सिर्फ दिन नहीं, अब 24 घंटे सोलर बिजली! बैटरी की गिरती कीमतों का कमाल
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By Seema Javed

सूरज अब सिर्फ दिन में नहीं चमकेगा, सस्ती बैटरियों ने सौर ऊर्जा को 24 घंटे का पावरहाउस बना दिया है, दुनिया की बिजली व्यवस्था बदल रही है, तेज़ी से, शांति से, और हमेशा के लिए।

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LPG छोड़िए, अब रसोई में बिजली का जलवा - सस्ती भी, टिकाऊ भी
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By Gaurav Rai

IEEFA की रिपोर्ट बताती है कि भारत में ई-कुकिंग, एलपीजी से 37% और पीएनजी से 14% सस्ती है। विशेषज्ञों के अनुसार, यह बदलाव भारत के क्लीन एनर्जी ट्रांज़िशन की दिशा में एक निर्णायक कदम साबित हो सकता है।

IEEFA की रिपोर्ट बताती है कि भारत में ई-कुकिंग, एलपीजी से 37% और पीएनजी से 14% सस्ती है। विशेषज्ञों के अनुसार, यह बदलाव भारत के क्लीन एनर्जी ट्रांज़िशन की दिशा में एक निर्णायक कदम साबित हो सकता है।

कोयला खनन और कोयला पावर प्लांट पर निर्भर जिले जस्ट ट्रांजिशन की चुनौतियों से कैसे निपटेंगे?
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By गाँव कनेक्शन

आईफॉरेस्ट की रिपोर्ट में कोयले पर स्थानीय समुदाय की आय और आजीविका निर्भरता, जिले के कामगार का प्रोफाइल और राजस्व व सार्वजनिक सुविधाओं और कल्याण के लिए कोयला अर्थव्यवस्था पर जिले की समस्त निर्भरता को समझा गया है।

आईफॉरेस्ट की रिपोर्ट में कोयले पर स्थानीय समुदाय की आय और आजीविका निर्भरता, जिले के कामगार का प्रोफाइल और राजस्व व सार्वजनिक सुविधाओं और कल्याण के लिए कोयला अर्थव्यवस्था पर जिले की समस्त निर्भरता को समझा गया है।

कोयला आवंटन: पर्यावरण और विस्थापन की कीमत पर आत्मनिर्भरता?
कोयला आवंटन: पर्यावरण और विस्थापन की कीमत पर आत्मनिर्भरता?

By Rohin Kumar

यह पहला मौका है जब भारत में कोयला खदानों को कॉमर्शियल माइनिंग (वाणिज्यिक खनन) के लिए खोला जा रहा है। नीलामी प्रक्रिया को लॉन्च करने के दौरान प्रधानमंत्री ने कहा कि कोयला खनन आदिवासी बहुल क्षेत्रों में विकास का मार्ग प्रशस्त करेगा। लेकिन कई विशेषज्ञों का मानना है कि यह केवल कोयले का निर्यात नहीं बल्कि प्राकृतिक आपदाओं, विस्थापन और प्रदूषण का आयात है।

यह पहला मौका है जब भारत में कोयला खदानों को कॉमर्शियल माइनिंग (वाणिज्यिक खनन) के लिए खोला जा रहा है। नीलामी प्रक्रिया को लॉन्च करने के दौरान प्रधानमंत्री ने कहा कि कोयला खनन आदिवासी बहुल क्षेत्रों में विकास का मार्ग प्रशस्त करेगा। लेकिन कई विशेषज्ञों का मानना है कि यह केवल कोयले का निर्यात नहीं बल्कि प्राकृतिक आपदाओं, विस्थापन और प्रदूषण का आयात है।

छत्तीसगढ़: सैकड़ों आदिवासी ग्रामीण 300 किलोमीटर की यात्रा करके राज्यपाल से मिलने क्यों जा रहे हैं?
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By Pratyaksh Srivastava

