By Gaon Connection
जहाँ उत्तर भारत के कई राज्य भारी बाढ़ से जूझ रहें हैं, वहीं भारत के कुछ हिस्सों में किसान कम मानसूनी बारिश के कारण सूखे का सामना कर रहे हैं। स्काईमेट वेदर ने चेतावनी दी है कि आने वाले महीने में अल नीनो के कारण स्थिति और ख़राब हो सकती है।
जहाँ उत्तर भारत के कई राज्य भारी बाढ़ से जूझ रहें हैं, वहीं भारत के कुछ हिस्सों में किसान कम मानसूनी बारिश के कारण सूखे का सामना कर रहे हैं। स्काईमेट वेदर ने चेतावनी दी है कि आने वाले महीने में अल नीनो के कारण स्थिति और ख़राब हो सकती है।
By Gaon Connection
देश में लाखों किसान मानसून का इंतज़ार कर रहे हैं। यह न सिर्फ एक मौसमी घटना है बल्कि उनकी ज़मीन को हरा-भरा करने और रोज़गार को बनाए रखने का ज़रिया भी है। महाराष्ट्र में मानसून के मौसम में अब तक माइनस 86 प्रतिशत बारिश दर्ज़ की गई है। खरीफ़ फ़सलों की बुवाई में देरी हो रही है। पुणे और सतारा जिलों से एक ग्राउंड रिपोर्ट।
देश में लाखों किसान मानसून का इंतज़ार कर रहे हैं। यह न सिर्फ एक मौसमी घटना है बल्कि उनकी ज़मीन को हरा-भरा करने और रोज़गार को बनाए रखने का ज़रिया भी है। महाराष्ट्र में मानसून के मौसम में अब तक माइनस 86 प्रतिशत बारिश दर्ज़ की गई है। खरीफ़ फ़सलों की बुवाई में देरी हो रही है। पुणे और सतारा जिलों से एक ग्राउंड रिपोर्ट।
By Pankaja Srinivasan
यह साल का वह समय है जब बाजार में आम दिखने लगे हैं, दोस्तों में आपस में तरह-तरह के व्यंजनों की रेसिपी शेयर की जा रहीं हैं और हवा में उत्साह है क्योंकि यह पूरे भारत में नए साल की शुरुआत है, चाहे वह बैसाखी हो, बिहू हो, विशु हो या पुथंडु।
यह साल का वह समय है जब बाजार में आम दिखने लगे हैं, दोस्तों में आपस में तरह-तरह के व्यंजनों की रेसिपी शेयर की जा रहीं हैं और हवा में उत्साह है क्योंकि यह पूरे भारत में नए साल की शुरुआत है, चाहे वह बैसाखी हो, बिहू हो, विशु हो या पुथंडु।
By Arvind Kumar Singh
By Aishwarya Tripathi
जहाँ उत्तर भारत के कई राज्य भारी बाढ़ से जूझ रहें हैं, वहीं भारत के कुछ हिस्सों में किसान कम मानसूनी बारिश के कारण सूखे का सामना कर रहे हैं। स्काईमेट वेदर ने चेतावनी दी है कि आने वाले महीने में अल नीनो के कारण स्थिति और ख़राब हो सकती है।
जहाँ उत्तर भारत के कई राज्य भारी बाढ़ से जूझ रहें हैं, वहीं भारत के कुछ हिस्सों में किसान कम मानसूनी बारिश के कारण सूखे का सामना कर रहे हैं। स्काईमेट वेदर ने चेतावनी दी है कि आने वाले महीने में अल नीनो के कारण स्थिति और ख़राब हो सकती है।
By Nidhi Jamwal
The eco-sensitive hill station in Maharashtra has no pucca roads and vehicles are a strict no-no. The only sound is that of birds in the daytime, and crickets at night. Or, perhaps the pitter-patter of raindrops on the window panes and on the red-tiled roofs of cottages. Matheran is a perfect getaway from the high-on-steroid urban lifestyles.
