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हँसना मना है: कैमरे के पीछे की ये हलचल आपको गुदगुदाने के लिए है
हँसना मना है: कैमरे के पीछे की ये हलचल आपको गुदगुदाने के लिए है

By गाँव कनेक्शन

आपके लिए हम देश के अलग-अलग हिस्सों से खबरें लाते हैं, आज हम आपको कैमरे के पीछे लिए चलते हैं, अब हम खुद से क्या कहें आप खुद ही देख लीजिए क्या है और हां ये आपको गुदगुदाने के लिए है

आपके लिए हम देश के अलग-अलग हिस्सों से खबरें लाते हैं, आज हम आपको कैमरे के पीछे लिए चलते हैं, अब हम खुद से क्या कहें आप खुद ही देख लीजिए क्या है और हां ये आपको गुदगुदाने के लिए है

केले के बेकार तने का हो रहा बेहतरीन इस्तेमाल, कई तरह के उत्पाद बना रहीं हैं महिलाएं
केले के बेकार तने का हो रहा बेहतरीन इस्तेमाल, कई तरह के उत्पाद बना रहीं हैं महिलाएं

By Pankaja Srinivasan

कर्नाटक के अनेगुंडी के प्राचीन गाँव में एक ग्रामीण विकास समाज, स्थानीय रूप से प्राप्त केले की फसल के कचरे का इस्तेमाल टोकरियां, चटाई, टेबल रनर और लैंपशेड बनाने के लिए कर रहा है। यह ग्रामीण महिलाओं को विभिन्न कौशलों में ट्रेनिंग दी जाती है और उन्हें अपना व्यवसाय शुरू करने और चलाने में सक्षम बनाता है।

कर्नाटक के अनेगुंडी के प्राचीन गाँव में एक ग्रामीण विकास समाज, स्थानीय रूप से प्राप्त केले की फसल के कचरे का इस्तेमाल टोकरियां, चटाई, टेबल रनर और लैंपशेड बनाने के लिए कर रहा है। यह ग्रामीण महिलाओं को विभिन्न कौशलों में ट्रेनिंग दी जाती है और उन्हें अपना व्यवसाय शुरू करने और चलाने में सक्षम बनाता है।

दरक रहे घर, धंस रही जमीन; उत्तराखंड के जोशीमठ पर मंडरा रहा खतरा
दरक रहे घर, धंस रही जमीन; उत्तराखंड के जोशीमठ पर मंडरा रहा खतरा

By Megha Prakash

उत्तराखंड में जोशीमठ का धार्मिक और पर्यटन दोनों महत्व है। लेकिन स्थानीय ग्रामीणों और इस क्षेत्र का अध्ययन करने वाले वैज्ञानिकों का कहना है यह धीरे-धीरे बैठ रहा, धंस रहा। रविग्राम, गांधीनगर और सुनील के वार्डों में सबसे ज्यादा धंसाव देखा गया है जिसकी वजह से हजारों लोग विस्थापित हो सकते हैं।

उत्तराखंड में जोशीमठ का धार्मिक और पर्यटन दोनों महत्व है। लेकिन स्थानीय ग्रामीणों और इस क्षेत्र का अध्ययन करने वाले वैज्ञानिकों का कहना है यह धीरे-धीरे बैठ रहा, धंस रहा। रविग्राम, गांधीनगर और सुनील के वार्डों में सबसे ज्यादा धंसाव देखा गया है जिसकी वजह से हजारों लोग विस्थापित हो सकते हैं।

चंदौली के मशहूर काले चावल से क्यों दूरी बना रहे किसान
चंदौली के मशहूर काले चावल से क्यों दूरी बना रहे किसान

By Pavan Kumar Maurya

साल 2018 में उत्तर प्रदेश के चंदौली जिले में धान की खेती ने एक नया मोड़ लिया, जब यहां पहली बार काले चावल की खेती पहल की शुरूआत हुई। इसकी खेती करने वाले किसानों को अच्छा मुनाफा मिलता था। लेकिन मांग में कमी के कारण बड़ी मात्रा में काला चावल बिना बिके रह गया है। कई किसानों ने तो खेती करना भी छोड़ दिया है, लेकिन उन्हें उम्मीद है कि अगर सरकार कोशिश करे तो वे पौष्टिक और पारिस्थितिक रूप से लाभकारी चावल की किस्म को फिर से उगाएंगे।

