By गाँव कनेक्शन
इस टेक्नोलॉजी प्लेटफॉर्म की मदद से सार्स-कोव-2 के साथ ही एचआईवी, इंफ्लुएंजा, एचसीवी, जीका, इबोला, बैक्टेरिया और अन्य उत्परिवर्तित/उभरने वाले रोगजनकों जैसे दूसरे डीएनए/आरएनए रोगजनकों का पता लगाने के लिए भी किया जा सकता है।
इस टेक्नोलॉजी प्लेटफॉर्म की मदद से सार्स-कोव-2 के साथ ही एचआईवी, इंफ्लुएंजा, एचसीवी, जीका, इबोला, बैक्टेरिया और अन्य उत्परिवर्तित/उभरने वाले रोगजनकों जैसे दूसरे डीएनए/आरएनए रोगजनकों का पता लगाने के लिए भी किया जा सकता है।
By India Science Wire
यह वार्षिक पुरस्कार ऐसे भारतीय उद्योगों और उनके प्रौद्योगिकी प्रदाताओं को पहचान का एक मंच प्रदान करता है, जो बाजार में नवाचार लाने के लिए काम करते हैं और "आत्मनिर्भर भारत" के दृष्टिकोण में योगदान करते हैं। हर साल राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस के अवसर पर ये पुरस्कार प्रदान किये जाते हैं।
यह वार्षिक पुरस्कार ऐसे भारतीय उद्योगों और उनके प्रौद्योगिकी प्रदाताओं को पहचान का एक मंच प्रदान करता है, जो बाजार में नवाचार लाने के लिए काम करते हैं और "आत्मनिर्भर भारत" के दृष्टिकोण में योगदान करते हैं। हर साल राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस के अवसर पर ये पुरस्कार प्रदान किये जाते हैं।
By India Science Wire
डीएसटी ने चार वर्षों तक हर साल पाँच ‘साथी’ केंद्रों की स्थापना की योजना बनायी है। इन केंद्रों द्वारा महंगे उपकरणों की पहुँच, उनके रखरखाव, संसाधनों के समुचित उपयोग को सुनिश्चित करने के साथ-साथ दोहराव जैसी समस्याओं का समाधान हो सकेगा।
डीएसटी ने चार वर्षों तक हर साल पाँच ‘साथी’ केंद्रों की स्थापना की योजना बनायी है। इन केंद्रों द्वारा महंगे उपकरणों की पहुँच, उनके रखरखाव, संसाधनों के समुचित उपयोग को सुनिश्चित करने के साथ-साथ दोहराव जैसी समस्याओं का समाधान हो सकेगा।
By Divendra Singh
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के किसी विषय में पीएचडी कर रहे या फिर पीएचडी के बाद शोध से जुड़े हुए युवा वैज्ञानिक अपने शोध से संबंधित लोकप्रिय विज्ञान आलेख इस प्रतियोगिता के लिए भेज सकते हैं।
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के किसी विषय में पीएचडी कर रहे या फिर पीएचडी के बाद शोध से जुड़े हुए युवा वैज्ञानिक अपने शोध से संबंधित लोकप्रिय विज्ञान आलेख इस प्रतियोगिता के लिए भेज सकते हैं।
By India Science Wire
सरकार की ओर से जारी 'क्लाइमेट वल्नेराबिलिटी असेसमेंट फॉर एडाप्टेशन प्लानिंग इन इंडिया यूजिंग ए कॉमन फ्रेमवर्क' नामक इस रिपोर्ट के माध्यम से राज्यों और जिलों की पहचान की गई है, जो मौजूदा जलवायु संबंधी खतरों और संवेदनशीलता के मुख्य कारकों से जूझ रहे हैं।
