By Sanjay Srivastava
By Arvind shukkla
By गाँव कनेक्शन
By Sanjay Srivastava
By गाँव कनेक्शन
By Sanjay Srivastava
By Sanjay Srivastava
By गाँव कनेक्शन
By Dr SB Misra
भाषा और धर्म की विविधता भारत की सांस्कृतिक संपदा है, लेकिन यही विविधता कभी-कभी समाज को विभाजित भी करती है। मराठा मानुष की राजनीति से लेकर दक्षिण भारत में हिंदी विरोध तक, और यूरोप तथा कनाडा के भाषाई संघर्षों के संदर्भ में भारत की एकता पर विचार करने की ज़रूरत है। क्या भारत में एक साझा राष्ट्रभाषा संभव है? और क्या भाषाई असहिष्णुता भविष्य में भारत की अखंडता के लिए खतरा बन सकती है?
भाषा और धर्म की विविधता भारत की सांस्कृतिक संपदा है, लेकिन यही विविधता कभी-कभी समाज को विभाजित भी करती है। मराठा मानुष की राजनीति से लेकर दक्षिण भारत में हिंदी विरोध तक, और यूरोप तथा कनाडा के भाषाई संघर्षों के संदर्भ में भारत की एकता पर विचार करने की ज़रूरत है। क्या भारत में एक साझा राष्ट्रभाषा संभव है? और क्या भाषाई असहिष्णुता भविष्य में भारत की अखंडता के लिए खतरा बन सकती है?
By मंजीत ठाकुर