हसदेव अरण्य वन क्षेत्र में कोयला खदानों के 'अवैध' अधिग्रहण के विरोध में सरगुजा और कोरबा जिलों के 350 से अधिक ग्रामीण पिछले 10 दिनों से छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर पहुंचने के लिए मार्च कर रहे हैं, और पेसा पेसा अधिनियम को लागू करने की मांग कर रहे हैं। वे राज्यपाल अनुसुइया उइके से मिलना चाहते हैं और उन्हें अपनी याचिका के बारे में बताना चाहते हैं।

हसदेव अरण्य वन क्षेत्र में कोयला खदानों के 'अवैध' अधिग्रहण के विरोध में सरगुजा और कोरबा जिलों के 350 से अधिक ग्रामीण पिछले 10 दिनों से छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर पहुंचने के लिए मार्च कर रहे हैं, और पेसा पेसा अधिनियम को लागू करने की मांग कर रहे हैं। वे राज्यपाल अनुसुइया उइके से मिलना चाहते हैं और उन्हें अपनी याचिका के बारे में बताना चाहते हैं।

कॉमर्शियल माइनिंग के विरोध में कोल इंडिया के चार लाख मजदूरों का देशव्यापी हड़ताल
कॉमर्शियल माइनिंग के विरोध में कोल इंडिया के चार लाख मजदूरों का देशव्यापी हड़ताल

By गाँव कनेक्शन

मजदूरों ने कहा कि कॉमर्शियल माइनिंग से मिलेगा प्राइवेटाइजेशन को बढ़ावा। वहीं मजदूर संगठनों का मेनस्ट्रीम मीडिया के खिलाफ क्षोभ, कहा- नहीं मिला हड़ताल को पर्याप्त कवरेज।

मजदूरों ने कहा कि कॉमर्शियल माइनिंग से मिलेगा प्राइवेटाइजेशन को बढ़ावा। वहीं मजदूर संगठनों का मेनस्ट्रीम मीडिया के खिलाफ क्षोभ, कहा- नहीं मिला हड़ताल को पर्याप्त कवरेज।

चंदौली की मशहूर कोयला मंडी; मजदूरों और स्थानीय लोगों के लिए बनी अभिशाप
चंदौली की मशहूर कोयला मंडी; मजदूरों और स्थानीय लोगों के लिए बनी अभिशाप

By Pavan Kumar Maurya

दिहाड़ी मजदूरों, यहां रहने वाले लोग और आने-जाने वालों से लेकर उत्तर प्रदेश के चंदौली की कोयला मंडी सैकड़ों हजारों लोगों की जिंदगी में जहर घोल रही है। सबसे ज्यादा प्रभावित मंडी के मजदूर हैं यहां आने वाले अनगिनत ट्रकों से कोयला उतराने और चढ़ाने का काम करते हैं। टीबी जैसी बीमारी के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। जून 2022 की अपनी रिपोर्ट में, राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने मंडी को को यहां से हटाने की सिफारिश की है, लेकिन अब तक ये यहां से नहीं हट पायी है।

दिहाड़ी मजदूरों, यहां रहने वाले लोग और आने-जाने वालों से लेकर उत्तर प्रदेश के चंदौली की कोयला मंडी सैकड़ों हजारों लोगों की जिंदगी में जहर घोल रही है। सबसे ज्यादा प्रभावित मंडी के मजदूर हैं यहां आने वाले अनगिनत ट्रकों से कोयला उतराने और चढ़ाने का काम करते हैं। टीबी जैसी बीमारी के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। जून 2022 की अपनी रिपोर्ट में, राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने मंडी को को यहां से हटाने की सिफारिश की है, लेकिन अब तक ये यहां से नहीं हट पायी है।

हसदेव अरण्य कोयला खनन विवाद फिर गर्माया, छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने कोयला ब्लॉक के लिए भूमि अधिग्रहण पर लगाई रोक
हसदेव अरण्य कोयला खनन विवाद फिर गर्माया, छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने कोयला ब्लॉक के लिए भूमि अधिग्रहण पर लगाई रोक

