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भीख मांंग कर दामाद का इलाज करा रही लखनऊ की जैतुन निशां

गाँव कनेक्शन | Sep 16, 2016, 16:19 IST
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लखनऊ। घर में खाने को नहीं है, लेकिन हर रोज 400 से 500 रुपए तक की दवा लाती हूं। पैसा न होने के कारण कहीं एडमिट नहीं कराया है। घर में छह लोग हैं दो दिन से खाना नहीं बना है। यह बताते-बताते आंखों में आंसू आ गए। यह कहानी है आजाद नगर निवासी जैतुन निशां की।

उन्होंने यूपी सरकार से लेकर प्रधानमंत्री तक मदद की गुहार लगाई, लेकिन अभी तक कोई नतीजा नहीं निकला। जैतुन निशां ने बताया, “मुझे पैसा नहीं चाहिए, बस मुझे अपने कैंसर से पीड़ित दामाद बदरूद्दीन का इलाज दिल्ली में कराना है। उनको ले जाने के लिए एक एम्बुलेंस का इंतजाम और इलाज का खर्चा बस इतनी ही मदद चाहिए।” उनका यह भी कहना है, “सरकार मेरे हाथ में पैसा न दे। जहां मैं चाहती हैं बस वहां इलाज करा दे।”

अस्पतालों से मिला धोखा

जैतुन निशां बताती हैं, “केजीएमयू में इलाज तब शुरू हुआ था। जब कैंसर की बीमारी पहले स्टेज पर थी, तो उसे कानपुर के एक प्राइवेट रॉयल अस्पताल में भर्ती कराया। वहां भी ऑपरेशन की सिर्फ तारीख मिलती रही। एक दिन वह भी आया जब डॉक्टरों ने बोला की कल ऑपरेशन करना है। सब कुछ बेंचकर पैसों का इंतजाम किया, लेकिन उनको एक बार फिर धोखा ही मिला और ऑपरेशन की तारीख आगे बढ़ा दी गई।” वह आगे बताती हैं, “पैसा खत्म हो जाने के बाद वहां डॉक्टरों ने एक जांच लिखी और उसके बाद मरीज को पीजीआई रेफर कर दिया। पैसे की मदद के लिए मैंने ने प्रधानमंत्री कार्यालय में गुहार लगाई। वहां से उसे एक लाख रुपए की मदद मिली। पैसा आ जाने के बाद रॉयल अस्पताल के डॉक्टरों ने बोला कि अभी एक-दो दिन और देख लेते हैं, लेकिन मैं रॉयल अस्पताल की चालाकी भाप चुकी थी। इसलिए मरीज को पीजीआई ले आई है। वहां भी मुझे निराशा ही हाथ लगी और पैसा खत्म हो जाने के बाद घर ले आई।”

अब तक इलाज में लग चुके हैं नौ लाख रुपए

प्रधानमंत्री कार्यालय से मिली एक लाख की मदद से जैतुन निशां को कुछ राहत तो मिली, लेकिन यह राहत भी न के बराबर ही थी। अब तक इलाज में नौ लाख रुपये लग चुके हैं। हर तरफ से हार चुकी जैतुन ने सरकार के आगे हाथ फैलाए। स्थानीय विधायक से भी मदद की गुहार लगाई, लेकिन हाथ कुछ भी न लगा। थक-हारकर जैतुन अपने दामाद को घर ले आई हैं और मेडिकल कालेज की लिखी हुई दवाओं से दामाद का दर्द कम करने की कोशिश कर रही हैं। मेडिकल कालेज की दवाओं का खर्चा भी एक दिन में 400 से 500 सौ रुपए तक है। दवा लाने के लिए वह सुबह हाथ में दामाद की बीमारी की फाइल लेकर भीख मांगने निकल जाती हैं।”

रिपोर्टर - दरख्शां कदीर सिद्दीकी

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