By दिति बाजपेई
India reported 663 murders attributed to witch-hunts between 2015 and 2021. This comes to an average of 95 witch–hunt/witch-craft related deaths every year. Bihar was the first state to enact a law against this practice with a punishment of up to 6 months jail or Rs 2,000 fine! Still, women continue to be hunted down as witches. A ground report.
India reported 663 murders attributed to witch-hunts between 2015 and 2021. This comes to an average of 95 witch–hunt/witch-craft related deaths every year. Bihar was the first state to enact a law against this practice with a punishment of up to 6 months jail or Rs 2,000 fine! Still, women continue to be hunted down as witches. A ground report.
By दिति बाजपेई
भारत में 2015 से लेकर 2021 के बीच डायन बताकर महिलाओं की हत्या किए जाने के 663 मामले सामने आए थे। यानी हर साल औसतन 95 महिलाओं को डायन बताकर उनकी हत्या कर दी जाती है। बिहार इस प्रथा के खिलाफ कानून बनाने वाला पहला राज्य था, जिसमें 6 महीने तक की जेल या 2,000 रुपये के जुर्माना का प्रावधान रखा गया था। बावजूद इसके राज्य में ऐसी मौतों का सिलसिला रुका नहीं है। एक ग्राउंड रिपोर्ट-
भारत में 2015 से लेकर 2021 के बीच डायन बताकर महिलाओं की हत्या किए जाने के 663 मामले सामने आए थे। यानी हर साल औसतन 95 महिलाओं को डायन बताकर उनकी हत्या कर दी जाती है। बिहार इस प्रथा के खिलाफ कानून बनाने वाला पहला राज्य था, जिसमें 6 महीने तक की जेल या 2,000 रुपये के जुर्माना का प्रावधान रखा गया था। बावजूद इसके राज्य में ऐसी मौतों का सिलसिला रुका नहीं है। एक ग्राउंड रिपोर्ट-
By गाँव कनेक्शन
छुटनी महतो खुद भी डायन-बिसाही का शिकार हो चुकी हैं। वो तो बच गईं लेकिन उसके बाद उन्होंने दूसरी महिलाओं को इससे बचाने की ठान ली। उन्होंने अब तक डायन-बिसाही के शिकार 125 से अधिक महिलाओं को बचाया है। NCRB के आंकड़ों के अनुसार साल 2016 और साल 2019 के बीच झारखंड में अंधविश्वास से संबंधित डायन-बिसाही के मामलों में 79 लोगों की मौत हुई है।
छुटनी महतो खुद भी डायन-बिसाही का शिकार हो चुकी हैं। वो तो बच गईं लेकिन उसके बाद उन्होंने दूसरी महिलाओं को इससे बचाने की ठान ली। उन्होंने अब तक डायन-बिसाही के शिकार 125 से अधिक महिलाओं को बचाया है। NCRB के आंकड़ों के अनुसार साल 2016 और साल 2019 के बीच झारखंड में अंधविश्वास से संबंधित डायन-बिसाही के मामलों में 79 लोगों की मौत हुई है।