साल 2018 में उत्तर प्रदेश के चंदौली जिले में धान की खेती ने एक नया मोड़ लिया, जब यहां पहली बार काले चावल की खेती पहल की शुरूआत हुई। इसकी खेती करने वाले किसानों को अच्छा मुनाफा मिलता था। लेकिन मांग में कमी के कारण बड़ी मात्रा में काला चावल बिना बिके रह गया है। कई किसानों ने तो खेती करना भी छोड़ दिया है, लेकिन उन्हें उम्मीद है कि अगर सरकार कोशिश करे तो वे पौष्टिक और पारिस्थितिक रूप से लाभकारी चावल की किस्म को फिर से उगाएंगे।

गाँव कनेक्शन के फाउंडर नीलेश मिसरा से सुनिए कैसा रहा दस साल का सफर
गाँव कनेक्शन के फाउंडर नीलेश मिसरा से सुनिए कैसा रहा दस साल का सफर

By गाँव कनेक्शन

आपका गाँव कनेक्शन 11वें साल में प्रवेश कर रहा है, इन 10 साल में कई उतार-चढ़ाव आए, आप दर्शक और पाठक के बदौलत हम कई मुश्किलों को पार कर आगे बढ़ते रहे। आपके सहयोग से ही हम ग्रामीण भारत की आवाज हैं। गाँव कनेक्शन के फाउंडर नीलेश मिसरा साझा कर रहे हैं कैसा रहा 10 साल का सफर ..

आपका गाँव कनेक्शन 11वें साल में प्रवेश कर रहा है, इन 10 साल में कई उतार-चढ़ाव आए, आप दर्शक और पाठक के बदौलत हम कई मुश्किलों को पार कर आगे बढ़ते रहे। आपके सहयोग से ही हम ग्रामीण भारत की आवाज हैं। गाँव कनेक्शन के फाउंडर नीलेश मिसरा साझा कर रहे हैं कैसा रहा 10 साल का सफर ..

बढ़ते प्लास्टिक कचरे के बोझ तले डूब रहे गाँव
बढ़ते प्लास्टिक कचरे के बोझ तले डूब रहे गाँव

By Manvendra Singh

देश में प्लास्टिक कचरे का उत्पादन बढ़ रहा है, लेकिन ग्रामीण भारत में इस तरह के कचरे की मात्रा पर कोई अलग से डेटा ही उपलब्ध नहीं है। सिंगल यूज प्लास्टिक उन गाँवों तक पहुंच गया है, जहां पर कोई अपशिष्ट प्रबंधन प्रणाली नहीं है। उदाहरण के लिए, पश्चिम बंगाल, असम, पंजाब और बिहार में, ठोस कचरे के प्रबंधन के लिए तंत्र वाले गाँवों का प्रतिशत क्रमशः 0.82%, 1.08%, 1.67% और 1.97% है।

देश में प्लास्टिक कचरे का उत्पादन बढ़ रहा है, लेकिन ग्रामीण भारत में इस तरह के कचरे की मात्रा पर कोई अलग से डेटा ही उपलब्ध नहीं है। सिंगल यूज प्लास्टिक उन गाँवों तक पहुंच गया है, जहां पर कोई अपशिष्ट प्रबंधन प्रणाली नहीं है। उदाहरण के लिए, पश्चिम बंगाल, असम, पंजाब और बिहार में, ठोस कचरे के प्रबंधन के लिए तंत्र वाले गाँवों का प्रतिशत क्रमशः 0.82%, 1.08%, 1.67% और 1.97% है।

दुनिया भर में रेबीज से होने वाली मौतों में से 36% भारत में होती हैं; इसकी रोकथाम के लिए एक कश्मीरी डॉक्टर ने उठाया है बेहतरीन कदम
दुनिया भर में रेबीज से होने वाली मौतों में से 36% भारत में होती हैं; इसकी रोकथाम के लिए एक कश्मीरी डॉक्टर ने उठाया है बेहतरीन कदम

