जान लेंगी ये नकली दवाएं

अमित सिंहअमित सिंह   27 Jun 2016 5:30 AM GMT

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लखनऊ। जिन दवाओं को हम बेहतर स्वास्थ्य के लिए दुकानों से खरीद लेते हैं, ये दवाएं उल्टा असर नहीं करेंगी, इसकी कोई गारंटी नहीं है।   

प्रदेश समेत देश में नकली दवाओं का बाजार लगातार बढ़ता जा रहा है, इन नकली दवाओं को एक आम आदमी के द्वारा पहचान पाना बड़ा मुश्किल काम है। कई वर्षों से दवाओं पर रिसर्च करने वाले डॉ. सौरभ परमार तो यहां तक कहते हैं, “देश में बिकने वाली कुल दवाओं में से 25 फीसदी नकली हैं। सिर्फ़ पैकिंग से नकली दवाओं की पहचान कर पाना मुश्किल है। सबसे बड़ी मुश्किल ये है कि नकली दवाओं में क्योर कंटेट (बीमारी दूर करने का तत्व) असली दवा के मुकाबले बेहद कम होता है।”

भारत में छोटी-बड़ी 10,500 दवा कंपनियां हैं जो करीब 90,000 दवाओं के ब्रांड बनाती हैं। एक सर्वे के मुताबिक भारत में अंग्रेज़ी दवाओं का 92,000 करोड़ रुपये का कारोबार है। वर्ष 2017 तक नकली दवाओं का कारोबार करीब सात खरब रुपए तक पहुंचने की उम्मीद है। ‘’नकली दवाओं का मामला बहुत बड़ा है। यह एक महामारी की तरह है, जिसे रोकाजाना लगभग असंभव लगता है। नकली दवाओं से मरीज़ को ऐसी बीमारी हो सकती है जिसका इलाज शायद हमारे पास हो ही नहीं।’’ नोएडा के मेट्रो हॉर्ट हॉस्पिटल में सीनियर डॉक्टर ओमकुमारी गुप्ता कहती हैं।

यूपी, बिहार, हरियाणा, चंडीगढ़, मध्य प्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र, दिल्ली और नोएडा में नकली दवाओं का सबसे बड़ा हब है।  लखनऊ की अमीनाबाद दवा मंडी में असली दवाओं के साथ-साथ नकली दवाएं भी धड़ल्ले से बेची जा रही हैं। चारकोल से बनी दर्द निवारक दवाएं, जहरीले आर्सेनिक वाली भूख मिटाने की दवा और नपुंसकता का इलाज करने के लिए दवा के नाम पर सादा पानी बेचा जा रहा है।  उत्तर प्रदेश के ड्रग कंट्रोलर एके मलहोत्रा बताते हैं, ‘’दरअसल नकली दवाओं को दो हिस्सों में बांटा गया है।

पहला फेक(नकली) और दूसरा स्फूरियस (एक दवा की कॉपी)। ड्रग एक्ट में फेक दवा जैसा कोई कॉनसेप्ट नहीं है। स्फूरियस दवाओं में ड्रग कंटेंट (बीमारी से लड़ने के तत्व) तय मानकों से कम या बहुत कम होते हैं। जो बीमार इंसान को ठीक करने की बजाय और बीमार बना देते हैं।’’“नकली दवाओं पर लगाम लगाना इसलिए भी कठिन है क्योंकि हर दवा का नाम का नातो कॉपीराइट होता है और ना ही उसके नाम का रजिस्ट्रेशन कराया जा सकता है। इसलिए बाज़ार नकली दवाओं के नाम भी असली दवाओं से मेल खाते हैं।” ड्रग कंट्रोलर एके मलहोत्रा बताते हैं। नकली दवाएं इतनी खतरनाक हैं, इस बारे में 24 जून, 2015 को सीबीआई डायरेक्ट अनिल सिन्हा कहा था कि पिछले 40 साल में आतंकवाद के कारण जितने लोग मारे गए हैं, नकली दवाओं के इस्तेमाल से उतने लोग एक साल में मरते हैं।

सिन्हा यह आंकड़ा इंटरपोल के हवाले से दिया था। वहीं, यूपी के असिस्टेंट कमिश्नर (ड्रग) अनूप कुमार बताते हैं, ‘’छापेमारी में पकड़ी गई दवाओं की सैम्पलिंग करने के बाद पता चलता है कि दवा असली है या नकली। नकली दवा बनाने और बेचने वाले पर कड़ी सज़ा का प्रावधान है।” कठोर नियम भी नहीं रो पा रहे नकली दवा का कारोबार: नकली दवाएं बनाने और बेचने वालों के खिलाफ़ ड्रग्स एंड कॉस्मैटिक्स एक्ट एंड रूल में कड़ी सज़ा का प्रावधान है। यूपी के ड्रग कंट्रोलर एके मलहोत्रा के मुताबिक़, ‘’नकली दवा बनाने या बेचने वालों के खिलाफ़ सख्त कार्रवाई के निर्देश हैं। ड्रग एक्ट के तहत दोषी को जुर्माने के साथ-साथ आजीवन कारावास की सज़ा भी सुनाई जा सकती है।” 

चले हत्या का मुकदमा:  उत्तर प्रदेश मेडिकल एसोसिएशन के अध्यक्ष विजय कुमार नकली दवा बेचने वालों पर हत्या का मुकदमा चलाने की बात कह रहे हैं। ‘’नकली दवाएं बनाने और बेचने वालों के खिलाफ़ हत्या का मुक़दमा चलना चाहिए। केजीएमयू में रोज़ाना बड़ी मात्रा में दवाएं मंगाई जाती हैं। हम रेग्यूलर बेसिस पर हर दवा का सैंपल लैब में जांच के लिए भेजते हैं। देशभर में नकली दवाओं की वजह से अनगिनत लोग मारे जा रहे हैं।” 

नकली दवाओं से बचने के लिए क्या करें?

सस्ती दवाओं से सावधान रहें, अच्छी दवा की दुकानों से ही दवाएं खरीदें, रैपर पर नाम और दवा कंपनी चेक करें, दवा की स्पेलिंग भी चेक करें, मेडिकल स्टोर से दवा का बिल लेना ना भूलें

नकली दवाओं से होने वाली गंभीर बीमारियां

बांझपन, हड्डियां कमज़ोर होना, नपुंसकता, शरीर कमज़ोर होना, अंधापन, रोग प्रतिरोधक क्षमता खत्म होना, शरीर पर दवा का असर होना बंद, दिल की बीमारी, हाईपर टेंशन, लीवर कमज़ोर होना, किडनियों में इंफेक्शन, स्किन कैंसर, ब्लड कैंसर, पेट का ट्यूमर

 

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