By Pankaj Tripathi
By Pankaj Tripathi
By Divendra Singh
सीएसआईआर-सीएमईआरआई द्वारा विकसित रिट्रैक्टेबल रूफ पॉलीहाउस से किसान पॉलीहाउस में मौसमी और गैर-मौसम वाली दोनों ही तरह की फसलों की खेती कर सकते हैं।
सीएसआईआर-सीएमईआरआई द्वारा विकसित रिट्रैक्टेबल रूफ पॉलीहाउस से किसान पॉलीहाउस में मौसमी और गैर-मौसम वाली दोनों ही तरह की फसलों की खेती कर सकते हैं।
By Neetu Singh
By गाँव कनेक्शन
अभी तक आपने पॉलीहाउस के बारे में सुना होगा, जिसे बनाने में लाखों रुपए खर्च होते हैं। लेकिन अगर आपसे ये कहा जाए कि आप कम लागत में नेचुरल ग्रीन हाउस बना सकते हैं, तो शायद यक़ीन करना मुश्किल होगा। कैसे मुमकिन है इसे तैयार करना इसी से जुड़ी है ये रिपोर्ट।
अभी तक आपने पॉलीहाउस के बारे में सुना होगा, जिसे बनाने में लाखों रुपए खर्च होते हैं। लेकिन अगर आपसे ये कहा जाए कि आप कम लागत में नेचुरल ग्रीन हाउस बना सकते हैं, तो शायद यक़ीन करना मुश्किल होगा। कैसे मुमकिन है इसे तैयार करना इसी से जुड़ी है ये रिपोर्ट।
By गाँव कनेक्शन
सीडलेस खीरे की इस किस्म की खेती किसान साल में तीन बार कर सकते हैं, साथ ही यह किस्म दूसरी किस्मों के मुकाबले अधिक उत्पादन भी देती है।
सीडलेस खीरे की इस किस्म की खेती किसान साल में तीन बार कर सकते हैं, साथ ही यह किस्म दूसरी किस्मों के मुकाबले अधिक उत्पादन भी देती है।
By Bidyut Majumdar
By Divendra Singh
By Gaon Connection
मॉरीशस को गन्ने का देश कहा जाता है, लेकिन बाज़ार में टमाटर और खीरे की बढ़ती मांग अब यहाँ के किसानों को आसान विकल्प लगने लगा है। कई किसान अब सब्ज़ी उगाने के तरीके सीख रहे हैं और सरकार भी प्रोत्साहित कर रही है। इन किसानों में बड़ी तादाद महिलाओं की है।
मॉरीशस को गन्ने का देश कहा जाता है, लेकिन बाज़ार में टमाटर और खीरे की बढ़ती मांग अब यहाँ के किसानों को आसान विकल्प लगने लगा है। कई किसान अब सब्ज़ी उगाने के तरीके सीख रहे हैं और सरकार भी प्रोत्साहित कर रही है। इन किसानों में बड़ी तादाद महिलाओं की है।
By गाँव कनेक्शन
मॉरीशस को गन्ने का देश कहा जाता है, लेकिन बाज़ार में टमाटर और खीरे की बढ़ती मांग अब यहाँ के किसानों को आसान विकल्प लगने लगा है। कई किसान अब सब्ज़ी उगाने के तरीके सीख रहे हैं और सरकार भी प्रोत्साहित कर रही है। इन किसानों में बड़ी तादाद महिलाओं की है।
मॉरीशस को गन्ने का देश कहा जाता है, लेकिन बाज़ार में टमाटर और खीरे की बढ़ती मांग अब यहाँ के किसानों को आसान विकल्प लगने लगा है। कई किसान अब सब्ज़ी उगाने के तरीके सीख रहे हैं और सरकार भी प्रोत्साहित कर रही है। इन किसानों में बड़ी तादाद महिलाओं की है।