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बाल संसद, मंत्रिमंडल और कार्यपुस्तिका जो छात्रों में भर रही है ज्ञान और आत्मविश्वास
बाल संसद, मंत्रिमंडल और कार्यपुस्तिका जो छात्रों में भर रही है ज्ञान और आत्मविश्वास

By Pratyaksh Srivastava

संसाधनों की कमी नए विचारों को जन्म देने से रोक नहीं सकती है। ये साबित किया है उत्तर प्रदेश में गोरखपुर के एक गाँव के प्राथमिक विद्यालय की शिक्षिका रोशन जहाँ ने। वे न सिर्फ सफलतापूर्वक एक बहु-ग्रेड, बहु-स्तरीय कक्षा का प्रबंधन करती हैं, अपने सभी 55 छात्रों को व्यस्त भी रखती हैं।

संसाधनों की कमी नए विचारों को जन्म देने से रोक नहीं सकती है। ये साबित किया है उत्तर प्रदेश में गोरखपुर के एक गाँव के प्राथमिक विद्यालय की शिक्षिका रोशन जहाँ ने। वे न सिर्फ सफलतापूर्वक एक बहु-ग्रेड, बहु-स्तरीय कक्षा का प्रबंधन करती हैं, अपने सभी 55 छात्रों को व्यस्त भी रखती हैं।

शनिवार के दिन चलने वाली स्पेशल क्लास के ज़रिए ऐसे दूर की बच्चों की झिझक
शनिवार के दिन चलने वाली स्पेशल क्लास के ज़रिए ऐसे दूर की बच्चों की झिझक

By Pratyaksh Srivastava

गोरखपुर के एक सरकारी स्कूल में शिक्षिका ने बच्चों को पढ़ाने के लिए बेहद ख़ास दिन चुना है, शनिवार के दिन चलने वाली इस क्लास में बच्चे बिना किसी झिझक के सवाल पूछते हैं।

गोरखपुर के एक सरकारी स्कूल में शिक्षिका ने बच्चों को पढ़ाने के लिए बेहद ख़ास दिन चुना है, शनिवार के दिन चलने वाली इस क्लास में बच्चे बिना किसी झिझक के सवाल पूछते हैं।

दीवारों पर चित्र बना कर कैसे एक टीचर बच्चों में बढ़ा रहा है खुद पर भरोसा
दीवारों पर चित्र बना कर कैसे एक टीचर बच्चों में बढ़ा रहा है खुद पर भरोसा

By Pratyaksh Srivastava

गोरखपुर के एक ग्रामीण स्कूल में एक शिक्षक अपने छात्रों की कम्युनिकेशन स्किल बढ़ाने के लिए उन्हें ग्रैफिटी यानी दीवारों पर चित्र बनाकर पढ़ाना पसंद करते हैं। उनके मुताबिक, पेंटिंग बच्चों की जिज्ञासा को बढ़ाती है और आपसी बातचीत को प्रोत्साहित करती है। इससे उनमें एक आत्मविश्वास पैदा होता है।

गोरखपुर के एक ग्रामीण स्कूल में एक शिक्षक अपने छात्रों की कम्युनिकेशन स्किल बढ़ाने के लिए उन्हें ग्रैफिटी यानी दीवारों पर चित्र बनाकर पढ़ाना पसंद करते हैं। उनके मुताबिक, पेंटिंग बच्चों की जिज्ञासा को बढ़ाती है और आपसी बातचीत को प्रोत्साहित करती है। इससे उनमें एक आत्मविश्वास पैदा होता है।

यूपी के इस स्कूल में टीचर की भोजपुरी का चला जादू, अब हर बच्चा पूछता है क्लास में सवाल
यूपी के इस स्कूल में टीचर की भोजपुरी का चला जादू, अब हर बच्चा पूछता है क्लास में सवाल

By Pratyaksh Srivastava

गोरखपुर के बगहीभारी गाँव की प्राथमिक विद्यालय की शिक्षिका निधि सिंह अपने स्कूल के बच्चों की पसंदीदा टीचर बन गईं हैं, क्योंकि बच्चों के अच्छे प्रदर्शन पर उन्हें एक स्माइली बैज देती हैं। यही नहीं बच्चों और उनके अभिभावकों को समझाने के लिए वो भोजपुरी में भी बोलती हैं।

