By Gaurav Rai
IEEFA की रिपोर्ट बताती है कि भारत में ई-कुकिंग, एलपीजी से 37% और पीएनजी से 14% सस्ती है। विशेषज्ञों के अनुसार, यह बदलाव भारत के क्लीन एनर्जी ट्रांज़िशन की दिशा में एक निर्णायक कदम साबित हो सकता है।
IEEFA की रिपोर्ट बताती है कि भारत में ई-कुकिंग, एलपीजी से 37% और पीएनजी से 14% सस्ती है। विशेषज्ञों के अनुसार, यह बदलाव भारत के क्लीन एनर्जी ट्रांज़िशन की दिशा में एक निर्णायक कदम साबित हो सकता है।
By गाँव कनेक्शन
उत्तर प्रदेश में कैबिनेट बैठक में एक अहम फैसला लिया गया है, अब यहाँ पर खाना पकाने के लिए साल में दो बार मुफ़्त में गैस सिलेंडर दिया जाएगा।
उत्तर प्रदेश में कैबिनेट बैठक में एक अहम फैसला लिया गया है, अब यहाँ पर खाना पकाने के लिए साल में दो बार मुफ़्त में गैस सिलेंडर दिया जाएगा।
By Mithilesh Dhar
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2016 में उज्ज्वला योजना की शुरुआत यह कहकर की थी कि इसका मकसद महिलाओं को जहरीले धुएं से बचाना है, लेकिन चूल्हा छोड़ने वाली एक बड़ी आबादी फिर उधर लौट रही है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2016 में उज्ज्वला योजना की शुरुआत यह कहकर की थी कि इसका मकसद महिलाओं को जहरीले धुएं से बचाना है, लेकिन चूल्हा छोड़ने वाली एक बड़ी आबादी फिर उधर लौट रही है।
By Raja Muzaffar Bhat
जम्मू-कश्मीर में आर्थिक रूप से कमजोर ग्रामीण महिलाओं का आरोप है कि उनसे उज्ज्वला योजना के अंतर्गत दिए जाने वाले मुफ्त एलपीजी सिलेंडर के लिए पैसों की मांग की जा रही है और ऐसा न करने पर उन्हें गैस कनेक्शन नहीं दिया जाता है। हालांकि उनके नाम लाभार्थियों की सूची में दर्ज हैं। विपक्षी दलों का आरोप है कि 'गैस माफिया' इस घोटाले को अंजाम दे रहे हैं।
जम्मू-कश्मीर में आर्थिक रूप से कमजोर ग्रामीण महिलाओं का आरोप है कि उनसे उज्ज्वला योजना के अंतर्गत दिए जाने वाले मुफ्त एलपीजी सिलेंडर के लिए पैसों की मांग की जा रही है और ऐसा न करने पर उन्हें गैस कनेक्शन नहीं दिया जाता है। हालांकि उनके नाम लाभार्थियों की सूची में दर्ज हैं। विपक्षी दलों का आरोप है कि 'गैस माफिया' इस घोटाले को अंजाम दे रहे हैं।
By गाँव कनेक्शन
पांच साल पहले जब उज्ज्वला योजना का पहला चरण शुरू किया गया था, तो लाखों ग्रामीण महिलाओं के लिए इससे एक उम्मीद जगी थी। उन्हें एलपीजी सिलेंडर बांटे गए थे। लेकिन इनमें से अधिकांश महिलाएं प्रदूषण फैलाने वाले पारंपरिक ईंधन की तरफ फिर से लौट आई हैं। वह लकड़ी और गोबर के उपलों का इस्तेमाल कर रही हैं। गांव कनेक्शन ने यूपी, एमपी और बिहार के कई गांवों की यात्रा की और उज्जवला योजना का फायदा उठा चुकी कई महिलाओं से बात की। पढ़िए ग्राउंड रिपोर्ट-
पांच साल पहले जब उज्ज्वला योजना का पहला चरण शुरू किया गया था, तो लाखों ग्रामीण महिलाओं के लिए इससे एक उम्मीद जगी थी। उन्हें एलपीजी सिलेंडर बांटे गए थे। लेकिन इनमें से अधिकांश महिलाएं प्रदूषण फैलाने वाले पारंपरिक ईंधन की तरफ फिर से लौट आई हैं। वह लकड़ी और गोबर के उपलों का इस्तेमाल कर रही हैं। गांव कनेक्शन ने यूपी, एमपी और बिहार के कई गांवों की यात्रा की और उज्जवला योजना का फायदा उठा चुकी कई महिलाओं से बात की। पढ़िए ग्राउंड रिपोर्ट-
By Divendra Singh
By Ajay Singh Nagpure
80 मिलियन से ज्यादा उज्ज्वला कनेक्शन पहले ही बांटे जा चुके हैं। यूनियन बजट 2021 से इस योजना का फायदा और 10 मिलियन लोगों मिला। लेकिन लाभार्थियों का एक बड़ा वर्ग खाना बनाने के लिए ईंधन के रूप में एलपीजी का इस्तेमाल करने में असफल रहा है, इसे बदलने की जरूरत है।
80 मिलियन से ज्यादा उज्ज्वला कनेक्शन पहले ही बांटे जा चुके हैं। यूनियन बजट 2021 से इस योजना का फायदा और 10 मिलियन लोगों मिला। लेकिन लाभार्थियों का एक बड़ा वर्ग खाना बनाने के लिए ईंधन के रूप में एलपीजी का इस्तेमाल करने में असफल रहा है, इसे बदलने की जरूरत है।
By Divendra Singh
बिहार के मधुबनी जिले के इस गांव में महिलाओं को 1200 किलो गोबर और कचरा देने पर गैस सिलेंडर दिया जाता है, इससे गांव तो साफ हुआ ही महिलाओं को भी खाना बनाने में आराम हो गया है। पीएम नरेंद्र मोदी ने भी इस गांव की तारीफ की है।
बिहार के मधुबनी जिले के इस गांव में महिलाओं को 1200 किलो गोबर और कचरा देने पर गैस सिलेंडर दिया जाता है, इससे गांव तो साफ हुआ ही महिलाओं को भी खाना बनाने में आराम हो गया है। पीएम नरेंद्र मोदी ने भी इस गांव की तारीफ की है।
By Ranvijay Singh
No house, no LPG connection, no ration card, no voter ID, no electricity … just like Puttanlal, who lives in Hardoi district in Uttar Pradesh, many are still miles away from various government welfare schemes
No house, no LPG connection, no ration card, no voter ID, no electricity … just like Puttanlal, who lives in Hardoi district in Uttar Pradesh, many are still miles away from various government welfare schemes
By गाँव कनेक्शन
A little more than half of the 500 million no-frills Jan Dhan accounts opened in India in the past nine years belong to women. Access to banking has enabled rural women to be in charge of their own finances and their children's’ future.
A little more than half of the 500 million no-frills Jan Dhan accounts opened in India in the past nine years belong to women. Access to banking has enabled rural women to be in charge of their own finances and their children's’ future.