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मिलिए अपने समुदायों की कहानियों को आवाज़ देने वाली आदिवासी फिल्म निर्माता से
मिलिए अपने समुदायों की कहानियों को आवाज़ देने वाली आदिवासी फिल्म निर्माता से

By Gaon Connection

टाटा स्टील फाउंडेशन के ‘संवाद’ सम्मेलन में युवा आदिवासी फिल्म निर्माता मैरी संध्या लाकरा की लघु फिल्म को साझा किया गया था। यह फिल्म आदिवासी प्रवासी श्रमिकों की ज़िंदगी में आने वाली मुश्किलों को सामने लाने का उनका एक प्रयास है।

टाटा स्टील फाउंडेशन के ‘संवाद’ सम्मेलन में युवा आदिवासी फिल्म निर्माता मैरी संध्या लाकरा की लघु फिल्म को साझा किया गया था। यह फिल्म आदिवासी प्रवासी श्रमिकों की ज़िंदगी में आने वाली मुश्किलों को सामने लाने का उनका एक प्रयास है।

मिलिए अपने समुदायों की कहानियों को आवाज़ देने वाली आदिवासी फिल्म निर्माता से
मिलिए अपने समुदायों की कहानियों को आवाज़ देने वाली आदिवासी फिल्म निर्माता से

By Pankaja Srinivasan

टाटा स्टील फाउंडेशन के ‘संवाद’ सम्मेलन में युवा आदिवासी फिल्म निर्माता मैरी संध्या लाकरा की लघु फिल्म को साझा किया गया था। यह फिल्म आदिवासी प्रवासी श्रमिकों की ज़िंदगी में आने वाली मुश्किलों को सामने लाने का उनका एक प्रयास है।

टाटा स्टील फाउंडेशन के ‘संवाद’ सम्मेलन में युवा आदिवासी फिल्म निर्माता मैरी संध्या लाकरा की लघु फिल्म को साझा किया गया था। यह फिल्म आदिवासी प्रवासी श्रमिकों की ज़िंदगी में आने वाली मुश्किलों को सामने लाने का उनका एक प्रयास है।

कैसी है देश दुनिया से कटे महाराष्ट्र के इन 24 आदिवासी गाँवों की कहानी?
कैसी है देश दुनिया से कटे महाराष्ट्र के इन 24 आदिवासी गाँवों की कहानी?

By Satish Malviya

महाराष्ट्र के नंदुरबार ज़िले में उदई नदी के किनारे करीब 12 हज़ार भील आदिवासी भगवान भरोसे हैं। स्वास्थ्य, शिक्षा और रोज़गार तो दूर उनकी आवाज़ तक सुनना मुश्किल है। प्रशासन के लिए भी उन तक पहुँचना टेढ़ी खीर है। वजह है नदी पार के लिए पुल का नहीं होना।

महाराष्ट्र के नंदुरबार ज़िले में उदई नदी के किनारे करीब 12 हज़ार भील आदिवासी भगवान भरोसे हैं। स्वास्थ्य, शिक्षा और रोज़गार तो दूर उनकी आवाज़ तक सुनना मुश्किल है। प्रशासन के लिए भी उन तक पहुँचना टेढ़ी खीर है। वजह है नदी पार के लिए पुल का नहीं होना।

राजस्थान के 24 गाँवों की 1800 से ज़्यादा आदिवासी महिलाओं की ज़िंदगी बदल रहा ये स्टार्टअप
राजस्थान के 24 गाँवों की 1800 से ज़्यादा आदिवासी महिलाओं की ज़िंदगी बदल रहा ये स्टार्टअप

By Gaon Connection

राजस्थान के उदयपुर के आदिवासी गाँव डाँग में राजीव ओझा ने एक ऐसा इकोसिस्टम बनाया है, जहाँ ये सीजनल फ्रूट्स आदिवासी महिलाओं से अच्छे दाम पर खरीद लेते हैं और फिर उन्हीं फलों को प्रोसेस करके अलग-अलग प्रोडक्ट बना कर बाज़ार में उतार देते हैं।

राजस्थान के उदयपुर के आदिवासी गाँव डाँग में राजीव ओझा ने एक ऐसा इकोसिस्टम बनाया है, जहाँ ये सीजनल फ्रूट्स आदिवासी महिलाओं से अच्छे दाम पर खरीद लेते हैं और फिर उन्हीं फलों को प्रोसेस करके अलग-अलग प्रोडक्ट बना कर बाज़ार में उतार देते हैं।

राजस्थान के 24 गाँवों की 1800 से ज़्यादा आदिवासी महिलाओं की ज़िंदगी बदल रहा ये स्टार्टअप
राजस्थान के 24 गाँवों की 1800 से ज़्यादा आदिवासी महिलाओं की ज़िंदगी बदल रहा ये स्टार्टअप

By Manvendra Singh

राजस्थान के उदयपुर के आदिवासी गाँव डाँग में राजीव ओझा ने एक ऐसा इकोसिस्टम बनाया है, जहाँ ये सीजनल फ्रूट्स आदिवासी महिलाओं से अच्छे दाम पर खरीद लेते हैं और फिर उन्हीं फलों को प्रोसेस करके अलग-अलग प्रोडक्ट बना कर बाज़ार में उतार देते हैं।

राजस्थान के उदयपुर के आदिवासी गाँव डाँग में राजीव ओझा ने एक ऐसा इकोसिस्टम बनाया है, जहाँ ये सीजनल फ्रूट्स आदिवासी महिलाओं से अच्छे दाम पर खरीद लेते हैं और फिर उन्हीं फलों को प्रोसेस करके अलग-अलग प्रोडक्ट बना कर बाज़ार में उतार देते हैं।

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