Reviving the quilting craft of the Kalbelia community of snake charmers
Reviving the quilting craft of the Kalbelia community of snake charmers

By Chandraprakash Pathak

The Kalbelia community has its own traditional craft in which the gudari work or quilting is done on recycled pieces of fabric using vibrant coloured threads like acrylic wool yarns, silk and mirrors. The Kalbelia Craft Revival Project is trying to revive this art and support the livelihoods of its artists who are forced to work as daily wage labourers.

The Kalbelia community has its own traditional craft in which the gudari work or quilting is done on recycled pieces of fabric using vibrant coloured threads like acrylic wool yarns, silk and mirrors. The Kalbelia Craft Revival Project is trying to revive this art and support the livelihoods of its artists who are forced to work as daily wage labourers.

Building Resilient Livelihoods in the Pandemic
Building Resilient Livelihoods in the Pandemic

By गाँव कनेक्शन

A new study, ‘Pathways to Resilient Livelihoods: Insights and Learning’, explores how collaborations and innovations lead to communities working as change agents, and building better and stronger livelihoods for the informal workers in rural and peri-urban areas.

A new study, ‘Pathways to Resilient Livelihoods: Insights and Learning’, explores how collaborations and innovations lead to communities working as change agents, and building better and stronger livelihoods for the informal workers in rural and peri-urban areas.

On its 10th anniversary, Gaon Connection releases a unique compendium — 50 Success Stories of Rural Women in the Pandemic
On its 10th anniversary, Gaon Connection releases a unique compendium — 50 Success Stories of Rural Women in the Pandemic

By गाँव कनेक्शन

The 250-page free-to-download e-book is a collection of stories of extraordinary courage, grit and determination of village women who stood up to the pandemic.

The 250-page free-to-download e-book is a collection of stories of extraordinary courage, grit and determination of village women who stood up to the pandemic.

Pandemic, poverty, recurring floods and human bondage in Bihar
Pandemic, poverty, recurring floods and human bondage in Bihar

By Rahul Jha

Bihar is India’s most flood-prone state and recurring floods, apart from displacing millions every year, also contribute to human trafficking as poor families spend several months in flood relief camps from where their children are lured into ‘jobs’. Gaon Connection met several such children and here is what they told us.

Bihar is India’s most flood-prone state and recurring floods, apart from displacing millions every year, also contribute to human trafficking as poor families spend several months in flood relief camps from where their children are lured into ‘jobs’. Gaon Connection met several such children and here is what they told us.

स्कूल फिर से खुलने के साथ, खासकर गरीब और हाशिए के समुदायों के बच्चों के लिए एक सुरक्षित और स्वस्थ माहौल की जरूरत है
स्कूल फिर से खुलने के साथ, खासकर गरीब और हाशिए के समुदायों के बच्चों के लिए एक सुरक्षित और स्वस्थ माहौल की जरूरत है

By Santhya Vikram

महामारी के इस दौर में अन्य नुकसान के साथ-साथ बच्चों की सीखने की क्षमता पर भी गहरा असर पड़ा है। लेकिन यह असर सभी बच्चों पर समान रहा हो, ऐसा नही है। स्कूलों को धीरे-धीरे खोलते वक्त स्कूलों और प्रशासन को सरकारी और निजी स्कूलों के बीच के अंतर को समझना होगा और इसी दृष्टिकोण के साथ आगे बढ़ना होगा।

महामारी के इस दौर में अन्य नुकसान के साथ-साथ बच्चों की सीखने की क्षमता पर भी गहरा असर पड़ा है। लेकिन यह असर सभी बच्चों पर समान रहा हो, ऐसा नही है। स्कूलों को धीरे-धीरे खोलते वक्त स्कूलों और प्रशासन को सरकारी और निजी स्कूलों के बीच के अंतर को समझना होगा और इसी दृष्टिकोण के साथ आगे बढ़ना होगा।

लॉकडाउन में बेबसी का सफर: मुश्किलों भरा वो लंबा दौर जिसके जख्म अभी तक नहीं भरे
लॉकडाउन में बेबसी का सफर: मुश्किलों भरा वो लंबा दौर जिसके जख्म अभी तक नहीं भरे

By गाँव कनेक्शन

ठीक दो साल पहले, 25 मार्च 2020 को पूरे देश में लॉकडाउन लग गया था। ग्रामीण भारत के लाखों प्रवासी मजदूर शहरों में फंसे हुए थे। उनके पास न तो नौकरी थी, न रहने की जगह और ना ही खाने का कोई सामान। उनमें से सैकड़ों हजारों तो पैदल ही अपने घरों की ओर निकल पड़े थे। दो साल बाद, गांव कनेक्शन ने इन प्रवासी मजदूरों से मिलकर उनकी स्थिति को जानने की कोशिश की और पाया कि लॉकडाउन से मिले उनके वो घाव अभी पूरी तरह से भरे नहीं हैं, निशान काफी गहरे हैं।

