By Brijendra Dubey
अपनी 'पानी यात्रा' सीरीज के हिस्से के रूप में, गाँव कनेक्शन ने हाल ही में पिछले 20 वर्षों से पानी के टैंकरों पर पूरी तरह से निर्भर लहुरिया देह गाँव की दुर्दशा पर प्रकाश डालते हुए एक ग्राउंड रिपोर्ट प्रकाशित की है। प्रत्येक ग्रामीण को उनकी सभी पानी की जरूरतों के लिए एक दिन में केवल 15 लीटर पानी की अनुमति थी। इस सीमा को अब रद्द कर दिया गया है और अतिरिक्त पानी के टैंकरों को सेवा में लगाया गया है।
अपनी 'पानी यात्रा' सीरीज के हिस्से के रूप में, गाँव कनेक्शन ने हाल ही में पिछले 20 वर्षों से पानी के टैंकरों पर पूरी तरह से निर्भर लहुरिया देह गाँव की दुर्दशा पर प्रकाश डालते हुए एक ग्राउंड रिपोर्ट प्रकाशित की है। प्रत्येक ग्रामीण को उनकी सभी पानी की जरूरतों के लिए एक दिन में केवल 15 लीटर पानी की अनुमति थी। इस सीमा को अब रद्द कर दिया गया है और अतिरिक्त पानी के टैंकरों को सेवा में लगाया गया है।
By Satish Malviya
मध्य प्रदेश में 'बारहमासी' बेतवा नदी का बड़ा हिस्सा भूजल और नदी के अंधाधुंध दोहन के कारण सूख गया है। इसके किनारे रहने वाले गरीब ग्रामीण पीने का पानी लाने के लिए दूर दराज के इलाकों तक पैदल जाते हैं। जबकि अमीर लोग ट्यूबवेल मालिक बनकर पानी बेच रहे हैं। क्या केन-बेतवा लिंक परियोजना से क्षेत्र के जल संकट का समाधान होगा? एक ग्राउंड रिपोर्ट।
मध्य प्रदेश में 'बारहमासी' बेतवा नदी का बड़ा हिस्सा भूजल और नदी के अंधाधुंध दोहन के कारण सूख गया है। इसके किनारे रहने वाले गरीब ग्रामीण पीने का पानी लाने के लिए दूर दराज के इलाकों तक पैदल जाते हैं। जबकि अमीर लोग ट्यूबवेल मालिक बनकर पानी बेच रहे हैं। क्या केन-बेतवा लिंक परियोजना से क्षेत्र के जल संकट का समाधान होगा? एक ग्राउंड रिपोर्ट।
By Shivani Gupta
थका देने वाली गर्मी में दूर तक पैदल चलकर पानी लाना महिलाओं के लिए किसी इम्तहान से कम नहीं है। लेकिन उनकी परेशानी यहीं खत्म नहीं हो जाती। पानी का दूषित होना उससे भी बड़ी एक समस्या है। मध्य प्रदेश के शिवपुरी जिले में महिलाएं परिवार के लिए जो पानी ला रही हैं, वह सुरक्षित नहीं है। इस पानी में फ्लोराइड का स्तर इतना ज्यादा है कि उनके परिवार के स्वास्थ्य के लिए एक गंभीर खतरा बन गया है।
थका देने वाली गर्मी में दूर तक पैदल चलकर पानी लाना महिलाओं के लिए किसी इम्तहान से कम नहीं है। लेकिन उनकी परेशानी यहीं खत्म नहीं हो जाती। पानी का दूषित होना उससे भी बड़ी एक समस्या है। मध्य प्रदेश के शिवपुरी जिले में महिलाएं परिवार के लिए जो पानी ला रही हैं, वह सुरक्षित नहीं है। इस पानी में फ्लोराइड का स्तर इतना ज्यादा है कि उनके परिवार के स्वास्थ्य के लिए एक गंभीर खतरा बन गया है।
By Arun Singh
मध्य प्रदेश में पन्ना टाइगर रिजर्व के भीतर बिलहटा, कटाहारी और कोनी गाँवों के सैकड़ों आदिवासी परिवार अपनी पानी की जरूरतों को पूरा करने के लिए स्थानीय जल स्रोत झिरिया पर निर्भर हैं। आदिवासी महिलाएं घने जंगलों से होकर रोजाना कई किलोमीटर का सफर तय करती हैं और झिरिया से पानी लेने के लिए कई फीट नीचे उतरती हैं। वन अधिकारी बताते हैं कि केन-बेतवा लिंक परियोजना के चलते इन गाँवों को स्थानांतरित किया जाना है।
मध्य प्रदेश में पन्ना टाइगर रिजर्व के भीतर बिलहटा, कटाहारी और कोनी गाँवों के सैकड़ों आदिवासी परिवार अपनी पानी की जरूरतों को पूरा करने के लिए स्थानीय जल स्रोत झिरिया पर निर्भर हैं। आदिवासी महिलाएं घने जंगलों से होकर रोजाना कई किलोमीटर का सफर तय करती हैं और झिरिया से पानी लेने के लिए कई फीट नीचे उतरती हैं। वन अधिकारी बताते हैं कि केन-बेतवा लिंक परियोजना के चलते इन गाँवों को स्थानांतरित किया जाना है।
By Rahul Tiwari
बिहार के कई गाँवों में हैंडपंपों के पानी में जहरीले रसायनों की वजह से एक बार फिर लोग कुओं की तरफ लौट रहे हैं, उन्होंने कुओं को पुनर्जीवित करके फिर से इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है। इन गाँवों में कुओं के इस्तेमाल से बीमारियों में भी कमी आयी है।
