बिहार में युवाओं के लिए मददगार बन रहे जीविका सामुदायिक पुस्तकालय

बिहार के छोटे कस्बों और गाँवों में 45 ब्लॉकों में सामुदायिक पुस्तकालय चलाए जा रहे हैं। जीविका, ग्रामीण क्षेत्रों में गरीबी को कम करने और लोगों के जीवन में बदलाव लाने के लिए राज्य सरकार की एक पहल है, जल्द ही प्रदेश के 32 जिलों के 100 ब्लॉकों में पुस्तकालय शुरू करने का लक्ष्य है।

Rahul JhaRahul Jha   10 April 2023 1:29 PM GMT

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बिहार में युवाओं के लिए मददगार बन रहे जीविका सामुदायिक पुस्तकालय

पटना, बिहार। बिहार में मधेपुरा जिले के सिंहेश्वर में एक पुस्तकालय धीरे-धीरे लेकिन निश्चित रूप से छोटे से कस्बे में लोगों की जिंदगी में बदलाव ला रहा है। "मैंने किताबों में केवल 'लाइब्रेरी' शब्द देखा था। मैंने कभी नहीं सोचा था कि मैं कभी लाइब्रेरी जाऊंगी, "वहां रहने वाली स्वीटी कुमारी ने गाँव कनेक्शन को बताया।

सिंहेश्वर पुस्तकालय एक सुकून भरी जगह है, जहां लोग अखबार, पत्रिकाएँ और किताबें पढ़ सकते हैं। ऐसे छात्रों के लिए ऑनलाइन कक्षाओं की भी सुविधा है, जिनके घर पर ऐसी सुविधा नहीं हो सकती है। स्वीटी ने कहा, "यह हमारे जैसे छोटे शहर के लोगों के लिए ये किसी सपने के सच होने जैसा है।"

सिंहेश्वर में जिस सामुदायिक पुस्तकालय की बात स्वीटी कुमारी कर रहीं हैं, उसका शुभारंभ इस साल 10 फरवरी को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने किया था। यह राज्य सरकार द्वारा जीविका के तहत स्थापित किया गया था, जो ग्रामीण विकास विभाग के तहत एक स्वायत्त निकाय, बिहार रूरल लाइवलीहुड्स प्रमोशन सोसाइटी (BRLPS) के माध्यम से एक आजीविका परियोजना है।


राज्य भर के 32 जिलों में कम से कम 100 ऐसे सामुदायिक पुस्तकालय ब्लॉक स्तर पर खोले गए हैं।

“लगभग 45 ब्लॉकों में पुस्तकालय और कैरियर विकास केंद्र स्थापित किए गए हैं। लक्ष्य उन्हें बिहार के 32 जिलों के 100 ब्लॉकों में चलाने का है। इन्हें निजी और सरकारी दोनों भवनों में स्थापित किया जा रहा है, "किशनगंज में जीविका के साथ काम करने वाले सुमन कुमार ने गाँव कनेक्शन को बताया।

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सुमन कुमार ने कहा, "पुस्तकालय केवल अध्ययन के उद्देश्य के लिए नहीं हैं, बल्कि वे युवाओं को मिलने, विचारों का आदान-प्रदान करने और आगे बढ़ने के लिए सही वातावरण भी प्रदान करते हैं।" उन्होंने कहा, "जीविका क्लस्टर स्तर पर युवाओं को कैरियर मार्गदर्शन और सहायता प्रदान करने का भी प्रयास कर रही है, खासकर लड़कियों को, जो अच्छी नौकरी की तलाश में हैं।"

फरवरी 2023 में जीविका ने कम्युनिटी लाइब्रेरी और करियर डेवलपमेंट सेंटर प्रोग्राम लॉन्च किया। वहीं भारत सरकार की दीन दयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल योजना भी बिहार में जीविका के सहयोग से चल रही है। यह योजना सितंबर 2014 में केंद्र सरकार द्वारा शुरू की गई थी। यह योजना, जो ग्रामीण विकास मंत्रालय की पहलों में से एक है, युवाओं को कौशल प्रदान करके और उन्हें नौकरी खोजने में मदद करके ग्रामीण आजीविका को बढ़ावा देना चाहती है।


कई जिलों में सामुदायिक पुस्तकालय और कौशल विकास केंद्र खुल गए हैं।

कुछ केंद्र जो पहले से ही काम कर रहे हैं वे लखीसराय जिले के सदर ब्लॉक के गढ़ी बिष्णुपुर पंचायत में हैं; जमुई जिले के बरहाट प्रखंड का फुलवरिया गाँव; जहानाबाद जिले के मखदुमपुर प्रखंड की कोहरा पंचायत में हैं।

राज्य में एक करोड़ तीस लाख महिलाएं जीविका से जुड़ी हैं, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 23 फरवरी को ट्वीट किया था। इनमें से कई, जिन्हें विद्या दीदी कहा जाता है, इन पुस्तकालयों में काम करेंगी और युवाओं को करियर की तलाश में मदद करेंगी।

