महाराष्ट्र में बारिश ने फिर बिगाड़ा खेल, यूपी वालों को रुला सकती हैं फल, सब्ज़ियां

अमित सिंहअमित सिंह   2 July 2016 5:30 AM GMT

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लखनऊ। महाराष्ट्र में बीते तीन साल से जारी सूखे का असर अब उत्तर प्रदेश पर भी पड़ने की आशंका है। ऐसा इसलिए क्योंकि महाराष्ट्र से बड़े पैमाने पर फल और सब्ज़ियां यहां मंगाई जाती हैं। महाराष्ट्र के किसानों को हो रहे नुकसान का खामियाज़ा उत्तर प्रदेश के साथ-साथ उन राज्यों को चुकाना पड़ेगा जहां महाराष्ट्र से अनाज और फलों की सप्लाई की जाती है। मॉनसून में देरी के चलते तिलहन, दलहन, मक्का, धान, गन्ना, सोयाबीन, प्याज़, कपास और ज़रूरी फलों की खेती पर ख़ासा असर पड़ने की आशंका है यानि इन सभी मदों की कीमतों में इज़ाफ़ा होना तय है।

सूखे से किन चीज़ों पर होगा असर

  • प्याज़ महंगा होगा
  • टमाटर महंगा होगा
  • चीनी महंगी होगी
  • सोयाबीन महंगा होगा
  • मूंगफली महंगी होगी
  • चावल महंगा होगा
  • मक्का महंगा होगा

महाराष्ट्र में किसानों के साथ जो कुछ हो रहा है उसका असर उत्तर प्रदेश में भी देखने को मिलेगा। कृषि विकास निगम के कृषि वैज्ञानिक डॉ दया एस श्रीवास्तव कहते हैं, ''महाराष्ट्र में सूखे और फसलें बर्बाद होने का असर उत्तर प्रदेश में भी पड़ेगा। नेशनल सैंपल सर्वे आने के बाद सही-सही पता लगाया जा सकेगा कि कितनी बुआई हुई और कितना फीसदी रकबा घटा है। महाराष्ट्र में जो हालात बन रहे हैं उसका सबसे ज्यादा असर फल सब्ज़ी, मसाले, चावल, कपास, सोयाबीन और मूंगफली की आवक पर पड़ेगा। बाज़ार में प्याज़ की किल्लत भी हो सकती है और अगर ऐसा हुआ तो प्याज़ की कीमतें एक बार फिर से उत्तर प्रदेश समेत देश के कई राज्यों को रुला सकती हैं।''

अर्थव्यवस्था की हालत होगी खस्ता

नाबार्ड के पूर्व सीजीएम के के गुप्ता का कहना है, ''हमारा मौसम विभाग मौसम का पूर्वानुमान लगाने में नाक़ाम साबित हो रहा है। प्रधानमंत्री मोदी ने भी कहा था कि इस साल अच्छी बारिश होने की उम्मीद है लेकिन अगर देश के कुछ एक इलाकों को छोड़ दें तो बाक़ी इलाकों में कोई ख़ास बारिश नहीं हुई है। सिर्फ महाराष्ट्र ही नहीं देशभर के किसान डरे हुई हैं कहीं उनका निवेश बर्बाद ना हो जाए। ज्यादातर किसानों को लेट क्रॉप की जानकारी नहीं है। इस वजह से भी वो ख़ास फ़ायदा नहीं उठा पा रहे हैं। बीते तीन सालों से महाराष्ट्र में किसानों की हालत खराब है। अगर इस बार भी बारिश नहीं हुई तो किसान बर्बाद हो जाएगा साथ ही साथ अर्थव्यवस्था को भी तगड़ा झटका लगेगा।''

बिज़नेस चेंबर पीएचडी चेंबर ऑफ़ कॉमर्स के रीज़नल डायरेक्टर आरकेसरन की मानें तो सरकार खाद्य सुरक्षा की बात करती है। फूड सिक्योरिटी एक्ट में गरीबों को सिर्फ सस्ता अनाज मिलता है। क्या उन्हें सस्ती सब्ज़ियां या सबसे फल नहीं मुहैया करा सकते। क्या सस्ता चावल भर से देने गरीब और सूखे के शिकार किसानों का भला हो जाएगा। सिर्फ महाराष्ट्र में ही नहीं पूरे देश में जो हालात बन रहे हैं उससे देशभर में सब्जी और फलों की सप्लाई घटने वाली है। सप्लाई कम होने के चलते कीमतें बढ़ेंगी और गरीबों के साथ-साथ सामान्य नौकरीपेशा वर्ग को भी महंगाई की ज़हर पीना होगा। सिर्फ इतनी ही नहीं बारिश नहीं होने पर पशुओं के लिए चारे की कमी हो जाएगी जिससे मिल्क और मीट इंडस्ट्री का उत्पादन भी प्रभावित होगा।''

