कैंसर के इलाज के लिए भारतीय वैज्ञानिकों ने विकसित की तकनीक
गाँव कनेक्शन | Sep 16, 2016, 16:10 IST
वाशिंगटन (भाषा)। मेसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी और हार्वर्ड मेडिकल स्कूल से जुड़े भारतीय वैज्ञानिकों के एक दल ने एक नैनो-तकनीक विकसित कर कैंसर के इलाज में एक बड़ी उपलब्धि हासिल की है। यह नैनो-तकनीक उपचार के कुछ ही घंटे के भीतर कैंसर थैरेपी के प्रभाव का निरीक्षण कर सकती है।
एमआईटी के ब्रिघम एंड वूमन्स हॉस्पिटल में प्रमुख अन्वेषक शिलादित्य सेन गुप्ता ने कहा, ''हमने एक नैनो-तकनीक विकसित की है जो पहले ट्यूमर विशेष को कैंसर-रोधी दवा पहुंचाती है और फिर अगर ट्यूमर ख़त्म होना या कम होना शुरू कर देता है तो वो ट्यूमर को साथ के साथ प्रकाशित करना शुरू कर देती है।''
बीडब्ल्यूएच की ओर से जारी बयान में कहा गया कि इसमें एक ऐसे नैनोपार्टिकल का इस्तेमाल किया जाता है जो पहले दवा पहुंचाता है और फिर जब कैंसर वाली कोशिकाएं नष्ट होना शुरु होती हैं तो ये हरे रंग की चमक पैदा करता है। इस तरह किसी उपचार से ट्यूमर नष्ट हो रहा है या नहीं इसका पता इस चमक को देखकर लगाया जा सकता है।
यह तकनीक मौजूदा चिकित्सीय माध्यमों की तुलना में उपचार की उपयोगिता का पता जल्दी लगा लेती है। गुप्ता ने कहा, ''इस तरह आप साथ के साथ ये पता लगा सकते हैं कि कीमोथेरेपी काम कर रही है या नहीं। इससे आप जल्द ही मरीज को सही दवा दे सकते हैं। इससे आपको महीनों तक विषाक्त कीमोथेरेपी लेते हुए इंतजार नहीं करना पडता, जिसमें कई बार पता लगता है कि दवा ने तो काम ही नहीं किया और कई उल्टे असर हो गए हैं।''
एमआईटी के ब्रिघम एंड वूमन्स हॉस्पिटल में प्रमुख अन्वेषक शिलादित्य सेन गुप्ता ने कहा, ''हमने एक नैनो-तकनीक विकसित की है जो पहले ट्यूमर विशेष को कैंसर-रोधी दवा पहुंचाती है और फिर अगर ट्यूमर ख़त्म होना या कम होना शुरू कर देता है तो वो ट्यूमर को साथ के साथ प्रकाशित करना शुरू कर देती है।''
बीडब्ल्यूएच की ओर से जारी बयान में कहा गया कि इसमें एक ऐसे नैनोपार्टिकल का इस्तेमाल किया जाता है जो पहले दवा पहुंचाता है और फिर जब कैंसर वाली कोशिकाएं नष्ट होना शुरु होती हैं तो ये हरे रंग की चमक पैदा करता है। इस तरह किसी उपचार से ट्यूमर नष्ट हो रहा है या नहीं इसका पता इस चमक को देखकर लगाया जा सकता है।
यह तकनीक मौजूदा चिकित्सीय माध्यमों की तुलना में उपचार की उपयोगिता का पता जल्दी लगा लेती है। गुप्ता ने कहा, ''इस तरह आप साथ के साथ ये पता लगा सकते हैं कि कीमोथेरेपी काम कर रही है या नहीं। इससे आप जल्द ही मरीज को सही दवा दे सकते हैं। इससे आपको महीनों तक विषाक्त कीमोथेरेपी लेते हुए इंतजार नहीं करना पडता, जिसमें कई बार पता लगता है कि दवा ने तो काम ही नहीं किया और कई उल्टे असर हो गए हैं।''