By डॉ दीपक आचार्य
By प्रवीण कुमार मौर्य
By Deepak Acharya
By India Science Wire
चाय पर दुनिया के सबसे पुराने शोध केंद्रों में शुमार टोकलाई चाय अनुसंधान संस्थान ने हाल ही में संस्थान के प्रायोगिक उद्यानों में से एक में विशिष्ट मित्र कीटों का एक झुंड छोड़ा है। ये कीट लूपर और चाय के मच्छर जैसे हानिकारक कीटों को अपना शिकार बनाते हैं, जिन्हें इस क्षेत्र में चाय की झाड़ी का सबसे बड़ा दुश्मन माना जाता है।
चाय पर दुनिया के सबसे पुराने शोध केंद्रों में शुमार टोकलाई चाय अनुसंधान संस्थान ने हाल ही में संस्थान के प्रायोगिक उद्यानों में से एक में विशिष्ट मित्र कीटों का एक झुंड छोड़ा है। ये कीट लूपर और चाय के मच्छर जैसे हानिकारक कीटों को अपना शिकार बनाते हैं, जिन्हें इस क्षेत्र में चाय की झाड़ी का सबसे बड़ा दुश्मन माना जाता है।
By Gaon Connection
चाय पर दुनिया के सबसे पुराने शोध केंद्रों में शुमार टोकलाई चाय अनुसंधान संस्थान ने हाल ही में संस्थान के प्रायोगिक उद्यानों में से एक में विशिष्ट मित्र कीटों का एक झुंड छोड़ा है। ये कीट लूपर और चाय के मच्छर जैसे हानिकारक कीटों को अपना शिकार बनाते हैं, जिन्हें इस क्षेत्र में चाय की झाड़ी का सबसे बड़ा दुश्मन माना जाता है।
चाय पर दुनिया के सबसे पुराने शोध केंद्रों में शुमार टोकलाई चाय अनुसंधान संस्थान ने हाल ही में संस्थान के प्रायोगिक उद्यानों में से एक में विशिष्ट मित्र कीटों का एक झुंड छोड़ा है। ये कीट लूपर और चाय के मच्छर जैसे हानिकारक कीटों को अपना शिकार बनाते हैं, जिन्हें इस क्षेत्र में चाय की झाड़ी का सबसे बड़ा दुश्मन माना जाता है।
By Rahul Jha
किशनगंज को "बिहार के दार्जिलिंग" के रूप में जाना जाने लगा है, यहां पर लगभग 15,000 एकड़ भूमि पर चाय की खेती की जा रही है। इससे राज्य के सबसे गरीब जिले में समृद्धि आई है। हालांकि, छोटे किसान सरकार से अधिक समर्थन चाहते हैं।
किशनगंज को "बिहार के दार्जिलिंग" के रूप में जाना जाने लगा है, यहां पर लगभग 15,000 एकड़ भूमि पर चाय की खेती की जा रही है। इससे राज्य के सबसे गरीब जिले में समृद्धि आई है। हालांकि, छोटे किसान सरकार से अधिक समर्थन चाहते हैं।
By Gurvinder Singh
दुनिया भर में कीटनाशक मुक्त चाय की मांग बढ़ने के साथ ही उत्तरी बंगाल के चाय बागान जैविक खेती की ओर रुख कर रहे हैं। लेकिन, अनियमित मौसम की स्थिति पूरी तरह से रसायन मुक्त बनने के उनके प्रयासों में बाधा बन रही है।
दुनिया भर में कीटनाशक मुक्त चाय की मांग बढ़ने के साथ ही उत्तरी बंगाल के चाय बागान जैविक खेती की ओर रुख कर रहे हैं। लेकिन, अनियमित मौसम की स्थिति पूरी तरह से रसायन मुक्त बनने के उनके प्रयासों में बाधा बन रही है।
By Gaon Connection
दुनिया भर में कीटनाशक मुक्त चाय की मांग बढ़ने के साथ ही उत्तरी बंगाल के चाय बागान जैविक खेती की ओर रुख कर रहे हैं। लेकिन, अनियमित मौसम की स्थिति पूरी तरह से रसायन मुक्त बनने के उनके प्रयासों में बाधा बन रही है।
दुनिया भर में कीटनाशक मुक्त चाय की मांग बढ़ने के साथ ही उत्तरी बंगाल के चाय बागान जैविक खेती की ओर रुख कर रहे हैं। लेकिन, अनियमित मौसम की स्थिति पूरी तरह से रसायन मुक्त बनने के उनके प्रयासों में बाधा बन रही है।
By गाँव कनेक्शन
असम में चाय उद्योग, जलवायु परिवर्तन के प्रतिकूल प्रभावों के साथ-साथ इस साल कोरोना लॉकडाउन के कारण भी अधिक प्रभावित हुआ। उसमें भी छोटे चाय उत्पादक सबसे ज्यादा प्रभावित हैं।
असम में चाय उद्योग, जलवायु परिवर्तन के प्रतिकूल प्रभावों के साथ-साथ इस साल कोरोना लॉकडाउन के कारण भी अधिक प्रभावित हुआ। उसमें भी छोटे चाय उत्पादक सबसे ज्यादा प्रभावित हैं।
By Gaon Connection
असम के कछार जिले के एक दूर दराज इलाके में एक युवा चाय बागान मालिक चाय उत्पादन के मामले में अपने गाँव को एक बड़ा हब बनाने की योजना बना रहा है। जब सोनाचेरा-2 गांव में अपनी पुश्तैनी जमीन पर चाय की खेती शुरू करने के लिए उन्हें पैसे की कमी पड़ी तो इसके लिए उन्होंने बेंगलुरु में एक सुरक्षा गार्ड के रूप में काम करने से भी गुरेज नहीं किया।
असम के कछार जिले के एक दूर दराज इलाके में एक युवा चाय बागान मालिक चाय उत्पादन के मामले में अपने गाँव को एक बड़ा हब बनाने की योजना बना रहा है। जब सोनाचेरा-2 गांव में अपनी पुश्तैनी जमीन पर चाय की खेती शुरू करने के लिए उन्हें पैसे की कमी पड़ी तो इसके लिए उन्होंने बेंगलुरु में एक सुरक्षा गार्ड के रूप में काम करने से भी गुरेज नहीं किया।