By Shivani Gupta

पर्यावरण मंत्रालय द्वारा छत्तीसगढ़ के हसदेव जंगल में कोयला खनन को मंजूरी दिए जाने के बाद, 25 से अधिक संरक्षणवादियों ने छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर पारिस्थितिक रूप से संवेदनशील क्षेत्र में कोयला खनन विस्तार को रद्द करने की मांग की। इस बीच हाई कोर्ट ने हसदेव अरण्य में परसा कोयला ब्लॉक के लिए भूमि अधिग्रहण पर रोक लगा दी है।

पर्यावरण मंत्रालय द्वारा छत्तीसगढ़ के हसदेव जंगल में कोयला खनन को मंजूरी दिए जाने के बाद, 25 से अधिक संरक्षणवादियों ने छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर पारिस्थितिक रूप से संवेदनशील क्षेत्र में कोयला खनन विस्तार को रद्द करने की मांग की। इस बीच हाई कोर्ट ने हसदेव अरण्य में परसा कोयला ब्लॉक के लिए भूमि अधिग्रहण पर रोक लगा दी है।

कश्मीर में हाथ के बने कोयले से दी जाती ठंड को मात
कश्मीर में हाथ के बने कोयले से दी जाती ठंड को मात

By Farzana Nisar

कश्मीर के ग्रामीण इलाकों में महिलाएं पतझड़ के मौसम में पेड़ों से गिरने वाली पत्तियों और टहनियों को इकट्ठा करती हैं और उन्हें कांगड़ी में जलाने के लिए पुन तसेनी (कोयले) में बदल देती हैं। ये कोयला उन्हें न सिर्फ सर्दियों के दौरान गर्म रखने में मदद करता है, बल्कि इसे बेचकर वो कुछ पैसे भी कमा लेती हैं।

कश्मीर के ग्रामीण इलाकों में महिलाएं पतझड़ के मौसम में पेड़ों से गिरने वाली पत्तियों और टहनियों को इकट्ठा करती हैं और उन्हें कांगड़ी में जलाने के लिए पुन तसेनी (कोयले) में बदल देती हैं। ये कोयला उन्हें न सिर्फ सर्दियों के दौरान गर्म रखने में मदद करता है, बल्कि इसे बेचकर वो कुछ पैसे भी कमा लेती हैं।

विश्व हाथी दिवस: हाथियों को बचाएंगे या फिर कोयले से मुनाफा कमाएंगे?
विश्व हाथी दिवस: हाथियों को बचाएंगे या फिर कोयले से मुनाफा कमाएंगे?

By Praphull Thakur

हाथियों के संरक्षण के लिए 12 अगस्त को दुनिया भर में विश्व हाथी दिवस मनाया जाता है। देश के कुछ राज्य जहां के एक बड़े क्षेत्र में हाथियों का कुनबा रहता है, उसमें से एक छत्तीसगढ़ भी है। जहां पर छत्तीसगढ़ सरकार एक ओर हाथियों के लिए हाथी अभयारण्य बनाना चाह रही है। वहीं दूसरी ओर कोयला खदानों का आवंटन भी कर रही है। जीव विशेषज्ञों के मुताबिक, हाथी अभयारण्य चाहे जितने बड़े क्षेत्र में बना दिया जाए, अगर उसके आसपास खदानें रहेंगी तो हाथी अभयारण्य का कोई औचित्य नहीं होगा।

हाथियों के संरक्षण के लिए 12 अगस्त को दुनिया भर में विश्व हाथी दिवस मनाया जाता है। देश के कुछ राज्य जहां के एक बड़े क्षेत्र में हाथियों का कुनबा रहता है, उसमें से एक छत्तीसगढ़ भी है। जहां पर छत्तीसगढ़ सरकार एक ओर हाथियों के लिए हाथी अभयारण्य बनाना चाह रही है। वहीं दूसरी ओर कोयला खदानों का आवंटन भी कर रही है। जीव विशेषज्ञों के मुताबिक, हाथी अभयारण्य चाहे जितने बड़े क्षेत्र में बना दिया जाए, अगर उसके आसपास खदानें रहेंगी तो हाथी अभयारण्य का कोई औचित्य नहीं होगा।

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