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कभी एक वक्त की रोटी के लिए जंगल में भटकती थीं आज 1200 महिलाओं को दे रहीं हैं रोजगार
कभी एक वक्त की रोटी के लिए जंगल में भटकती थीं आज 1200 महिलाओं को दे रहीं हैं रोजगार

By Neetu Singh

साधारण सी दिखने वाली आरती राना कभी पेट भरने के लिए तालाब से मछली पकड़ती थीं, रोटी बनाने के लिए जंगल में भटककर लकड़ियां बीनकर लाती थीं, लेकिन आज इन्होंने न सिर्फ खुद का बल्कि थारू समुदाय की 1200 से ज्यादा महिलाओं को हैंडीक्राफ्ट उत्पाद बनाने का मौका देकर उनके भविष्य को संवार रही हैं।

साधारण सी दिखने वाली आरती राना कभी पेट भरने के लिए तालाब से मछली पकड़ती थीं, रोटी बनाने के लिए जंगल में भटककर लकड़ियां बीनकर लाती थीं, लेकिन आज इन्होंने न सिर्फ खुद का बल्कि थारू समुदाय की 1200 से ज्यादा महिलाओं को हैंडीक्राफ्ट उत्पाद बनाने का मौका देकर उनके भविष्य को संवार रही हैं।

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