अंधकार की ओर छात्रों का भविष्य

गाँव कनेक्शन | Sep 16, 2016, 16:01 IST
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खीरों (रायबरेली)। एक तरफ जहां सरकारी शिक्षा व्यवस्था सुधारने के लिए हाईकोर्ट ने सभी सरकारी कर्मचारियों के बच्चों को सरकारी स्कूलों में पढ़ने का फैसला सुनाया हैवहीं दूसरी तरफ स्कूलों में बच्चों को शिक्षित करने के नाम पर सिर्फ़ खानापूर्ति हो रही है।

सरकारी शिक्षा की दिशा निर्धारित न होने से जिले के सरकारी स्कूलों में पंजीकृत 2.79 लाख छात्र-छात्राओं का भविष्य अंधकार की ओर जा रहा है। जिला मुख्यालय से 35 किमी दूर स्थित खीरों ब्लॉक के पूरे शेर सिंह मजरे निहस्था के मो. जब्बार 42 वर्ष बताते है, ''इन हालातों में जनप्रतिनिधियों, नौकरशाहों और अधिकारियों के बच्चें स्कूल में कैसे पढ़ेगें। परिषदीय स्कूलों के कार्य सिर्फ यूनीफार्म, पाठ्य पुस्तक वितरण एवं एमडीएम तक ही सीमित रह गए है। इस स्थिति में कैसे सरकारी स्कूलों में पढ़ाई का माहौल बनेगा।" योजनाओं का संचालन भी स्कूलों में नहीं हो पा रहा है। योजनाओं का दम भरने वाली सहकारी स्कूलों की दशा भी गुब्बारे की तरह उड़ती नजर आ रही है। रायबरेली जिले में प्रथमिक एवं उच्च प्राथमिक स्कूलों की संख्या 2700 है, इसके बाद भी जिले के कई ऐसे क्षेत्र है जिनको अभी तक शिक्षा की धारा से नहीं जोड़ा जा सका है।

इसी गाँव के रहने वाले रामरतन वर्मा (53 वर्ष) बताते है, ''खीरों ब्लॉक के स्कूलों में पंजीकृत 2.79 लाख छात्र अपने भविष्य को खेाजते फिर रहे हैं, लेकिन उन्हे शिक्षा की रोशनी की कोई किरण नजर नहीं आ रही है। व्यवस्था के नाम पर न ही बैठने की जगह है और न ही पठन-पाठन सामग्री की। इन हालातों के बीच पढ़ाई के नाम सिर्फ क, ख, ग ही सिखाया जाता है। ग्रामीण क्षेत्रों के स्कूलों के बच्चे तो ठीक से बोल भी नहीं पाते है फिर कैसे सम्भव होगा कि सहकारी स्कूलों में जन प्रतिनिधियों, नौकरशाहो और न्यायाधीशें के बच्चे पढ़ते दिखाई देंगे।"

इसी ग्रामसभा के रहने वाले ग्राम प्रधान कमलेश पासवान (45 वर्ष) बताते है, ''हाईकोर्ट द्वारा सहकारी शिक्षा सुधारने के लिए एक अच्छा फैसला सुनाया गया था लेकिन इस फैसले को अमल करने के लिए विभागीय अफसरों द्वारा कोई पहल नहीं की गई। ऐसे में बेसिक शिक्षा बेपटरी और रामभरोसे ही हो चुकी है।" कुछ ऐसी ही दशा दर्शा रही ग्राम पूरे शेर सिंह मजरे निहस्था का प्राथमिक विद्यालय की जहां शौचालय न तो साफ दिख रहे हैं और न ही उन्हे स्वच्छ बनााने का प्रयास किया गया है। कक्षा में मौजूद बच्चें इधर-उधर देखते और लेटे हुए आराम फरमाते नजर आ रहे है ऐसे में इन हालातों के बीच कैसे संवरेगा देश का भविष्य।

रिपोर्टर - अनुराग त्रिवेदी


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