By दिति बाजपेई
By गाँव कनेक्शन
प्रोजेक्ट बोल्ड (bamboo Oasis on Lands in Drought) के तहत लेह में बांस के पौधे लगाए जा रहे हैं। लेह-लद्दाख के मठों में बड़े पैमाने पर अगरबत्तियों का इस्तेमाल होता है, जो अभी तक दूसरे राज्यों से आती हैं। बांस के पौधों के प्रयोग के सफल होने पर इनका निर्माण स्थानीय स्तर पर किया जाएगा।
प्रोजेक्ट बोल्ड (bamboo Oasis on Lands in Drought) के तहत लेह में बांस के पौधे लगाए जा रहे हैं। लेह-लद्दाख के मठों में बड़े पैमाने पर अगरबत्तियों का इस्तेमाल होता है, जो अभी तक दूसरे राज्यों से आती हैं। बांस के पौधों के प्रयोग के सफल होने पर इनका निर्माण स्थानीय स्तर पर किया जाएगा।
By India Science Wire
बांस बहुत काम का होता है और दुनिया में आर्थिक रूप से सबसे महत्वपूर्ण पौधों में से एक है। बांस के शूट्स का भोजन के रूप में और कई पारंपरिक खाद्य पदार्थों में उपयोग किया जाता है। पुराने समय से ही बांस के कोपलों का प्रयोग खाद्य पदार्थ के तौर पर होता आया है।
बांस बहुत काम का होता है और दुनिया में आर्थिक रूप से सबसे महत्वपूर्ण पौधों में से एक है। बांस के शूट्स का भोजन के रूप में और कई पारंपरिक खाद्य पदार्थों में उपयोग किया जाता है। पुराने समय से ही बांस के कोपलों का प्रयोग खाद्य पदार्थ के तौर पर होता आया है।
By Shubham Koul
By Brijendra Dubey
उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर में वन विभाग आदिवासी महिलाओं के दस्तकारी के हुनर को तराश रहा है। स्थानीय स्तर पर मौजूद बांस का उपयोग कर इन महिलाओं की आमदनी को बढ़ाने के प्रयास हो रहे हैं। इस काम में असम की एक डिजाइन कंसल्टेंट की मदद भी ली जा रही है। कुछ पुरुष भी इस फ्री ट्रेनिंग में शामिल हुए और अब वे बांस से ज्वेलरी, राखी, चटाई, शोपीस, फूलदान जैसी चीजें बना रहे हैं।
उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर में वन विभाग आदिवासी महिलाओं के दस्तकारी के हुनर को तराश रहा है। स्थानीय स्तर पर मौजूद बांस का उपयोग कर इन महिलाओं की आमदनी को बढ़ाने के प्रयास हो रहे हैं। इस काम में असम की एक डिजाइन कंसल्टेंट की मदद भी ली जा रही है। कुछ पुरुष भी इस फ्री ट्रेनिंग में शामिल हुए और अब वे बांस से ज्वेलरी, राखी, चटाई, शोपीस, फूलदान जैसी चीजें बना रहे हैं।
By Kirti Shukla
By Divendra Singh
By गाँव कनेक्शन
By Mohit Asthana
By Pushpendra Vaidya