झारखंडः साल 2019 तक सिर्फ 61 हजार आदिवासियों को मिल पाया जमीन का पट्टा
झारखंडः साल 2019 तक सिर्फ 61 हजार आदिवासियों को मिल पाया जमीन का पट्टा

By गाँव कनेक्शन

झारखंड के करीब 91 फीसदी लोग प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से जंगल पर आश्रित हैं। लेकिन जमीन के स्थायी पट्टे के लिए आबादी के अनुपात में आवेदकों की कम संख्या पर सवाल उठ रहे हैं।

झारखंड के करीब 91 फीसदी लोग प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से जंगल पर आश्रित हैं। लेकिन जमीन के स्थायी पट्टे के लिए आबादी के अनुपात में आवेदकों की कम संख्या पर सवाल उठ रहे हैं।

खेती और पशुपालन में प्रशिक्षण पाकर सशक्त बन रहीं हैं झारखंड की बिरहोर आदिवासी महिलाएं
खेती और पशुपालन में प्रशिक्षण पाकर सशक्त बन रहीं हैं झारखंड की बिरहोर आदिवासी महिलाएं

By Manoj Choudhary

बिरहोर जनजाति झारखंड के आठ विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूहों (पीवीटीजी) में से एक है जो गरीबी और अभाव में फंसा हुआ है। जेहेन गुटवा गाँव की बिरहोर महिलाओं को सब्जी की खेती और पशुपालन में प्रशिक्षित करने की एक पहल ने पलायन को रोका है और समुदाय के पोषण स्तर में सुधार किया है।

बिरहोर जनजाति झारखंड के आठ विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूहों (पीवीटीजी) में से एक है जो गरीबी और अभाव में फंसा हुआ है। जेहेन गुटवा गाँव की बिरहोर महिलाओं को सब्जी की खेती और पशुपालन में प्रशिक्षित करने की एक पहल ने पलायन को रोका है और समुदाय के पोषण स्तर में सुधार किया है।

बिजनेस वुमन बन रही हैं झारखंड की आदिवासी महिलाएं, वनोपज संग्रहण से हो रहा फायदा
बिजनेस वुमन बन रही हैं झारखंड की आदिवासी महिलाएं, वनोपज संग्रहण से हो रहा फायदा

By Shivani Gupta

झारखंड के सिमडेगा जिले में कम से कम 4,000 किसान दीदी और आदिवासी महिलाएं वनोपज के माध्यम से आजीविका कमा रही हैं। महिला किसान सशक्तिकरण परियोजना (एमकेएसपी) किसानों को स्थानीय बिचौलियों के चंगुल से भी बचा रही हैं।

झारखंड के सिमडेगा जिले में कम से कम 4,000 किसान दीदी और आदिवासी महिलाएं वनोपज के माध्यम से आजीविका कमा रही हैं। महिला किसान सशक्तिकरण परियोजना (एमकेएसपी) किसानों को स्थानीय बिचौलियों के चंगुल से भी बचा रही हैं।

पोषण से भरपूर होती हैं आदिवासियों के खाने में हर दिन इस्तेमाल होने वाली पत्तेदार सब्जियां
पोषण से भरपूर होती हैं आदिवासियों के खाने में हर दिन इस्तेमाल होने वाली पत्तेदार सब्जियां

By India Science Wire

शोधकर्ताओं का कहना है कि पोषण और खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने में भी सब्जियों की ये स्थानीय प्रजातियां मददगार हो सकती हैं। हैरानी की बात यह है कि इनमें से अधिकतर सब्जियों के बारे में देश के अन्य हिस्सों के लोगों को जानकारी तक नहीं है।

शोधकर्ताओं का कहना है कि पोषण और खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने में भी सब्जियों की ये स्थानीय प्रजातियां मददगार हो सकती हैं। हैरानी की बात यह है कि इनमें से अधिकतर सब्जियों के बारे में देश के अन्य हिस्सों के लोगों को जानकारी तक नहीं है।

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