The eco-sensitive hill station in Maharashtra has no pucca roads and vehicles are a strict no-no. The only sound is that of birds in the daytime, and crickets at night. Or, perhaps the pitter-patter of raindrops on the window panes and on the red-tiled roofs of cottages. Matheran is a perfect getaway from the high-on-steroid urban lifestyles.
By D Sarika
देश में लाखों किसान मानसून का इंतज़ार कर रहे हैं। यह न सिर्फ एक मौसमी घटना है बल्कि उनकी ज़मीन को हरा-भरा करने और रोज़गार को बनाए रखने का ज़रिया भी है। महाराष्ट्र में मानसून के मौसम में अब तक माइनस 86 प्रतिशत बारिश दर्ज़ की गई है। खरीफ़ फ़सलों की बुवाई में देरी हो रही है। पुणे और सतारा जिलों से एक ग्राउंड रिपोर्ट।
देश में लाखों किसान मानसून का इंतज़ार कर रहे हैं। यह न सिर्फ एक मौसमी घटना है बल्कि उनकी ज़मीन को हरा-भरा करने और रोज़गार को बनाए रखने का ज़रिया भी है। महाराष्ट्र में मानसून के मौसम में अब तक माइनस 86 प्रतिशत बारिश दर्ज़ की गई है। खरीफ़ फ़सलों की बुवाई में देरी हो रही है। पुणे और सतारा जिलों से एक ग्राउंड रिपोर्ट।
By Gaon Connection
महाराष्ट्र का मराठवाड़ा क्षेत्र सूखा, फ़सल बर्बादी और किसानों की आत्महत्या के लिए जाना जाता है। एक बार फिर बारिश में देरी ने किसानों को चिंता में डाल दिया है। जिन्होंने अपनी खरीफ फसलों की बुआई कर ली है उनके लिए बारिश का न होना पहाड़ टूटने से कम नहीं है।
महाराष्ट्र का मराठवाड़ा क्षेत्र सूखा, फ़सल बर्बादी और किसानों की आत्महत्या के लिए जाना जाता है। एक बार फिर बारिश में देरी ने किसानों को चिंता में डाल दिया है। जिन्होंने अपनी खरीफ फसलों की बुआई कर ली है उनके लिए बारिश का न होना पहाड़ टूटने से कम नहीं है।
By Pankaja Srinivasan
‘सूखे में बारिश की बूंद: गोदावरी डांगे’- रीतिका रेवती सुब्रमण्यम और मैत्री डोरे की यह कॉमिक बुक आसान भाषा और चित्रों के जरिए, गोदावरी डांगे की एक अविश्वसनीय संघर्ष और सफलता की कहानी को फिर से सुना रही है।
‘सूखे में बारिश की बूंद: गोदावरी डांगे’- रीतिका रेवती सुब्रमण्यम और मैत्री डोरे की यह कॉमिक बुक आसान भाषा और चित्रों के जरिए, गोदावरी डांगे की एक अविश्वसनीय संघर्ष और सफलता की कहानी को फिर से सुना रही है।
By Pankaja Srinivasan
अपनी जैव विविधता के संरक्षण और सुरक्षा के महत्व को पहचानते हुए सतारा जिले के किरकसाल गाँव के लोगों ने कोविड महामारी के दौरान पक्षियों की प्रजातियों का दस्तावेजीकरण करने के लिए अथक प्रयास शुरू किया है। मार्च 2020 में गाँव में जिन 50 पक्षियों की पहचान की गई थी, उनमें से आज किरकसाल में पक्षियों की 203 प्रजातियां हैं, यह सब गाँव के युवाओं के प्रयासों के कारण हो पाया है।
अपनी जैव विविधता के संरक्षण और सुरक्षा के महत्व को पहचानते हुए सतारा जिले के किरकसाल गाँव के लोगों ने कोविड महामारी के दौरान पक्षियों की प्रजातियों का दस्तावेजीकरण करने के लिए अथक प्रयास शुरू किया है। मार्च 2020 में गाँव में जिन 50 पक्षियों की पहचान की गई थी, उनमें से आज किरकसाल में पक्षियों की 203 प्रजातियां हैं, यह सब गाँव के युवाओं के प्रयासों के कारण हो पाया है।