90 साल बाद बदलेगा आरएसएस का कलेवर, हाफ पैंट की जगह लेगी फुल पैंट
गाँव कनेक्शन | Sep 16, 2016, 16:08 IST
नई दिल्ली (भाषा)। 90 साल के बाद राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने अपने पहवाने में तब्दीली की है। अब स्वयंसेवक खाकी हाफ पैंट की जगह भूरे रंग की फुल पैंट पहना करेंगे। इसका फैसला राजस्थान के नागौर में चल रही आरएसएस की तीन दिनों की कार्यशाला के आखिरी दिन लिया गया।
इस बारे में जानकारी देते हुए आरएसएस के सुरेश जोशी ने कहा, 'हमारी पहचान केवल खाकी हाफ पैंट से ही नहीं है, बल्कि अन्य कई चीजें भी हैं, जो हमारी पहचान में शामिल हैं। जब हम नए रंग का उपयोग करना शुरू कर देंगे, तो लोगों को धीरे-धीरे इसकी आदत हो जाएगी।'
जब शनिवार को बैठक में हाफ पैंट को बदलने का निर्णय लिया जा रहा था, तो कुछ सदस्यों ने पैंट का रंग बदलने के फैसले पर पुनर्विचार करने को कहा। एक वरिष्ठ कार्यकर्ता का कहना है कि खाकी रंग एक प्रतीक है, जिसे नहीं बदला जाना चाहिए। ठीक उसी प्रकार से जैसे नीले रंग को दलितों से जोड़कर देखा जाता है, वैसे ही यह संघ का राजनीतिक प्रतीक है। अभी तक खाकी पैंट के साथ काली टोपी, सफेद शर्ट, भूरे मोजे और बांस का डंडा आरएसएस के पारंपरिक परिधान में शामिल रहे हैं, जिन्हें 'गणवेश' कहा जाता है।
इस बारे में जानकारी देते हुए आरएसएस के सुरेश जोशी ने कहा, 'हमारी पहचान केवल खाकी हाफ पैंट से ही नहीं है, बल्कि अन्य कई चीजें भी हैं, जो हमारी पहचान में शामिल हैं। जब हम नए रंग का उपयोग करना शुरू कर देंगे, तो लोगों को धीरे-धीरे इसकी आदत हो जाएगी।'
जब शनिवार को बैठक में हाफ पैंट को बदलने का निर्णय लिया जा रहा था, तो कुछ सदस्यों ने पैंट का रंग बदलने के फैसले पर पुनर्विचार करने को कहा। एक वरिष्ठ कार्यकर्ता का कहना है कि खाकी रंग एक प्रतीक है, जिसे नहीं बदला जाना चाहिए। ठीक उसी प्रकार से जैसे नीले रंग को दलितों से जोड़कर देखा जाता है, वैसे ही यह संघ का राजनीतिक प्रतीक है। अभी तक खाकी पैंट के साथ काली टोपी, सफेद शर्ट, भूरे मोजे और बांस का डंडा आरएसएस के पारंपरिक परिधान में शामिल रहे हैं, जिन्हें 'गणवेश' कहा जाता है।