गोरखपुर के बगहीभारी गाँव की प्राथमिक विद्यालय की शिक्षिका निधि सिंह अपने स्कूल के बच्चों की पसंदीदा टीचर बन गईं हैं, क्योंकि बच्चों के अच्छे प्रदर्शन पर उन्हें एक स्माइली बैज देती हैं। यही नहीं बच्चों और उनके अभिभावकों को समझाने के लिए वो भोजपुरी में भी बोलती हैं।

बच्चों को कार्टून शो और कविताओं के जरिए पढ़ाने वाली एक टीचर
बच्चों को कार्टून शो और कविताओं के जरिए पढ़ाने वाली एक टीचर

By Pratyaksh Srivastava

जागृति मिश्रा उत्तर प्रदेश के गोरखपुर के एक प्राथमिक विद्यालय में शिक्षिका हैं। वह पहली बार स्कूल आने वाले बच्चों को पढ़ाती हैं। बच्चे अपनी कक्षा में सहज हो और खुश रहें, इसके लिए वह सभी को एक साथ बैठने और खुलकर बातचीत करने में मदद करती हैं।

जागृति मिश्रा उत्तर प्रदेश के गोरखपुर के एक प्राथमिक विद्यालय में शिक्षिका हैं। वह पहली बार स्कूल आने वाले बच्चों को पढ़ाती हैं। बच्चे अपनी कक्षा में सहज हो और खुश रहें, इसके लिए वह सभी को एक साथ बैठने और खुलकर बातचीत करने में मदद करती हैं।

नई तरक़ीब से एक टीचर ने कैसे बना दिया संघर्षरत बच्चों को पढ़ने में अव्वल
नई तरक़ीब से एक टीचर ने कैसे बना दिया संघर्षरत बच्चों को पढ़ने में अव्वल

By Pratyaksh Srivastava

सीखने में संघर्षरत यानी स्लो लर्नर बच्चों के लिए भी क्लासरूम उतना ही महत्वपूर्ण है जितना दूसरे बच्चों के लिए। यह मानना है उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में एक प्राथमिक विद्यालय की शिक्षिका निर्मला सिंह का। अपने इन विचारों के साथ वह बच्चों को फिर से पाठ पढ़ाने और समझाने के लिए छुट्टी के बाद भी घंटों तक स्कूल में बनी रहती हैं। उन्हें अपने छात्रों को स्कूल से घर छोड़ने जाने और घर से स्कूल लाने में भी कोई गुरेज़ नहीं है।

सीखने में संघर्षरत यानी स्लो लर्नर बच्चों के लिए भी क्लासरूम उतना ही महत्वपूर्ण है जितना दूसरे बच्चों के लिए। यह मानना है उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में एक प्राथमिक विद्यालय की शिक्षिका निर्मला सिंह का। अपने इन विचारों के साथ वह बच्चों को फिर से पाठ पढ़ाने और समझाने के लिए छुट्टी के बाद भी घंटों तक स्कूल में बनी रहती हैं। उन्हें अपने छात्रों को स्कूल से घर छोड़ने जाने और घर से स्कूल लाने में भी कोई गुरेज़ नहीं है।

आज आपने नाश्ते में क्या खाया? कुछ ऐसे आसान सवालों से एक टीचर ने बच्चों को फिर से स्कूल से जोड़ दिया
आज आपने नाश्ते में क्या खाया? कुछ ऐसे आसान सवालों से एक टीचर ने बच्चों को फिर से स्कूल से जोड़ दिया

By Pratyaksh Srivastava

कोविड-19 महामारी के कारण, स्कूल 18 महीने तक बंद रहे। स्कूल शिक्षकों के लिए बच्चों को दोबारा उनकी क्लास में लाना एक बड़ी चुनौती थी। उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में एक शिक्षिका ने बड़ी होशियारी से अपनी पाठ योजनाओं का इस्तेमाल किया और स्कूल से दूर भाग रहे छात्रों को फिर स्कूल तक लाने में कामयाब रहीं।

कोविड-19 महामारी के कारण, स्कूल 18 महीने तक बंद रहे। स्कूल शिक्षकों के लिए बच्चों को दोबारा उनकी क्लास में लाना एक बड़ी चुनौती थी। उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में एक शिक्षिका ने बड़ी होशियारी से अपनी पाठ योजनाओं का इस्तेमाल किया और स्कूल से दूर भाग रहे छात्रों को फिर स्कूल तक लाने में कामयाब रहीं।

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