By Deepanshu Mishra
By Virendra Singh
यूपी के सीतापुर गाँव का एक स्कूल सामाजिक बुराइयों को दूर करने की कोशश में मिसाल कायम कर रहा है। स्कूल के प्रिंसिपल बच्चो को विज्ञान की पढ़ाई के साथ- साथ बुराई के ख़िलाफ आवाज़ उठाने के लिए प्रोत्साहित करते हैं। यहाँ के बच्चे एक पाक्षिक अख़बार भी निकालते हैं, जिसमें लिखी बातों का गाँव में अब बड़ा असर होता हैं।
यूपी के सीतापुर गाँव का एक स्कूल सामाजिक बुराइयों को दूर करने की कोशश में मिसाल कायम कर रहा है। स्कूल के प्रिंसिपल बच्चो को विज्ञान की पढ़ाई के साथ- साथ बुराई के ख़िलाफ आवाज़ उठाने के लिए प्रोत्साहित करते हैं। यहाँ के बच्चे एक पाक्षिक अख़बार भी निकालते हैं, जिसमें लिखी बातों का गाँव में अब बड़ा असर होता हैं।
By Neetu Singh
By Neetu Singh
By Bidyut Majumdar
By Parul Niranjan Sachan
पारुल निरंजन, कानपुर देहात के रसूलाबाद ब्लॉक के प्राथमिक विद्यालय उसरी में हेड मास्टर हैं। पिछले कुछ वर्षों में उन्होंने अपने क्षेत्र में बदलाव की बयार चला दी, टीचर्स डायरी में पारुल अपनी उसी यात्रा का किस्सा साझा कर रहीं हैं।
पारुल निरंजन, कानपुर देहात के रसूलाबाद ब्लॉक के प्राथमिक विद्यालय उसरी में हेड मास्टर हैं। पिछले कुछ वर्षों में उन्होंने अपने क्षेत्र में बदलाव की बयार चला दी, टीचर्स डायरी में पारुल अपनी उसी यात्रा का किस्सा साझा कर रहीं हैं।
By Kushal Mishra
By Neetu Singh
By Ankit Rathore
देश की दूसरी कलाओं की तरह जो सालों से घटती रहीं और गायब हो गईं, वाराणसी उत्तर प्रदेश की गुलाबी मीनाकारी भी धीरे-धीरे समाप्त हो रही थी। लेकिन, जीआई टैग और सरकार के प्रोत्साहन ने इसे बढ़ावा दिया है। कई महिलाएं इस कला से अपनी रोजी रोटी कमा रही हैं क्योंकि उन्हें इस कला में प्रशिक्षित किया जा रहा है।
देश की दूसरी कलाओं की तरह जो सालों से घटती रहीं और गायब हो गईं, वाराणसी उत्तर प्रदेश की गुलाबी मीनाकारी भी धीरे-धीरे समाप्त हो रही थी। लेकिन, जीआई टैग और सरकार के प्रोत्साहन ने इसे बढ़ावा दिया है। कई महिलाएं इस कला से अपनी रोजी रोटी कमा रही हैं क्योंकि उन्हें इस कला में प्रशिक्षित किया जा रहा है।
By Manoj Choudhary
यहां हर गाँव में एक ‘बकरी पालक पाठशाला’ नामक स्वयं सहायता समूह काम कर रहा है। इसके अलावा कई गाँवों ने मिलकर एक ‘जागो बकरी पाठशाला’ नामक एक मंच बनाया हुआ है, जहां वो सब बकरी पालन पर चर्चा करने के लिए महीने में एक बार मिलते हैं।
यहां हर गाँव में एक ‘बकरी पालक पाठशाला’ नामक स्वयं सहायता समूह काम कर रहा है। इसके अलावा कई गाँवों ने मिलकर एक ‘जागो बकरी पाठशाला’ नामक एक मंच बनाया हुआ है, जहां वो सब बकरी पालन पर चर्चा करने के लिए महीने में एक बार मिलते हैं।