इस साल 70% कम उत्पादन की आशंका

महाराष्ट्र एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी के एग्री इकोनॉमिक्स डॉ ढोंढे मधुकर बताते हैं, ''महाराष्ट्र के कई इलाकों में बारिश सिर्फ नाम मात्र के लिए हुई है। कुछ जगहों पर 60 फीसदी से भी कम बारिश दर्ज़ की गई है। बारिश देर से होगी यानि फसलों की बुआई देरी से होगी। बुआई में देरी के चलते उत्पादन में भी कमी आएगी। इस बार पिछली बार के मुकाबले 70 परसेंट कम उत्पादन होने की आशंका लग रही है। अगर मॉनसून समय पर यानि 1 जून से 1 जुलाई के बीच आ जाता तो उत्पादन अच्छा होने की उम्मीद थी। मॉनसून एक महीने की देरी से चल रहा है। हालांकि पश्चिम महाराष्ट्र के कुछ इलाकों में बारिश हुई है लेकिन उससे फसलों को ख़ास फायदा नहीं मिलेगा। पानी की कमी के चलते किसान बुआई का फैसला नहीं कर पा रहा है। उसे डर लग रहा है कि कहीं बुआई का पैसा बर्बाद ना हो जाए। इस बार डबल सोइंग यानि दोहरी बुआई की आशंका भी लग रही है लेकिन अगर किसान ऐसा करता है तो उसका कोई ख़ास फायदा नहीं मिलेगा।''

कपास का रकबा घटा

महाराष्ट्र में खरीफ सीजन के तहत कुल बोआई 28 जून 2016 तक 27.01 लाख हेक्टेयर में हुई है जबकि पिछले साल ये बोआई 4 जुलाई तक 65.33 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी। महाराष्ट्र में कपास की बुआई 9.16 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है। जबकि, पिछले साल 27 जून 2015 तक ये बुआई 22.81 लाख हेक्टेयर में हुई थी। खरीफ बुआई का रकबा घटने की सबसे बड़ी वजह कम बारिश है।

तिलहन पर भी सूखे की मार

राज्य में सोयाबीन की बुआई अब तक 6.56 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जो पिछले साल 18.08 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी। राज्य में सोयाबीन की बुआई का लक्ष्य 30 लाख हेक्टेयर रखा गया है। मूंगफली की बुआई अब तक 54,081 हेक्टेयर में हो चुकी है जो पिछले साल 1.02 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी। राज्य में मूंगफली की बुआई का लक्ष्य 2.50 लाख हेक्टेयर रखा गया है। तिल की बुआई अब तक 3112 हेक्टेयर में हो चुकी है जो पिछले साल 5340 हेक्टेयर में हो चुकी थी। राज्य में तिल की बुआई का लक्ष्य  59,800 हेक्टेयर रखा गया है। सनफ्लावर की बुआई अब तक 1741 हेक्टेयर में हो चुकी है जो पिछले साल 3412 हेक्टेकयर में हो चुकी थी।

महाराष्ट्र के अकोला के किसान लक्ष्मीकांत (40 साल) बीते तीन सालों से नुकसान उठा रहे हैं। लक्ष्मीकांत कहते हैं,'' गन्ने की खेती की थी पानी नहीं मिलने की वजह से सारा गन्ना सूख रहा है। सोयाबीन की फसल भी लगभग खराब होने की कगार पर है अब। बुआई में अबतक 30 हज़ार रुपया खर्च कर चुके हैं। इस बार गर्मी ज्यादा होने की वजह से फसलें तेज़ी से सूख रही हैं। इस साल खेती में अबतक 4 लाख रुपये का नुकसान हो चुका है। उम्मीद करते हैं बारिश हो नहीं तो किसान कहीं का नहीं रहेगा।''

दलहन भी सूखे का शिकार

महाराष्ट्र में तुअर की बुआई अब तक 2.42 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जो पिछले साल 4.84 लाख हेक्टेययर में हो चुकी थी। राज्या में तुअर की बोआई का लक्ष्य 11.99 लाख हेक्टेयर रखा गया है। उड़द की बुआई अब तक 76873 हेक्टेयर में हो चुकी है जो पिछले साल 1.39 लाख हेक्टेकयर में हो चुकी थी। राज्य में उड़द की बुआई लक्ष्यर 5.10 लाख हेक्टेकयर रखा गया है। मूंग की बुआई अब तक 79366 हेक्टेयर में हो चुकी है जो पिछले साल 2.10 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी। राज्य  में मूंग की बुआई का लक्ष्य 5.60 लाख हेक्टेययर रखा गया है।

महाराष्ट्र के जालना ज़िले के किसान भी बारिश नहीं होने से परेशान हैं, जालना के किसान गुरुदत्त (38 साल) बताते हैं, ''पानी नहीं बरस रहा है इसलिए बुआई नहीं कर रहे हैं। छिटपुट बारिश में अगर बुआई की तो फसल खराब होने का खतरा है। कुछ किसानों के पास पानी की व्यवस्था है लेकिन हमारे गाँव में बिजली ही नहीं रहती है। मैंने अपने खेत में अरहर, मूंग, बाजरा लगाया है लेकिन पानी नहीं मिलने की वजह से फसलें सूख रही हैं। अगर इस बार अच्छी बारिश नहीं हुई तो बर्बाद हो जाएंगे। अब तक तीन फसलों की बुआई में 40-50 हज़ार रुपये खर्त कर चुके हैं। पिछली बार तो लगात तक नहीं निकली थी। खेती में जितना पैसा लगाया था सब बर्बाद हो गया।''

धान और मक्का की बुआई पर भी असर

महाराष्ट्र में अब तक धान की बुआई 1.64 लाख हेक्टेयर की तुलना में 95075 हेक्टेयर में हुई है। राज्य में नए खरीफ सीजन के तहत धान की बुआई का लक्ष्य 15.20 लाख हेक्टेयर रखा गया है। ज्वार की बुआई 2.07 लाख हेक्टेयर की तुलना में 97781 हेक्टेयर में हुई है। ज्वार की बुआई का लक्ष्य 10.56 लाख हेक्टेयर रखा गया है। मक्का की बुआई 4.08 लाख हैक्टेयर के मुकाबले 1.25 लाख हेक्टेयर में हुई है।

 

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