बिजली सखी, पशु सखी, आजीविका सखी - उत्तर प्रदेश की ग्रामीण महिलाओं की जिंदगी में आए बदलाव की कहानी
बिजली सखी, पशु सखी, आजीविका सखी - उत्तर प्रदेश की ग्रामीण महिलाओं की जिंदगी में आए बदलाव की कहानी

By Shivani Gupta

उत्तर प्रदेश में ग्रामीण महिलाओं के लिए रोजगार के अवसर सिर्फ आचार-पापड़ बनाने तक ही सीमित नहीं रहे हैं। अब वे घरों से बिजली के बिल इकट्ठा कर उन्हें जमा कराती हैं, रेस्तरां चलाती हैं, अगरबत्ती बनाती हैं और सैनिटरी पैड की सिलाई भी कर रही हैं। स्वयं सहायता समूह की इन महिलाओं को उत्तर प्रदेश राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के जरिए प्रशिक्षण दिया जा रहा है।

उत्तर प्रदेश में ग्रामीण महिलाओं के लिए रोजगार के अवसर सिर्फ आचार-पापड़ बनाने तक ही सीमित नहीं रहे हैं। अब वे घरों से बिजली के बिल इकट्ठा कर उन्हें जमा कराती हैं, रेस्तरां चलाती हैं, अगरबत्ती बनाती हैं और सैनिटरी पैड की सिलाई भी कर रही हैं। स्वयं सहायता समूह की इन महिलाओं को उत्तर प्रदेश राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के जरिए प्रशिक्षण दिया जा रहा है।

झारखंड के दूरदराज के इलाकों में दुर्गम बाधाओं के बावजूद फ्रंटलाइन वर्कर्स ने जीती कोविड-19 वैक्सीन की लड़ाई
झारखंड के दूरदराज के इलाकों में दुर्गम बाधाओं के बावजूद फ्रंटलाइन वर्कर्स ने जीती कोविड-19 वैक्सीन की लड़ाई

By Manoj Choudhary

दूरदराज के गाँव, परिवहन की कमी और कोविड को लेकर झिझक भी इन फ्रंटलाइन वर्कर्स के लिए बाधा नहीं बन पायी। इनकी मदद से झारखंड के रांची जिले में 21 पंचायतों के 82 गांवों के में ज्यादातर लोगों को वैक्सीन लग गई है।

दूरदराज के गाँव, परिवहन की कमी और कोविड को लेकर झिझक भी इन फ्रंटलाइन वर्कर्स के लिए बाधा नहीं बन पायी। इनकी मदद से झारखंड के रांची जिले में 21 पंचायतों के 82 गांवों के में ज्यादातर लोगों को वैक्सीन लग गई है।

मध्य प्रदेश में ग्रामीण महिलाओं ने ली व्यापारियों की जगह, सीधे किसानों से कृषि उत्पाद खरीदकर बढ़ा रहीं आमदनी
मध्य प्रदेश में ग्रामीण महिलाओं ने ली व्यापारियों की जगह, सीधे किसानों से कृषि उत्पाद खरीदकर बढ़ा रहीं आमदनी

By Jyotsna Richhariya

मध्य प्रदेश के 52 जिलों की 4500 से ज्यादा महिलाएं सरकार द्वारा निर्धारित एमएसपी पर किसानों से सीधे कृषि उत्पाद खरीदने की पहल का हिस्सा हैं। इसने न केवल खरीद प्रक्रिया से भ्रष्टाचार को हटाया है बल्कि स्वयं सहायता समूह से जुड़ी महिलाओं को रोजगार भी दिया है।

मध्य प्रदेश के 52 जिलों की 4500 से ज्यादा महिलाएं सरकार द्वारा निर्धारित एमएसपी पर किसानों से सीधे कृषि उत्पाद खरीदने की पहल का हिस्सा हैं। इसने न केवल खरीद प्रक्रिया से भ्रष्टाचार को हटाया है बल्कि स्वयं सहायता समूह से जुड़ी महिलाओं को रोजगार भी दिया है।

ई-संजीवनी- झारखंड में आदिवासी समुदायों के दरवाजों तक पहुंची स्वास्थ्य सेवाएं
ई-संजीवनी- झारखंड में आदिवासी समुदायों के दरवाजों तक पहुंची स्वास्थ्य सेवाएं

By Manoj Choudhary

कुछ समय पहले तक झारखंड के दूरदराज के इलाकों में रहने वाले लोग बीमार पड़ने पर डॉक्टर से परामर्श तक नहीं ले पाते थे। इसका बड़ा कारण नजदीकी स्वास्थ्य केंद्रों का गांव से दूर होना और आने-जाने के लिए साधनों की कमी है। लेकिन अब ई-संजीवनी सर्विस गांवों के लोगों को उनके घर के आस-पास ही चिकित्सा परामर्श की सुविधाएं उपलब्ध करा रहा है।

कुछ समय पहले तक झारखंड के दूरदराज के इलाकों में रहने वाले लोग बीमार पड़ने पर डॉक्टर से परामर्श तक नहीं ले पाते थे। इसका बड़ा कारण नजदीकी स्वास्थ्य केंद्रों का गांव से दूर होना और आने-जाने के लिए साधनों की कमी है। लेकिन अब ई-संजीवनी सर्विस गांवों के लोगों को उनके घर के आस-पास ही चिकित्सा परामर्श की सुविधाएं उपलब्ध करा रहा है।

ग्रामीणों महिलाओं ने परंपरागत खेती को छोड़कर अपनायी नई तकनीक, अब जंगली जानवरों और बाढ़ से नहीं होगा फसलों को नुकसान
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By Shivani Gupta

बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में जलभराव और साही, नीलगाय जैसे जंगली जानवरों से परेशान उत्तर प्रदेश के बस्ती जिले में महिलाओं ने ट्रेलिस प्रणाली की ओर रुख किया है, जहां सब्जियां जमीन से दो फीट ऊपर उठी हुई संरचना पर उगाई जाती हैं, इस विधि में ज्यादा उत्पादन की उम्मीद की है।

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ग्राम स्वराज की ओर: झाबुआ के गंगाखेड़ी गाँव मेंं बदलाव की कहानियां गढ़ रहीं हैं बदलाव दीदियां
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By Jyotsna Richhariya

गंगाखेड़ी गाँव ने अभी हाल ही में नानाजी देशमुख राष्ट्रीय गौरव ग्राम सभा पुरस्कार 2022 जीता है, यह पुरस्कार पंचायती राज संस्थानों और समुदाय आधारित संगठनों के साथ किए गए बेहतर कामों के लिए मिला है। गैर-लाभकारी टीआरआईएफ गाँव को महिलाओं को न केवल प्रशिक्षित कर रहा है, बल्कि उन्हें सरकारी योजनाओं की भी जानकारी दे रहा है।

गंगाखेड़ी गाँव ने अभी हाल ही में नानाजी देशमुख राष्ट्रीय गौरव ग्राम सभा पुरस्कार 2022 जीता है, यह पुरस्कार पंचायती राज संस्थानों और समुदाय आधारित संगठनों के साथ किए गए बेहतर कामों के लिए मिला है। गैर-लाभकारी टीआरआईएफ गाँव को महिलाओं को न केवल प्रशिक्षित कर रहा है, बल्कि उन्हें सरकारी योजनाओं की भी जानकारी दे रहा है।

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