बिहार के कई गाँवों में हैंडपंपों के पानी में जहरीले रसायनों की वजह से एक बार फिर लोग कुओं की तरफ लौट रहे हैं, उन्होंने कुओं को पुनर्जीवित करके फिर से इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है। इन गाँवों में कुओं के इस्तेमाल से बीमारियों में भी कमी आयी है।
By Brijendra Dubey
As part of its 'Paani Yatra' series, Gaon Connection recently published a ground report highlighting the plight of Lahuria Deh village that is completely dependent on water tankers for the past 20 years. Each villager was allowed only 15 litres of water a day for all their water needs. This limit has now been quashed and additional water tankers have been pressed into service.
As part of its 'Paani Yatra' series, Gaon Connection recently published a ground report highlighting the plight of Lahuria Deh village that is completely dependent on water tankers for the past 20 years. Each villager was allowed only 15 litres of water a day for all their water needs. This limit has now been quashed and additional water tankers have been pressed into service.
By Brijendra Dubey
पहाड़ी इलाके, भूजल निकालने के लिए कठिन और असफल योजनाएं उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर के लहुरियादह गाँव के 3,000 ग्रामीणों के लिए जीवन को दयनीय बना देती हैं। उनमें से हर किसी को पीने, खाना बनाने और नहाने-धाने के लिए हर दिन केवल 15 लीटर पानी मिलता है। महिलाओं को सबसे ज्यादा परेशानी होती है। गाँव कनेक्शन की पानी यात्रा के सीरीज की एक ग्राउंड रिपोर्ट।
पहाड़ी इलाके, भूजल निकालने के लिए कठिन और असफल योजनाएं उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर के लहुरियादह गाँव के 3,000 ग्रामीणों के लिए जीवन को दयनीय बना देती हैं। उनमें से हर किसी को पीने, खाना बनाने और नहाने-धाने के लिए हर दिन केवल 15 लीटर पानी मिलता है। महिलाओं को सबसे ज्यादा परेशानी होती है। गाँव कनेक्शन की पानी यात्रा के सीरीज की एक ग्राउंड रिपोर्ट।
By गाँव कनेक्शन
The nationwide Jal Jeevan Mission was launched in 2019 with an aim to assist the state governments to provide tap water connections to all rural houses by December, 2024. As of July 31, 34.67 % of rural houses are yet to be covered under the scheme. Details here.
The nationwide Jal Jeevan Mission was launched in 2019 with an aim to assist the state governments to provide tap water connections to all rural houses by December, 2024. As of July 31, 34.67 % of rural houses are yet to be covered under the scheme. Details here.
By Brijendra Dubey
Hilly terrain, hard to extract groundwater and failed schemes make life miserable for the 3,000 odd villagers of Lahuria Deh village in Mirzapur, Uttar Pradesh. Each of them gets just 15 litres of water a day to drink, cook and wash. Women suffer the most. A ground report as part of Gaon Connection's Paani Yatra.
Hilly terrain, hard to extract groundwater and failed schemes make life miserable for the 3,000 odd villagers of Lahuria Deh village in Mirzapur, Uttar Pradesh. Each of them gets just 15 litres of water a day to drink, cook and wash. Women suffer the most. A ground report as part of Gaon Connection's Paani Yatra.
By Brijendra Dubey
A ground report that was part of Gaon Connection’s Paani Yatra series last summer was a catalyst that helped bring piped water to Lahuria Deh village located on a hilltop in Mirzapur district of Uttar Pradesh.
A ground report that was part of Gaon Connection’s Paani Yatra series last summer was a catalyst that helped bring piped water to Lahuria Deh village located on a hilltop in Mirzapur district of Uttar Pradesh.