प्लास्टिक ने घटाई बांस से बने सामानों की मांग

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प्लास्टिक ने घटाई बांस से बने सामानों की मांगगाँव कनेक्शन, इलाहाबाद,प्लास्टिक, बांस

इलाहाबाद। पुराने समय में घरों में बांस की डलिया, सीढिय़ां और कई अन्य चीज़ें भी प्रयोग में आती थी लेकिन समय बदला और बांस की जगह प्लास्टिक और लोहे ने ले ली। जिसकी वजह से बांस से सामान बनाने का कारोबार ठप होता नजर आ रहा है।

इलाहाबाद जिला मुख्यालय से पांच किलोमीटर दूर गाऊघाट इलाके में यमुना के किनारे सैकड़ों झुग्गियां बनी हुई हैं और इन झुग्गियों में बांस की लकड़ी से सामान बनाने का काम होता है। यहां पर रहने वाले पुरुष कबाड़ खरीदने बेचने का काम करते हैंं, जबकि यहां पर रहने वाली महिलाएं बांस की लकड़ी से तरह-तरह के बर्तन, सीढिय़ां और बुक सेल्फ बनाने का काम करती हैं। अब दस रुपये में एक छोटी सी प्लास्टिक की डलिया मिल जाती है,पहले शादी-विवाह में भी कुछ देने के लिए बांस की लकड़ी से बने बर्तनों का प्रयोग अधिक होता था पर अब प्लास्टिक से बनी डलिया ने बांस की जगह ले ली है।

राधा (45 वर्ष) जो की इसी बस्ती में रहती हैं और बांस की लकड़ी के प्रयोग से कई सामान बनाती हैं, वो बताती हैं,''आज एक बड़ा बांस 200 रुपये का मिलता है और इस बांस से लगभग 20 से 25 छोटी डलिया बन जाती हैं, हम इनको 20 रुपये में बेचते हैं। जब शादियों का सीजन आता है तब इनका मूल्य 25 रुपए हो जाता है।" राधा आगे बताती हैं,''शहर में इनको बहुत कम लोग खरीदतें है पर गाँव में आज भी बहुत लोग इनका इस्तेमाल करते हैं और हम लोगों को भी वहीं से थोड़ा मुनाफा हो जाता है।" शहरों में इस युग में भी लोग बांस से बनी हुई कई चीज़ें प्रयोग करते हैं, उन में से कुर्सी और सोफे सबसे ज्यादा मशहूर हैं। 

 शहर में लोग अपने बागीचे में इस तरह की कुॢसयों का इस्तेमाल करते हैं। इलाहाबाद शहर में स्टूडेंट्स बहुत रहते हैं और इससे यहां पर बांस की लकड़ी के समानों की खपत ज्यादा होती है। स्टूडेंट्स के बीच बुक सेल्फ  बहुत बिकता है। इलाहाबाद बांस के सामानों का एक बड़ा केंद्र है, यहां पर बनाया गया बांस की लकड़ी का सामान आस-पास के जिलों में भी जाता है। यहां पर व्यापारी आते हैं और सीधे इन घरों से ही सामना ले जाते हैं। रीता (28 वर्ष) बताती हैं, ''हर हफ्ते हम लोग पास में रहने वाले दुकानदारों को सामान कम दाम में बेचते हैं। इससे हमें अपने सामन को बेचने के लिए बाज़ार नहीं जाना पड़ता है। जितना मिलता है उसी में गुजारा कर लेते है।"

रिपोर्टर- आकाश द्विवेदी

 

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