ठीक दो साल पहले, 25 मार्च 2020 को पूरे देश में लॉकडाउन लग गया था। ग्रामीण भारत के लाखों प्रवासी मजदूर शहरों में फंसे हुए थे। उनके पास न तो नौकरी थी, न रहने की जगह और ना ही खाने का कोई सामान। उनमें से सैकड़ों हजारों तो पैदल ही अपने घरों की ओर निकल पड़े थे। दो साल बाद, गांव कनेक्शन ने इन प्रवासी मजदूरों से मिलकर उनकी स्थिति को जानने की कोशिश की और पाया कि लॉकडाउन से मिले उनके वो घाव अभी पूरी तरह से भरे नहीं हैं, निशान काफी गहरे हैं।

वन्य प्राणियों में भी कोरोना संक्रमण का खतरा, एडवाइजरी के बाद रिजर्व पार्क के अंदर के गांवों में आवाजाही बंद
वन्य प्राणियों में भी कोरोना संक्रमण का खतरा, एडवाइजरी के बाद रिजर्व पार्क के अंदर के गांवों में आवाजाही बंद

By गाँव कनेक्शन

बच्चों के भविष्य के खातिर शिक्षा को भी अनलॉक करने की है जरूरत: आरटीई फोरम
बच्चों के भविष्य के खातिर शिक्षा को भी अनलॉक करने की है जरूरत: आरटीई फोरम

By गाँव कनेक्शन

कोविड महामारी के चलते लंबे समय से स्कूल-कॉलेज बंद हैं, घरों में बैठे बच्चे ऑनलाइन माध्यमों से पढ़ाई कर रहे हैं। जैसे कि धीरे धीरे स्थिति में सुधार आ रहा है। ऐसे में शिक्षा को भी अनलॉक करने की जरूरत है, शिक्षा का अधिकार फोरम ने स्कूलों को एक बार फिर खोलने के लिए मांगपत्र जारी किया है।

कोविड महामारी के चलते लंबे समय से स्कूल-कॉलेज बंद हैं, घरों में बैठे बच्चे ऑनलाइन माध्यमों से पढ़ाई कर रहे हैं। जैसे कि धीरे धीरे स्थिति में सुधार आ रहा है। ऐसे में शिक्षा को भी अनलॉक करने की जरूरत है, शिक्षा का अधिकार फोरम ने स्कूलों को एक बार फिर खोलने के लिए मांगपत्र जारी किया है।

कोरोना महामारी का बच्चों के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर पड़ सकता है गंभीर असर
कोरोना महामारी का बच्चों के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर पड़ सकता है गंभीर असर

By गाँव कनेक्शन

देखभाल करने वाले लोगों के लिए बच्चों के साथ धैर्य रखने और उनकी भावनाओं को समझने की जरूरत है। छोटे बच्चों में तनाव के लक्षणों की तलाश करें, जिससे अत्यधिक चिंता या उदासी, अस्वास्थ्यकर भोजन या नींद की आदतें, ध्यान और एकाग्रता में कठिनाई हो सकती हैं। परिवारों को भी तनाव से निपटने और उनकी चिंता को दूर करने के लिए बच्चों का समर्थन करने की जरूरत है।

देखभाल करने वाले लोगों के लिए बच्चों के साथ धैर्य रखने और उनकी भावनाओं को समझने की जरूरत है। छोटे बच्चों में तनाव के लक्षणों की तलाश करें, जिससे अत्यधिक चिंता या उदासी, अस्वास्थ्यकर भोजन या नींद की आदतें, ध्यान और एकाग्रता में कठिनाई हो सकती हैं। परिवारों को भी तनाव से निपटने और उनकी चिंता को दूर करने के लिए बच्चों का समर्थन करने की जरूरत है।

कोरोना महामारी और लॉकडाउन के असर से बिगड़ रही मानसिक स्वास्थ की स्थिति
कोरोना महामारी और लॉकडाउन के असर से बिगड़ रही मानसिक स्वास्थ की स्थिति

By गाँव कनेक्शन

जब से कोरोना महामारी शुरू हुई है, तब से कई रिपोर्टों से यह संकेत मिला है कि अलग-अलग आयु वर्ग के व्यक्तियों के बीच मानसिक स्वास्थ्य संबंधी स्थिति बिगड़ रही है। इस पोस्ट में, मिशेल मैरी बर्नडाइन ने भारत में मानसिक स्वास्थ्य की परिस्थितियों को दर्शाया है, जैसे अर्थव्यवस्था के लिए मानसिक स्वास्थ्य संकट की लागत कितनी है और इस संकट का समाधान करने के लिए कानून और राज्य की मौजूदा क्षमता किस हद तक समर्थ हैं।

जब से कोरोना महामारी शुरू हुई है, तब से कई रिपोर्टों से यह संकेत मिला है कि अलग-अलग आयु वर्ग के व्यक्तियों के बीच मानसिक स्वास्थ्य संबंधी स्थिति बिगड़ रही है। इस पोस्ट में, मिशेल मैरी बर्नडाइन ने भारत में मानसिक स्वास्थ्य की परिस्थितियों को दर्शाया है, जैसे अर्थव्यवस्था के लिए मानसिक स्वास्थ्य संकट की लागत कितनी है और इस संकट का समाधान करने के लिए कानून और राज्य की मौजूदा क्षमता किस हद तक समर्थ हैं।

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