By Dr SB Misra
भारत की खेती 10,000 साल पुरानी है, लेकिन आज किसान अपने ही खेत में असहाय खड़ा है। कैसे विकास के गलत मॉडल, रसायनिक खेती और नीतिगत खैरात ने किसान को आत्मनिर्भर से आश्रित बना दिया।
भारत की खेती 10,000 साल पुरानी है, लेकिन आज किसान अपने ही खेत में असहाय खड़ा है। कैसे विकास के गलत मॉडल, रसायनिक खेती और नीतिगत खैरात ने किसान को आत्मनिर्भर से आश्रित बना दिया।
By Kirti Shukla
सब्जी की घटती पैदावार को लेकर एक रिपोर्ट में सामने आया है कि सूत्र कृमि यानी गुप्त शत्रु सब्जी का उत्पादन घटाने में मुख्य भूमिका निभा रहे हैं।
सब्जी की घटती पैदावार को लेकर एक रिपोर्ट में सामने आया है कि सूत्र कृमि यानी गुप्त शत्रु सब्जी का उत्पादन घटाने में मुख्य भूमिका निभा रहे हैं।
By Kushal Mishra
देश की अर्थव्यवस्था में अहम योगदान देने वाला एक आम किसान जब खेती करना शुरू करता है तो उसके सामने मुश्किलों का एक बड़ा पहाड़ खड़ा रहता है।
देश की अर्थव्यवस्था में अहम योगदान देने वाला एक आम किसान जब खेती करना शुरू करता है तो उसके सामने मुश्किलों का एक बड़ा पहाड़ खड़ा रहता है।
By Suvigya Jain
उद्योग और व्यापार के किसी भी क्षेत्र में इस तरह की गिरावट पर जो चिंता व्यापत है वैसी ही चिंता कृषि क्षेत्र को लेकर क्यों नहीं जताई जाती। और क्या कृषि विकास अर्थव्यवस्था के उठान में अपनी भूमिका नहीं निभा सकता।
उद्योग और व्यापार के किसी भी क्षेत्र में इस तरह की गिरावट पर जो चिंता व्यापत है वैसी ही चिंता कृषि क्षेत्र को लेकर क्यों नहीं जताई जाती। और क्या कृषि विकास अर्थव्यवस्था के उठान में अपनी भूमिका नहीं निभा सकता।
By Devinder Sharma
अनिवार्य रूप से शुरू में यह सुनिश्चित करना होगा कि कृषि विश्वविद्यालय अपने अनुसंधान कार्यक्रमों को इस तरह से बनाएं जो रासायनिक चीजों को इस्तेमाल न करने पर आधारित हों। इसके लिए मानसिकता परिवर्तन जरूरी है जिसमें कुछ समय भी लग सकता है लेकिन निश्चित तौर पर यह असंभव नहीं है।
अनिवार्य रूप से शुरू में यह सुनिश्चित करना होगा कि कृषि विश्वविद्यालय अपने अनुसंधान कार्यक्रमों को इस तरह से बनाएं जो रासायनिक चीजों को इस्तेमाल न करने पर आधारित हों। इसके लिए मानसिकता परिवर्तन जरूरी है जिसमें कुछ समय भी लग सकता है लेकिन निश्चित तौर पर यह असंभव नहीं है।
By गाँव कनेक्शन
संगठन ने कहा कि इन अध्यादेशों के जरिये आने वाले समय में केंद्र सरकार किसानों को मिलने वाले MSP को खत्म करने जा रही है। केंद्र सरकार का दावा है कि इन अध्यादेशों के किसानों को फायदा होगा लेकिन असल में किसानों को नहीं बल्कि बड़ी-बड़ी कम्पनियों को फायदा होगा।
