टीचर्स डायरी: 'आर्थिक तंगी की वजह से न छूट जाए किसी बच्चे की पढ़ाई, हर किसी को पढ़ने का मौका मिले'

Teacher Connection में मिलिए डॉ आशुतोष अवस्थी से जोकि भारतीय ग्रामीण विद्यालय कुनौरा, लखनऊ में सहायक अध्यापक के पद पर कार्यरत हैं। इन्होंने एक नई पहल शुरू की है, ये इन्होंने अपने स्कूल के बच्चों के लिए स्कॉलरशिप की शुरुआत की है, जिससे बच्चों की आगे की पढ़ाई में कोई बाधा न आए।

Ashutosh AwasthiAshutosh Awasthi   22 Feb 2023 1:39 PM GMT

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टीचर्स डायरी: आर्थिक तंगी की वजह से न छूट जाए किसी बच्चे की पढ़ाई, हर किसी को पढ़ने का मौका मिले

शिक्षक राष्ट्र निर्माता माऩा जाता है और राष्ट्र निर्माता बनने के लिये तपस्या करनी पड़ती है तो जब आप शिक्षण कार्य कर रहे हैं तब आप तीन बजे मुक्त हो सकते हैं लेकिन आप वास्तविक रूप से शिक्षक हैं तो आपकी जिम्मेदारी बढ़ जाती हैं। वो जिम्मेदारियां ऐसी है कि आपका बच्चा किस परिस्थिति से गुजर रहा है कोई विद्यार्थी है आर्थिक तंगी के वजह से उसकी पढ़ाई बाधित न हो।

मेरे बाबा जी शिक्षक थे मैंने उन्हें युग पुरुष के रुप मे देखा है मैंने उनको गाँव के बच्चों को नि:शुल्क पढ़ाते देखा था, जिनको वो ढिबरी की रोशनी मे पढ़ाते थे। तो उनके त्याग तपस्या को देखते हुए तो जब उनकी मत्यु हो गयी तो उनको श्रद्धांजलि के रूप मे अपनी कुछ भावनाएं व्यक्त करने के लिए जो भी यहां के बच्चे हैं। चाहे कक्षा एक के हो या कक्षा बारह के सभी बच्चों को जो कक्षा मे पहले दूसरे स्थान पर आते हैं। और जिसकी उपस्थिति ज्यादा होगी उन्हें कुछ प्रोत्साहन राशि अवश्य दी जाएगी।

हमारे संस्थान से जो भी धन राशि सरकार से मिलती है उनमें से एक्कीस हजार रुपये प्रोत्साहन राशि के रूप में देता हूं। क्योंकि किसी भी शिक्षक के लिये सबसे बड़े परिवार उसके बच्चे विद्यार्थी होते हैं। तो मैं चाहता हूं कि प्रोत्साहन राशि के जरिये उनमें कॉम्पटीशन की भावना आए। जब तक कम्पटिशन भावना नहीं आयेगी तब तक हम उनको आगे नहीँ बढ़ा सकते हैं।

बारहवीं में एक बच्चा है जितेंद्र कुमार, जोकि डिफेंस में जाना चाहता था, इसलिए उसका एडमिशन पिछले फरवरी महीने में लखनऊ में करा दिया है। अब उसके हॉस्टल और खाने का खर्च हर महीने भेज देता हूं। उसे मैं पढ़ाई के अलावा कोई काम नहीं कहता हूं। उसने कमिटमेंट किया है कि जब तक सेलेक्शन नहीं हो जाएगा मैं घर नहीं जाऊंगा, इसलिए मैं उसके परिवार के लोगों से भी मिलता रहता हूं।

मुझे लगता है कि ऐसे बच्चों की मदद करनी चाहिए। जरूरी नहीं है कि हर बच्चा ऑफिसर ही बने, हमारी कोशिश है कि हर बच्चा अपने पैर पर खड़ा हो सके, कुछ नौकरियां हाईस्कूल और इंटर के बाद भी जा सकती है। इसलिए ऐसी नौकरियां भी देखता रहता हूं।

ग्रामीण क्षेत्र में लड़कियों की पढ़ाई हाईस्कूल और इंटर के बाद छूट जाती है, उनके गार्जियन से बात करते हैं तो वो कहते हैं कि हमें इन्हें दूसरे घर भेजना है। मेरा मानना है कि कोई मेधावी छात्र आर्थिक तंगी वजह से उसकी पढ़ाई बाधित न हो। वो सपने देखना बंद न करें और उन्हें साकार करने की कोशिश करें, किसी तरह की आर्थिक तंगी न आने पाए, इसलिए मेरा प्रयास रहेगा मैं उनकी मदद कर सकूं।

आप भी टीचर हैंं और अपना अनुभव शेयर करना चाहते हैं, हमें [email protected] पर भेजिए

साथ ही वीडियो और ऑडियो मैसेज व्हाट्सएप नंबर +91-9565611118 पर भेज सकते हैं।

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