सरकार की ओर से जारी 'क्लाइमेट वल्नेराबिलिटी असेसमेंट फॉर एडाप्टेशन प्लानिंग इन इंडिया यूजिंग ए कॉमन फ्रेमवर्क' नामक इस रिपोर्ट के माध्यम से राज्यों और जिलों की पहचान की गई है, जो मौजूदा जलवायु संबंधी खतरों और संवेदनशीलता के मुख्य कारकों से जूझ रहे हैं।
By गाँव कनेक्शन
सप्ताह भर चलने वाले इस कार्यक्रम का आयोजन राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के अलावा एक साथ 75 स्थानों - उत्तर में लेह व श्रीनगर से लेकर दक्षिण में पोर्ट ब्लेयर व लक्षद्वीप के कवरत्ती, पश्चिम में दमन व अहमदाबाद से लेकर पूरब में ईटानगर, कोहिमा, आइजवाल में किया जा रहा है।
सप्ताह भर चलने वाले इस कार्यक्रम का आयोजन राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के अलावा एक साथ 75 स्थानों - उत्तर में लेह व श्रीनगर से लेकर दक्षिण में पोर्ट ब्लेयर व लक्षद्वीप के कवरत्ती, पश्चिम में दमन व अहमदाबाद से लेकर पूरब में ईटानगर, कोहिमा, आइजवाल में किया जा रहा है।
By Divendra Singh
पंजाब कृषि विश्वविद्यालय ने गेहूं की नई किस्म 'पीबीडब्ल्यू-1 चपाती' विकसित की है, जिसके आटे से बनी रोटियां लंबे समय तक मुलायम रहती हैं। इसे खासतौर पर रोटियों के लिए विकसित किया गया है।
पंजाब कृषि विश्वविद्यालय ने गेहूं की नई किस्म 'पीबीडब्ल्यू-1 चपाती' विकसित की है, जिसके आटे से बनी रोटियां लंबे समय तक मुलायम रहती हैं। इसे खासतौर पर रोटियों के लिए विकसित किया गया है।
By गाँव कनेक्शन
शोधकर्ताओं कहना है कि ताप रोधन के साथ भूकंप प्रतिरोधी भवनों के निर्माण के लिए थर्मोकोल भविष्य की सामग्री हो सकती है और निर्माण सामग्रियों को विकसित करने के लिए आवश्यक ऊर्जा का बचत भी कर सकता है।
शोधकर्ताओं कहना है कि ताप रोधन के साथ भूकंप प्रतिरोधी भवनों के निर्माण के लिए थर्मोकोल भविष्य की सामग्री हो सकती है और निर्माण सामग्रियों को विकसित करने के लिए आवश्यक ऊर्जा का बचत भी कर सकता है।
By India Science Wire
अंतरिक्ष अभियानों में, चंद्रमा या मंगल पर लैंडिंग के समय क्षतिग्रस्त हो जाने की आशंका वाले उपकरणों में भी स्वयं मरम्मत की ये तकनीक उपयोगी सिद्ध हो सकती है।
अंतरिक्ष अभियानों में, चंद्रमा या मंगल पर लैंडिंग के समय क्षतिग्रस्त हो जाने की आशंका वाले उपकरणों में भी स्वयं मरम्मत की ये तकनीक उपयोगी सिद्ध हो सकती है।
By India Science Wire
ग्लोबल वार्मिग से जहां एक तरफ पृथ्वी का तापमान लगातार बढ़ रहा है तो दूसरी तरफ बढ़ते तापमान के कारण हिम ग्लेशियर तेजी से पिघल रहे हैं। ऐसे में वैज्ञानिकों का कहना है कि सेटेलाइट से मॉनिटरिंग करके अचानक आने वाली बाढ़ के खतरों से बचा जा सकता है।
ग्लोबल वार्मिग से जहां एक तरफ पृथ्वी का तापमान लगातार बढ़ रहा है तो दूसरी तरफ बढ़ते तापमान के कारण हिम ग्लेशियर तेजी से पिघल रहे हैं। ऐसे में वैज्ञानिकों का कहना है कि सेटेलाइट से मॉनिटरिंग करके अचानक आने वाली बाढ़ के खतरों से बचा जा सकता है।