By Tejaswita Upadhyay
देश में नदियों के किनारों पर हर साल गर्मियों के महीनों में लाखों किसान सब्जियों और खीरा, तरबूज-खरबूजे की खेती करते हैं। लेकिन इस बार मई के महीने में हुई बारिश और नदियों का जलस्तर बढ़ने से इन किसानों को भारी नुकसान हुआ है।
देश में नदियों के किनारों पर हर साल गर्मियों के महीनों में लाखों किसान सब्जियों और खीरा, तरबूज-खरबूजे की खेती करते हैं। लेकिन इस बार मई के महीने में हुई बारिश और नदियों का जलस्तर बढ़ने से इन किसानों को भारी नुकसान हुआ है।
By Tejaswita Upadhyay
उत्तर प्रदेश के मऊ और बलिया जिले के बीच साल 1952 में 60 किलोमीटर लंबी पक्की कैनाल (छोटी नहर) बनी थी, मोटर के पंप से इस नहर में सरयू नदी से पानी डाला जाता था, हजारों किसानों को फायदा मिलता था, लेकिन पिछले कुछ वर्षों में कैनाल की स्थिति दयनीय हो गई है। दीवारें टूट रही हैं, समय पर पानी नहीं आ रहा है। क्षेत्र के किसान परेशान हैं।
उत्तर प्रदेश के मऊ और बलिया जिले के बीच साल 1952 में 60 किलोमीटर लंबी पक्की कैनाल (छोटी नहर) बनी थी, मोटर के पंप से इस नहर में सरयू नदी से पानी डाला जाता था, हजारों किसानों को फायदा मिलता था, लेकिन पिछले कुछ वर्षों में कैनाल की स्थिति दयनीय हो गई है। दीवारें टूट रही हैं, समय पर पानी नहीं आ रहा है। क्षेत्र के किसान परेशान हैं।