By Mudassir Kuloo

रेबीज का 100% रोका जा सकता है, हालांकि इसका इलाज संभव नहीं है। केंद्रीय पशु चिकित्सा अस्पताल श्रीनगर के पशु चिकित्सक काजी मुदासिर को हाल ही में रेबीज नियंत्रण के लिए एक अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार मिला है। वह इस साल यह पुरस्कार पाने वाले एकमात्र एशियाई हैं।

रेबीज का 100% रोका जा सकता है, हालांकि इसका इलाज संभव नहीं है। केंद्रीय पशु चिकित्सा अस्पताल श्रीनगर के पशु चिकित्सक काजी मुदासिर को हाल ही में रेबीज नियंत्रण के लिए एक अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार मिला है। वह इस साल यह पुरस्कार पाने वाले एकमात्र एशियाई हैं।

अपने वजूद की लड़ाई लड़ रही मध्य प्रदेश के रीवा की मशहूर सुपारी हस्तशिल्प कला
अपने वजूद की लड़ाई लड़ रही मध्य प्रदेश के रीवा की मशहूर सुपारी हस्तशिल्प कला

By Shishir Agrawal

मध्य प्रदेश के रीवा में एक अकेला परिवार सुपारी से मूर्तियां तराशने की अद्वितीय शिल्प की परंपरा को जिंदा बनाए रखने के लिए काम कर रहा है। फिलहाल तो ये शिल्प पूरी तरह से गायब होने के कगार पर है।

मध्य प्रदेश के रीवा में एक अकेला परिवार सुपारी से मूर्तियां तराशने की अद्वितीय शिल्प की परंपरा को जिंदा बनाए रखने के लिए काम कर रहा है। फिलहाल तो ये शिल्प पूरी तरह से गायब होने के कगार पर है।

2 हत्याएं, 22 महीने, 1 अदालती कार्यवाही- उन्नाव में मृत दलित चचेरी बहनों के परिवार को अभी भी है न्याय का इंतजार
2 हत्याएं, 22 महीने, 1 अदालती कार्यवाही- उन्नाव में मृत दलित चचेरी बहनों के परिवार को अभी भी है न्याय का इंतजार

By Manvendra Singh

17 फरवरी, 2021 को उत्तर प्रदेश के उन्नाव में तीन नाबालिग दलित लड़कियों को कथित तौर पर ज़हर दे दिया गया था। इनमें से दो की मौत हो गई, जबकि एक बच गई। लगभग दो साल हो गए हैं और अब तक केवल एक अदालती कार्यवाही हुई है। तब से आरोपी भी गिरफ्त में हैं और मामले में कोई प्रगति नहीं हुई है।

17 फरवरी, 2021 को उत्तर प्रदेश के उन्नाव में तीन नाबालिग दलित लड़कियों को कथित तौर पर ज़हर दे दिया गया था। इनमें से दो की मौत हो गई, जबकि एक बच गई। लगभग दो साल हो गए हैं और अब तक केवल एक अदालती कार्यवाही हुई है। तब से आरोपी भी गिरफ्त में हैं और मामले में कोई प्रगति नहीं हुई है।

एक ही परिवार की विरासत थी 700 साल पुरानी फड़ चित्रकला; जिससे घर की बेटियों को दूर रखा गया
एक ही परिवार की विरासत थी 700 साल पुरानी फड़ चित्रकला; जिससे घर की बेटियों को दूर रखा गया

By Manvendra Singh

अपनी लोक कलाओं और रेतीले टीलों के लिए प्रसिद्ध राजस्थान में आपको न जाने कितनी कहानियाँ मिल जाएँगी, ऐसी ही एक कहानी यहाँ की फड़ चित्रकला की है। ये कला जितनी पुरानी है उतनी ही ज़्यादा सुन्दर और अनोखी है। इसमें इस्तेमाल होने वाले रंग पत्थरों से लिए जाते हैं।

अपनी लोक कलाओं और रेतीले टीलों के लिए प्रसिद्ध राजस्थान में आपको न जाने कितनी कहानियाँ मिल जाएँगी, ऐसी ही एक कहानी यहाँ की फड़ चित्रकला की है। ये कला जितनी पुरानी है उतनी ही ज़्यादा सुन्दर और अनोखी है। इसमें इस्तेमाल होने वाले रंग पत्थरों से लिए जाते हैं।

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