पानी बचाने के लिए साठा धान पर रोक

गाँव कनेक्शन | Sep 16, 2016, 16:14 IST
India
शाहजहांपुर/लखनऊ।सूखे को लेकर पूरे देश-देश में हाहाकार मचा हुआ है। भू-जल के अंधाधुंध दोहन और वर्षा जल संचयन न होने पर चिंता जताई जा रही है, लेकिन शाहजहांपुर में भू-जल बचाने के लिए अनोखा प्रयास किया गया है।

शाहजहांपुर के विजय किरण आनंद ने जिले में साठ दिनों में पैदा होने वाले धान (साठा धान) पर 30 जून तक रोपाई पर रोक लगा दी है। वहीं, साठा धान के बीज की बिक्री करने पर धारा-188 के तहत कानूनी कार्रवाई की जाएगी। यहां किसान समय से पूर्व साठा धान की खेती कर रहे हैं, जिसकी अधिक सिंचाई की आवश्यकता होती है।

यह कार्रवाई भले ही शाहजहांपुर जिले में की गई हो, लेकिन किसानों को मौसम और क्षेत्र की जलवायु को ध्यान में रखकर कम पानी की किस्मों की खेती करनी होगी। किसान अधिक मुनाफे के लालच में उस मौसम के प्रतिकूल खेती अत्यधिक भू-जल का अंधाधुंध उपयोग करते हैं। इससे भू-जल स्तर लगातार गिरता जा रहा है।

उत्तर प्रदेश के 821 ब्लॉकों में 111 ब्लॉक में भू-जल स्तर तेजी से गिरा है। इनको डार्क जोन में घोषित किया जा चुका है। वहीं 68 ब्लॉक की स्थिति चिंताजनक है।

“साठा किस्म के धान की फसल अत्याधिक किसान लगा रहे हैं, जिले में करीब सात हजार हेक्टेयर में इसकी खेती की जा रही है। पिछले दो वर्षो में जिले के कई में भू-जल तेजी से गिरा है।” शाहजहांपुर की जिला कृषि अधिकारी अलखनंदा पांडेय ने कहा।

वहीं, इत्र नगरी कन्नौज में भू-जल की स्थिति भयावह चुकी है। आलू के बेहतर उत्पादन के लिए मशहूर इस जिले में अधिक मुनाफा कमाने के लिए किसान हाईब्रिड मक्के की खेती कर रहे हैं। जिले में 50 हजार हेक्टेयर में बे-मौसम इसकी खेती किए जाने के कारण अधिक सिंचाई की जरूरत पड़ रही है, जिसका एकमात्र जरिया भू-जल है।

“यहां कोई बड़ी नहर और जलाशय नहीं है। किसान भू-जल का उपयोग कर रहे हैं। इससे भू-जल तेजी से गिर रहा है। वॉटर रिचार्ज पर जोर दिया जा रहा है।” आगे बताते हैं, “गाँव का पानी गाँव में और खेत का पानी खेत में रहे। इसके लिए ग्राम पंचायतों में किसानों की जमीन मेड़बंदी का काम कराया जा रहा है। तालाबों का जीर्णोद्वार कराते हुए लोगों को भी भू-जल की अहमियत के प्रति जागरूक किया जा रहा है।” कन्नौज के जिलाधिकारी अमित कुमार झा बताते हैं।

गन्ने की खेती से पश्चिमी यूपी में पाताल पहुंचा भू-जल

गन्ने की फसल में अन्य फसलों की तुलना में हर महीने सिंचाई की जरुरत होती है। बुलंदशहर के जिला गन्नाधिकारी अखिलेश प्रताप सिंह ने बताया, “गन्ने की फसल सिंचाई मद में जितना पानी का उपयोग होता है, उतने पानी से रबी, जायद और खरीफ की दूसरी फसलों की चार गुना सिंचाई की जा सकती है। महाराष्ट्र में सूखा पड़ने का सबसे बड़ा कारण गन्ना की बंपर खेती ही है।

रिपोर्टर - जसवंत सोनकर

Tags:
  • India

Follow us
Contact
  • Gomti Nagar, Lucknow, Uttar Pradesh 226010
  • neelesh@gaonconnection.com

© 2025 All Rights Reserved.