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By गाँव कनेक्शन
By गाँव कनेक्शन
सावन आते ही गाँवों में झूले पड़ जाते हैं और गाया जाता है लोकगीत कजरी। आख़िर सावन में ही क्यों कजरी गाई जाती है और कितने तरह की कजरी होती है चलिए जानते हैं।
सावन आते ही गाँवों में झूले पड़ जाते हैं और गाया जाता है लोकगीत कजरी। आख़िर सावन में ही क्यों कजरी गाई जाती है और कितने तरह की कजरी होती है चलिए जानते हैं।
By Mohit Saini
पश्चिमी उत्तर प्रदेश में सावन महीने की ख़ास मिठाई घेवर की मिठास को इस बार कोरोना महामारी ने फीका कर दिया है। सावन महीने में इस मिठाई का सबसे बड़ा व्यापार होता था लेकिन इस बार ऐसा नहीं है।
पश्चिमी उत्तर प्रदेश में सावन महीने की ख़ास मिठाई घेवर की मिठास को इस बार कोरोना महामारी ने फीका कर दिया है। सावन महीने में इस मिठाई का सबसे बड़ा व्यापार होता था लेकिन इस बार ऐसा नहीं है।
By गाँव कनेक्शन
By डॉ दीपक आचार्य
सतपुड़ा वनांचलों में बसे आदिवासियों के लिए श्रावण मास का बहुत महत्व है। पर्यावरण संतुलन और वन संरक्षण को लेकर जितने सजग ये वनवासी हैं, गोलमेज पर बैठकर चिंतन करने वाले तथाकथित शिक्षा और पर्यावरणविद नहीं। चाहे वनवासियों की मान्यताओं की बात करूं या उनकी दैनिक जीवन शैली की, वन और पर्यावरण की बातें हमेशा उनके करीब होती हैं।
सतपुड़ा वनांचलों में बसे आदिवासियों के लिए श्रावण मास का बहुत महत्व है। पर्यावरण संतुलन और वन संरक्षण को लेकर जितने सजग ये वनवासी हैं, गोलमेज पर बैठकर चिंतन करने वाले तथाकथित शिक्षा और पर्यावरणविद नहीं। चाहे वनवासियों की मान्यताओं की बात करूं या उनकी दैनिक जीवन शैली की, वन और पर्यावरण की बातें हमेशा उनके करीब होती हैं।
By गाँव कनेक्शन
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By गाँव कनेक्शन
By अमित सिंह