बिहार में सुजनी कला को आगे बढ़ाकर आत्मनिर्भर बन रहीं हैं ग्रामीण महिलाएं
बिहार में सुजनी कला को आगे बढ़ाकर आत्मनिर्भर बन रहीं हैं ग्रामीण महिलाएं

By Lovely Kumari

बिहार के मुजफ्फरपुर की सुजनी कढ़ाई को जीआई टैग मिला है। परंपरागत रूप से, महिलाएं नवजात शिशुओं को लपेटने के लिए साधारण कपड़ों के छोटे पैचपर पर कढ़ाई करके कपड़ा तैयार करती थीं, लेकिन अब यह कढ़ाई कला जिले की 600 महिलाओं के लिए आजीविका और आत्मनिर्भरता का जरिया है।

बिहार के मुजफ्फरपुर की सुजनी कढ़ाई को जीआई टैग मिला है। परंपरागत रूप से, महिलाएं नवजात शिशुओं को लपेटने के लिए साधारण कपड़ों के छोटे पैचपर पर कढ़ाई करके कपड़ा तैयार करती थीं, लेकिन अब यह कढ़ाई कला जिले की 600 महिलाओं के लिए आजीविका और आत्मनिर्भरता का जरिया है।

हस्तशिल्प और विदेशी खरीदारों ने बदली उत्तराखंड की इन महिलाओं की ज़िंदगी
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By गाँव कनेक्शन

उत्तराखंड के रानीखेत की ये कुछ महिलाएं बदलाव का एक पाठ लिख रही हैं। अपने हस्तशिल्प और कुशल मार्केटिंग के दम पर इन लोगों ने एक ऐसी कड़ी बनाई है जहां इनके हुनर को सम्मान मिल रहा है और उत्पादों की सही कीमत भी।

उत्तराखंड के रानीखेत की ये कुछ महिलाएं बदलाव का एक पाठ लिख रही हैं। अपने हस्तशिल्प और कुशल मार्केटिंग के दम पर इन लोगों ने एक ऐसी कड़ी बनाई है जहां इनके हुनर को सम्मान मिल रहा है और उत्पादों की सही कीमत भी।

सर्दियों का मज़ा दोगुना कर देगा: गरमा-गरम पूड़ी के साथ आलू भंटा साग
सर्दियों का मज़ा दोगुना कर देगा: गरमा-गरम पूड़ी के साथ आलू भंटा साग

By Sangeeta Khanna

गरमा गरम आलू बैंगन साग को रोटी, पराँठे या पूरी के साथ परोसें और पुराने ज़माने की तरह ही असली भोजन का आनंद लें।

गरमा गरम आलू बैंगन साग को रोटी, पराँठे या पूरी के साथ परोसें और पुराने ज़माने की तरह ही असली भोजन का आनंद लें।

ओडिशा: अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही 12वीं सदी की प्रसिद्ध पिपिली की कला
ओडिशा: अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही 12वीं सदी की प्रसिद्ध पिपिली की कला

By Ashis Senapati

भगवान जगन्नाथ, उनके भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा की रथयात्रा के लिए ये कारीगर छतरियों और पंखों की कढ़ाई करते हैं, लेकिन ओडिशा के पुरी के पिपिली गांव के कारीगर बहुत चिंतित हैं क्योंकि महामारी की तीसरी लहर ने फिर से बिक्री को प्रभावित किया है।

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क्यों हैं लखनऊ की चिकनकारी दुनियाभर में मशहूर, देखिए चिकनकारी का अनोखा सफर
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By Manvendra Singh

गोमती के किनारे बसा लखनऊ अपने बागात, तहजीब और लजीज खानों के साथ ही चिकनकारी के लिए भी मशहूर रहा है लेकिन ऐसा क्या है जो चिकनकारी को इतना खास बनाता है। देखिए चिकनकारी का अनोखा सफर ..

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बुंदेली महिलाओं की हमने सुनी कहानी थी
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By मनीष मिश्रा

दुधवा में अंतरराष्ट्रीय बर्ड फेस्टिवल शुरू, तस्वीरों में देखें झलकियां
दुधवा में अंतरराष्ट्रीय बर्ड फेस्टिवल शुरू, तस्वीरों में देखें झलकियां

By Vinay Gupta

दिव्यांगता को बनायी अपनी ताकत, सिलाई सिखाकर दूसरी लड़कियों को भी बना रहीं आत्मनिर्भर
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By गाँव कनेक्शन

सपेरों के कालबेलिया समुदाय की बूटेदार रजाई बनाने वाली कला को पुनर्जीवित करने का प्रयास
सपेरों के कालबेलिया समुदाय की बूटेदार रजाई बनाने वाली कला को पुनर्जीवित करने का प्रयास

By Chandraprakash Pathak

कालबेलिया समुदाय का अपना पारंपरिक शिल्प है जिसमें ऐक्रेलिक ऊन व रेशम के चटकीले धागों और शीशे जड़कर कपड़े के रिसायकिल टुकड़ों पर चित्रों को उकेरा जाता है। फिर उससे गूदड़ी या रजाई बनाई जाती है। कालबेलिया क्राफ्ट रिवाइवल प्रोजेक्ट इस कला को फिर से जिंदा करने और इससे जुड़े उन कलाकारों को रोजगार दिलाने में मदद कर रहा हैं, जो कमाई का कोई जरिया नहीं होने की वजह से दिहाड़ी मजदूरों के रूप में काम करने के लिए मजबूर हैं।

कालबेलिया समुदाय का अपना पारंपरिक शिल्प है जिसमें ऐक्रेलिक ऊन व रेशम के चटकीले धागों और शीशे जड़कर कपड़े के रिसायकिल टुकड़ों पर चित्रों को उकेरा जाता है। फिर उससे गूदड़ी या रजाई बनाई जाती है। कालबेलिया क्राफ्ट रिवाइवल प्रोजेक्ट इस कला को फिर से जिंदा करने और इससे जुड़े उन कलाकारों को रोजगार दिलाने में मदद कर रहा हैं, जो कमाई का कोई जरिया नहीं होने की वजह से दिहाड़ी मजदूरों के रूप में काम करने के लिए मजबूर हैं।

घर में बनी मिठाइयों और नमकीन के साथ मनाइए दिवाली का त्यौहार
घर में बनी मिठाइयों और नमकीन के साथ मनाइए दिवाली का त्यौहार

By Shikha Jamwal

खुशियां और मिठास दोनों एक साथ चलते हैं। इस दिवाली चलिए एक बार फिर परिवार और दोस्तों के लिए घर की बनी मिठाइयों और नमकीन के साथ खुशियां और प्यार बांटते हैं।

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