By दिति बाजपेई
Mohra are metal masks depicting the faces of deities, usually cast in brass, which are worshipped in Himachal Pradesh. The 10th century craft has been kept alive by craftsmen mostly settled in Mandi and Chamba districts.
Mohra are metal masks depicting the faces of deities, usually cast in brass, which are worshipped in Himachal Pradesh. The 10th century craft has been kept alive by craftsmen mostly settled in Mandi and Chamba districts.
By satyam kumar
In 2020-21, over 64,879.26 metric tonnes of apples and 3,67,309.04 metric tonnes of potatoes were produced in Uttarakhand, a large chunk of it in Chamoli district. But, due to a lack of cold storage units, farmers are forced to sell their produce at a very low rate. Setting up cold storage facilities can cut down post harvest losses and increase farmers' income.
In 2020-21, over 64,879.26 metric tonnes of apples and 3,67,309.04 metric tonnes of potatoes were produced in Uttarakhand, a large chunk of it in Chamoli district. But, due to a lack of cold storage units, farmers are forced to sell their produce at a very low rate. Setting up cold storage facilities can cut down post harvest losses and increase farmers' income.
By Gaon Connection
They grew up watching their moms and grandmoms make chutney, jam, dried apple, and other traditional eatables at home. And now the women of Kotgarh in Himachal Pradesh run a business around these products under the Kotgarh Valley Village Organisation.
They grew up watching their moms and grandmoms make chutney, jam, dried apple, and other traditional eatables at home. And now the women of Kotgarh in Himachal Pradesh run a business around these products under the Kotgarh Valley Village Organisation.
By दिति बाजपेई
मोहरा देवताओं के चेहरों को दर्शाने वाले धातु के मुखौटे हैं, जो आमतौर पर पीतल में ढाले जाते हैं, जिनकी हिमाचल प्रदेश में पूजा की जाती है। 10वीं शताब्दी के शिल्प को ज्यादातर मंडी और चंबा जिलों में बसे कारीगरों ने किसी तरह से जिंदा रखा है।
मोहरा देवताओं के चेहरों को दर्शाने वाले धातु के मुखौटे हैं, जो आमतौर पर पीतल में ढाले जाते हैं, जिनकी हिमाचल प्रदेश में पूजा की जाती है। 10वीं शताब्दी के शिल्प को ज्यादातर मंडी और चंबा जिलों में बसे कारीगरों ने किसी तरह से जिंदा रखा है।
By दिति बाजपेई
They grew up watching their moms and grandmoms make chutney, jam, dried apple, and other traditional eatables at home. And now the women of Kotgarh in Himachal Pradesh run a business around these products under the Kotgarh Valley Village Organisation.
They grew up watching their moms and grandmoms make chutney, jam, dried apple, and other traditional eatables at home. And now the women of Kotgarh in Himachal Pradesh run a business around these products under the Kotgarh Valley Village Organisation.
By Raja Muzaffar Bhat
आविष्कार, हिमाचल प्रदेश के पालमपुर में एक गैर-लाभकारी संगठन है, जहां ग्रामीण महिला शिक्षकों को गणित और विज्ञान जैसे विषयों को बेहतर ढंग से पढ़ाने और सिखाने की ट्रेनिंग दी जाती है। यहां उन युवा शिक्षकों के लिए फेलोशिप कार्यक्रम भी आयोजित किया जाता जो सरकारी स्कूलों के काम करने के तरीके में बदलाव लाना चाहते हैं।
आविष्कार, हिमाचल प्रदेश के पालमपुर में एक गैर-लाभकारी संगठन है, जहां ग्रामीण महिला शिक्षकों को गणित और विज्ञान जैसे विषयों को बेहतर ढंग से पढ़ाने और सिखाने की ट्रेनिंग दी जाती है। यहां उन युवा शिक्षकों के लिए फेलोशिप कार्यक्रम भी आयोजित किया जाता जो सरकारी स्कूलों के काम करने के तरीके में बदलाव लाना चाहते हैं।
By Arvind Shukla
सालभर के इंतजार के बाद हिमाचल में सेब किसानों के पास ये पैसा आने का समय हैं। लेकिन वो परेशान हैं क्योंकि उन्हें मार्केट में अच्छा भाव नहीं मिल रहा है। किसानों के मुताबिक अदानी की कंपनी ने पिछले साल की अपेक्षा सेब के रेट 16 रुपए किलो कम दिया है, जिसके बाद मार्केट में भी गिरावट आई है।
सालभर के इंतजार के बाद हिमाचल में सेब किसानों के पास ये पैसा आने का समय हैं। लेकिन वो परेशान हैं क्योंकि उन्हें मार्केट में अच्छा भाव नहीं मिल रहा है। किसानों के मुताबिक अदानी की कंपनी ने पिछले साल की अपेक्षा सेब के रेट 16 रुपए किलो कम दिया है, जिसके बाद मार्केट में भी गिरावट आई है।
By Bidyut Majumdar
सिर्फ खेती किसानी ही ऐसा काम है, जहाँ किसान को अपने ही काम के लिए मोल भाव करना पड़ता है; फिर भी उन्हें अपने उत्पाद का सही दाम नहीं मिल पाता। किसानों की इस समस्या का प्रमुख कारण है, उनके पास विकल्प का न होना। इसी समस्या को हल करने के लिए एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर ने प्लेटफार्म की शुरुआत की है, जिसका नाम है 'फार्मर नियर मी'।
सिर्फ खेती किसानी ही ऐसा काम है, जहाँ किसान को अपने ही काम के लिए मोल भाव करना पड़ता है; फिर भी उन्हें अपने उत्पाद का सही दाम नहीं मिल पाता। किसानों की इस समस्या का प्रमुख कारण है, उनके पास विकल्प का न होना। इसी समस्या को हल करने के लिए एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर ने प्लेटफार्म की शुरुआत की है, जिसका नाम है 'फार्मर नियर मी'।
By Dr Bishwanath Prasad Singh
सिरसा और सतलुज नदी के पानी में भारी मात्रा में एंटीबायोटिक है। यहां एक लीटर पानी में 296 माइक्रोग्राम (μg/l) तक एंटीबायोटिक पाया गया। जोकि निर्धारित मानक से 1500 गुना अधिक है।
सिरसा और सतलुज नदी के पानी में भारी मात्रा में एंटीबायोटिक है। यहां एक लीटर पानी में 296 माइक्रोग्राम (μg/l) तक एंटीबायोटिक पाया गया। जोकि निर्धारित मानक से 1500 गुना अधिक है।
By Manvendra Singh
सिर्फ खेती किसानी ही ऐसा काम है, जहाँ किसान को अपने ही काम के लिए मोल भाव करना पड़ता है; फिर भी उन्हें अपने उत्पाद का सही दाम नहीं मिल पाता। किसानों की इस समस्या का प्रमुख कारण है, उनके पास विकल्प का न होना। इसी समस्या को हल करने के लिए एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर ने प्लेटफार्म की शुरुआत की है, जिसका नाम है 'फार्मर नियर मी'।
सिर्फ खेती किसानी ही ऐसा काम है, जहाँ किसान को अपने ही काम के लिए मोल भाव करना पड़ता है; फिर भी उन्हें अपने उत्पाद का सही दाम नहीं मिल पाता। किसानों की इस समस्या का प्रमुख कारण है, उनके पास विकल्प का न होना। इसी समस्या को हल करने के लिए एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर ने प्लेटफार्म की शुरुआत की है, जिसका नाम है 'फार्मर नियर मी'।