संगठन ने कहा कि इन अध्यादेशों के जरिये आने वाले समय में केंद्र सरकार किसानों को मिलने वाले MSP को खत्म करने जा रही है। केंद्र सरकार का दावा है कि इन अध्यादेशों के किसानों को फायदा होगा लेकिन असल में किसानों को नहीं बल्कि बड़ी-बड़ी कम्पनियों को फायदा होगा।
By Suvigya Jain
कृषि कर्ज़ पर रिजर्व बैंक के पैनल की रिपोर्ट: इसी साल फरवरी में रिजर्व बैंक ने एक इंटरनल वर्किंग ग्रुप का गठन किया था। इस पैनल को भारत में कृषि कर्ज की स्थिति, उसकी समस्याओं और उसके समाधान पर एक रिपोर्ट सौंपनी थी। डिप्टी गवर्नर महेश कुमार जैन की अध्यक्षता में बने उस इंटरनल ग्रुप की रिपोर्ट आ गई है।
कृषि कर्ज़ पर रिजर्व बैंक के पैनल की रिपोर्ट: इसी साल फरवरी में रिजर्व बैंक ने एक इंटरनल वर्किंग ग्रुप का गठन किया था। इस पैनल को भारत में कृषि कर्ज की स्थिति, उसकी समस्याओं और उसके समाधान पर एक रिपोर्ट सौंपनी थी। डिप्टी गवर्नर महेश कुमार जैन की अध्यक्षता में बने उस इंटरनल ग्रुप की रिपोर्ट आ गई है।
By Suvigya Jain
आज तो नहीं लेकिन अगर इतिहास उठाकर देखें तो जब कभी महंगाई की रफ्तार बढ़ती है, शहरों में मजदूरी बढ़ती ही रही है। पिछले 45 साल में शहरों में मजदूरों की दिहाड़ी सौ गुनी यूं ही नहीं बढ़ी। मैक्रो इकोनॉमिक्स के विशेषज्ञों को गौर करना चाहिए कि गेहूं के दाम 45 साल में सिर्फ तीस गुने ही बढ़े। किसान ही भारी घाटे में रहा है।
आज तो नहीं लेकिन अगर इतिहास उठाकर देखें तो जब कभी महंगाई की रफ्तार बढ़ती है, शहरों में मजदूरी बढ़ती ही रही है। पिछले 45 साल में शहरों में मजदूरों की दिहाड़ी सौ गुनी यूं ही नहीं बढ़ी। मैक्रो इकोनॉमिक्स के विशेषज्ञों को गौर करना चाहिए कि गेहूं के दाम 45 साल में सिर्फ तीस गुने ही बढ़े। किसान ही भारी घाटे में रहा है।
By Devinder Sharma
उर्वरता में गिरावट: खेती वाली जमीन की उर्वरता में इतनी गिरावट आई है कि मुझे पूरा भरोसा है कि भारत के शहरी इलाकों में मौजूद बाग और स्थानीय पार्क खेतिहर इलाकों से ज्यादा स्वस्थ और पोषकता से भरपूर होंगे।
उर्वरता में गिरावट: खेती वाली जमीन की उर्वरता में इतनी गिरावट आई है कि मुझे पूरा भरोसा है कि भारत के शहरी इलाकों में मौजूद बाग और स्थानीय पार्क खेतिहर इलाकों से ज्यादा स्वस्थ और पोषकता से भरपूर होंगे।
By Arvind Shukla
"2016 का आर्थिक सर्वे कहता है कि 17 राज्यों यानि लगभग आधे भारत में किसान परिवारों की मासिक आमदनी 1700 रुपए है। इतने रुपए में एक गाय नहीं पाली जा सकती। आप कल्पना करिए 1700 रुपए में कैसे किसान का परिवार गुजारा करता होगा?" देविंदर शर्मा
"2016 का आर्थिक सर्वे कहता है कि 17 राज्यों यानि लगभग आधे भारत में किसान परिवारों की मासिक आमदनी 1700 रुपए है। इतने रुपए में एक गाय नहीं पाली जा सकती। आप कल्पना करिए 1700 रुपए में कैसे किसान का परिवार गुजारा करता होगा?" देविंदर शर्मा