऊर्जा पंप सेट सिंचाई को आसान बना रहे हैं। इन्हें इस्तेमाल करने वाले किसानों का कहना है कि इससे उनकी फसल की उपज पर काफी अच्छा असर पड़ा है।
By vineet bajpai
By Gaon Connection
पीएम-कुसुम योजना के तहत डीजल पंपों पर निर्भरता को ख़त्म करने, प्रदूषण को कम करने, किसानों की लागत बचाने और 2070 तक नेट ज़ीरो ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन के भारत के लक्ष्य तक पहुँचने में मदद करने के लिए सौर सिंचाई पंप स्थापित किए जा रहे हैं। भारत में 82 फीसदी किसान छोटे और सीमांत किसान हैं। लेकिन क्या यह योजना इन किसानों के लिए फायदेमंद साबित हो पा रही है और क्या वो इस तक अपनी पहुँच बना पा रहे हैं? गाँव कनेक्शन इसका पता लगाने की कोशिश कर रहा है।
पीएम-कुसुम योजना के तहत डीजल पंपों पर निर्भरता को ख़त्म करने, प्रदूषण को कम करने, किसानों की लागत बचाने और 2070 तक नेट ज़ीरो ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन के भारत के लक्ष्य तक पहुँचने में मदद करने के लिए सौर सिंचाई पंप स्थापित किए जा रहे हैं। भारत में 82 फीसदी किसान छोटे और सीमांत किसान हैं। लेकिन क्या यह योजना इन किसानों के लिए फायदेमंद साबित हो पा रही है और क्या वो इस तक अपनी पहुँच बना पा रहे हैं? गाँव कनेक्शन इसका पता लगाने की कोशिश कर रहा है।
By Alok Sikka
भूजल का अधिक या फिर कम इस्तेमाल, दोनों ही स्थितियां जलवायु परिवर्तन के मौजूदा दौर में भारतीय कृषि की अनुकूल क्षमता को सीमित कर रही हैं। पूरे भारत में पैर पसार रहे सौर सिंचाई के तरीके अधिक और कम दोहन वाले दोनों तरह के क्षेत्रों में बेहतर तरीके से भूजल प्रबंधन कर सकते हैं।
भूजल का अधिक या फिर कम इस्तेमाल, दोनों ही स्थितियां जलवायु परिवर्तन के मौजूदा दौर में भारतीय कृषि की अनुकूल क्षमता को सीमित कर रही हैं। पूरे भारत में पैर पसार रहे सौर सिंचाई के तरीके अधिक और कम दोहन वाले दोनों तरह के क्षेत्रों में बेहतर तरीके से भूजल प्रबंधन कर सकते हैं।
By Ravleen Kaur
सौर ऊर्जा परियोजनाओं के खिलाफ बढ़ते विरोध के समाधान के रूप में कृषि-फोटोवोल्टिक परियोजनाओं की पेशकश की जा रही है, जिसके लिए जमीन के एक बड़े हिस्से की जरूरत होती है और अक्सर स्थानीय समुदायों के साथ इसको लेकर संघर्ष होता है। ये परियोजनाएं पारंपरिक आजीविका, जैसे चराई और बिजली उत्पादन एक साथ ला सकती है।
सौर ऊर्जा परियोजनाओं के खिलाफ बढ़ते विरोध के समाधान के रूप में कृषि-फोटोवोल्टिक परियोजनाओं की पेशकश की जा रही है, जिसके लिए जमीन के एक बड़े हिस्से की जरूरत होती है और अक्सर स्थानीय समुदायों के साथ इसको लेकर संघर्ष होता है। ये परियोजनाएं पारंपरिक आजीविका, जैसे चराई और बिजली उत्पादन एक साथ ला सकती है।
By Aishwarya Tripathi
पीएम-कुसुम योजना के तहत डीजल पंपों पर निर्भरता को ख़त्म करने, प्रदूषण को कम करने, किसानों की लागत बचाने और 2070 तक नेट ज़ीरो ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन के भारत के लक्ष्य तक पहुँचने में मदद करने के लिए सौर सिंचाई पंप स्थापित किए जा रहे हैं। भारत में 82 फीसदी किसान छोटे और सीमांत किसान हैं। लेकिन क्या यह योजना इन किसानों के लिए फायदेमंद साबित हो पा रही है और क्या वो इस तक अपनी पहुँच बना पा रहे हैं? गाँव कनेक्शन इसका पता लगाने की कोशिश कर रहा है।
पीएम-कुसुम योजना के तहत डीजल पंपों पर निर्भरता को ख़त्म करने, प्रदूषण को कम करने, किसानों की लागत बचाने और 2070 तक नेट ज़ीरो ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन के भारत के लक्ष्य तक पहुँचने में मदद करने के लिए सौर सिंचाई पंप स्थापित किए जा रहे हैं। भारत में 82 फीसदी किसान छोटे और सीमांत किसान हैं। लेकिन क्या यह योजना इन किसानों के लिए फायदेमंद साबित हो पा रही है और क्या वो इस तक अपनी पहुँच बना पा रहे हैं? गाँव कनेक्शन इसका पता लगाने की कोशिश कर रहा है।