जीविका के अधिकारियों के अनुसार, विद्या दीदियों को 6,000 रुपये प्रति माह का भुगतान किया जाएगा। वे पुस्तकालय चलाएंगे जो कक्षा 6 से 12 तक के छात्रों को पाठ्यपुस्तकें और अन्य शिक्षण सामग्री प्रदान करेंगे।

सपनों को मिल रहे पंख

“पुस्तकालय खोलने से हमारे सपनों को पंख मिले हैं। मेरे परिवार के नौ सदस्य हैं जो तीन कमरों में रहते हैं और पढ़ाई करना बहुत मुश्किल हो जाता है, "मधेपुरा जिले के सूर्यपुरा में रहने वाली 14 वर्षीय मिडिल स्कूल छात्रा सपना ने गाँव कनेक्शन को बताया। सपना के पिता पंजाब में मजदूरी करते हैं।

सुपौल में एक पुस्तकालय चलाने वाले राहुल यादव ने कहा कि कई युवा छात्र, विशेष रूप से लड़कियां, घर पर शांति से पढ़ाई नहीं कर पाती हैं और पुस्तकालय उन्हें ऐसा करने के लिए सही और सुरक्षित वातावरण प्रदान करता है। राहुल यादव ने कहा, "राज्य के छोटे शहरों और गाँवों में जीविका की बदौलत जो पुस्तकालय शुरू किए गए हैं, वे उन जगहों के विकास में महत्वपूर्ण मील के पत्थर हैं।"


"कुछ पुस्तकालयों में प्रोजेक्टर भी पुस्तकालय में लोगों उनकी पढ़ाई करने में बहुत मदद करते हैं। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि ये पुस्तकालय इन दूरस्थ क्षेत्रों में पढ़ने की संस्कृति को बढ़ावा दे रहे हैं।”

शिक्षा और आजीविका

सीवान के जिला कार्यक्रम समन्वयक राकेश कुमार ने गाँव कनेक्शन को बताया, "जीविका की मदद से हमने सीवान जिले के गोरियाकोठी गाँव में एक पुस्तकालय और करियर विकास केंद्र खोला है।" किताबों और पत्रिकाओं के साथ-साथ गुणात्मक और अत्याधुनिक डिजिटल शिक्षा के लिए जगह है।

बिहार की राजधानी पटना की रहने वाली अंजन कुमारी जीविका स्टील डेवलपमेंट की तहत 3 महीने की हाउस कीपिंग की ट्रेनिंग पटना में ही ले चुकी है। वो बताती हैं, "उसकी मां लगभग 5 साल से जीविका से जुड़ी हुई है। पापा एक प्राइवेट कंपनी में काम करते हैं। घर की स्थिति इतनी अच्छी नहीं है कि मुझे पढ़ा सकें। फिर अचानक एक दोस्त से पता चला कि जीविका के माध्यम से 3 महीने की ट्रेनिंग दी जा रही है। इसकी मदद से मैंने हाउसकीपिंग की ट्रेनिंग ली। अभी राज्य के कई बड़े होटल में काम कर चुकी हूं। हालांकि अभी काम छोड़कर आगे की पढ़ाई पर ध्यान दे रही हूं।"

“आप राज्य में बेरोजगारी के संकट से अच्छी तरह वाकिफ हैं। और ग्रामीण क्षेत्रों में आय बहुत मितव्ययी है। लेकिन सरकार युवाओं को उपयुक्त रोजगार खोजने में सक्षम बनाने के लिए प्रशिक्षण देने की पूरी कोशिश कर रही है, "जीविका से जुड़े एक अधिकारी ने गाँव कनेक्शन को बताया।


जीविका के कौशल विकास और रोजगार कार्यक्रम से अब तक राज्य के लगभग 30 लाख युवा लाभान्वित हो चुके हैं। इलेक्ट्रिकल, इलेक्ट्रॉनिक्स, स्वास्थ्य देखभाल आदि कुछ ऐसे क्षेत्र हैं जिनमें प्रशिक्षण दिया गया है।

महिला सशक्तीकरण

पटना में राजकमल पब्लिकेशन के लेखक संजय सिंह ने गाँव कनेक्शन को बताया, "जीविका मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के कोर महिला वोटर का मुख्य आधार है। समूह से जुड़ने के बाद ग्रामीण महिलाओं के जीवन में काफ़ी बदलाव आया है। शराबबंदी, कौशल विकास योजना हो या ग्रामीण रोजगार की समृद्धि। सबसे जीविका जुड़ा हुआ था।

उन्होंने आगे कहा, "पुस्तकालय को जीविका से जोड़कर ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा के आधार को भी बढ़ाया है। ग्रामीण इलाक़े में जागरूकता की कमी,शिक्षा का अभाव और भ्रष्टाचार की वजह से जीविका योजना में कई समस्याएं भी दिखती है।"

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