By Gaon Connection
मेहसाणा के लुनासन गाँव में एक किसान ने खेती को जंगल में बदल दिया और जंगल की तरह खेती को। अमोल खडसरे ने पर्माकल्चर मॉडल अपनाते हुए 1000 से अधिक पेड़-पौधों, औषधियों, सब्जियों और जंगली घासों को एक साथ उगाया, बिना केमिकल, बिना तनाव और बिना अत्यधिक पानी के। आज उनका खेत सिर्फ कृषि उत्पादन नहीं, बल्कि एक जीवित इकोसिस्टम है
मेहसाणा के लुनासन गाँव में एक किसान ने खेती को जंगल में बदल दिया और जंगल की तरह खेती को। अमोल खडसरे ने पर्माकल्चर मॉडल अपनाते हुए 1000 से अधिक पेड़-पौधों, औषधियों, सब्जियों और जंगली घासों को एक साथ उगाया, बिना केमिकल, बिना तनाव और बिना अत्यधिक पानी के। आज उनका खेत सिर्फ कृषि उत्पादन नहीं, बल्कि एक जीवित इकोसिस्टम है
By Deepak Acharya
By गाँव कनेक्शन
जामुन से वाइन बनाने वाली कंपनियों के बीच सीआईएसएच की नई किस्म जामवंत काफी लोकप्रिय हो रही है, जिसमें 90 प्रतिशत से अधिक गूदा पाया जाता है और नाममात्र की गुठली होती है।
जामुन से वाइन बनाने वाली कंपनियों के बीच सीआईएसएच की नई किस्म जामवंत काफी लोकप्रिय हो रही है, जिसमें 90 प्रतिशत से अधिक गूदा पाया जाता है और नाममात्र की गुठली होती है।
By Dr Shailendra Rajan
सीजन की शुरुआत में, जामुन बाजार पर सबसे महंगा स्वदेशी फल है। लोग एक किलोग्राम के लिए 300 रुपये देने से नहीं हिचकते हैं। मई के अंतिम सप्ताह के दौरान, यह वास्तव में आम की किस्मों की तुलना में अधिक महंगा होता है।
सीजन की शुरुआत में, जामुन बाजार पर सबसे महंगा स्वदेशी फल है। लोग एक किलोग्राम के लिए 300 रुपये देने से नहीं हिचकते हैं। मई के अंतिम सप्ताह के दौरान, यह वास्तव में आम की किस्मों की तुलना में अधिक महंगा होता है।
By Divendra Singh
By गाँव कनेक्शन
गुलाब जामुन हो या रसगुल्ला मीठे का शौकीन इन्हें खाने से खुद को शायद ही रोक पाता है, ऐसा ही मशहूर है लखीमपुर खीरी के मैगलगंज का गुलाब जामुन, जिसे लेने के लिए लाइन लगी रहती है।
गुलाब जामुन हो या रसगुल्ला मीठे का शौकीन इन्हें खाने से खुद को शायद ही रोक पाता है, ऐसा ही मशहूर है लखीमपुर खीरी के मैगलगंज का गुलाब जामुन, जिसे लेने के लिए लाइन लगी रहती है।
By Gaon Connection
राजस्थान के उदयपुर के आदिवासी गाँव डाँग में राजीव ओझा ने एक ऐसा इकोसिस्टम बनाया है, जहाँ ये सीजनल फ्रूट्स आदिवासी महिलाओं से अच्छे दाम पर खरीद लेते हैं और फिर उन्हीं फलों को प्रोसेस करके अलग-अलग प्रोडक्ट बना कर बाज़ार में उतार देते हैं।
राजस्थान के उदयपुर के आदिवासी गाँव डाँग में राजीव ओझा ने एक ऐसा इकोसिस्टम बनाया है, जहाँ ये सीजनल फ्रूट्स आदिवासी महिलाओं से अच्छे दाम पर खरीद लेते हैं और फिर उन्हीं फलों को प्रोसेस करके अलग-अलग प्रोडक्ट बना कर बाज़ार में उतार देते हैं।
By Manvendra Singh
राजस्थान के उदयपुर के आदिवासी गाँव डाँग में राजीव ओझा ने एक ऐसा इकोसिस्टम बनाया है, जहाँ ये सीजनल फ्रूट्स आदिवासी महिलाओं से अच्छे दाम पर खरीद लेते हैं और फिर उन्हीं फलों को प्रोसेस करके अलग-अलग प्रोडक्ट बना कर बाज़ार में उतार देते हैं।
राजस्थान के उदयपुर के आदिवासी गाँव डाँग में राजीव ओझा ने एक ऐसा इकोसिस्टम बनाया है, जहाँ ये सीजनल फ्रूट्स आदिवासी महिलाओं से अच्छे दाम पर खरीद लेते हैं और फिर उन्हीं फलों को प्रोसेस करके अलग-अलग प्रोडक्ट बना कर बाज़ार में उतार देते हैं।
By डॉ दीपक आचार्य
By गाँव कनेक्शन