पैथौलॉजी में मरीजों की जान से खिलवाड़: एक मरीज़, एक जांच, तीन रिपोर्ट

Deepanshu MishraDeepanshu Mishra   26 March 2017 1:30 PM GMT

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पैथौलॉजी में मरीजों की जान से खिलवाड़:  एक मरीज़, एक जांच, तीन रिपोर्टराजधानी में पैथौलाॅजी जांच के नाम पर लोगों की जिंदगी के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है।

स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क

लखनऊ। राजधानी में पैथौलाॅजी जांच के नाम पर लोगों की जिंदगी के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। एक ही डॉक्टर द्वारा लिखी एक जांच को तीन अलग-अलग पैथौलाॅजी में कराया गया तो तीनों के नतीजे अलग-अलग आए।

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गोमतीनगर में रहने वाली एक महिला ने अपने बीमारी की वजह से तीन पैथौलाॅजी में अपने खून की जांच करवाई। एक जांच सरकार डायग्नोस्टिक्स से, दूसरी जांच इंद्रा डायग्नोस्टिक्स से और तीसरी जांच एसआरएल डायग्नोस्टिक्स से कराई तो तीनों की जांचों में रिपोर्ट अलग-अलग आई।

पैथौलाॅजी सेंटर के नाम पर किस प्रकार लोगों की जिंदगी से खेला जा रहा है, ये रिपोर्ट उसकी बानगी भर है। गरीब आदमी जो एक बार ही जांच करा पाता है वो कैसे अपनी बीमारी का सही पता लगा पाएगा इन िरपोर्टों के माध्यम से। प्रोथ्रोम्बिन टाइम, प्लाज्मा नाम की ये जांच इसलिए कराई गई थी क्योंकि ये पता चल सके कि खून कितना पतला है या कितना गाढ़ा है।

जांच में अलग-अलग रिपोर्ट आने के बारे में सिविल चिकित्सालय के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. आशुतोष दुबे बताते है, “ये पैथाैलॉजी पर निर्भर करता है क्योंकि हर पैथाैलॉजी का एक अलग मानक होता है। खून का सैंपल किस प्रकार से लिया गया है, अगर किसी पैथाैलॉजी की जांच अलग आती है, इससे मरीज को खतरा हो सकता है क्योंकि किसी बड़ी जांच से व्यक्ति की मौत भी हो सकती है।

गांव कनेक्शन दैनिक में प्रकाशित ख़बर

उन्होंने आगे बताया, “सारी दवा तो जांच के आधार पर ही दी जाती है। अगर रिपोर्ट अलग आई है तो इस पर उन पैथाैलॉजी की जांच करनी चाहिए कि आखिर ऐसा क्यों हुआ है।’’लखनऊ के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. जीएस बाजपेई ने बताया, “अगर एक ही जांच तीन जगह से करवाई गई है और तीनों जगह की जांचें अलग-अलग आई है तो इस पर कार्रवाई की जाएगी। इसकी जांच की जाएगी कि आखिर तीनो जांचें अलग-अलग क्यों आई थी।’’ डॉ. आशुतोष ने आगे बताया, “एक दिक्कत जरूर है, डॉक्टर अपने नाम से पैथाैलॉजी तो खोल लेते हैं, लेकिन वहां पर खून और अन्य सभी जांचें करने के लिए डॉक्टर के अलावा कुछ लोगों को रख लिया जाता है। पता नहीं उनको कुछ आता भी है या नहीं। रिपोर्ट पर डॉक्टर के हस्ताक्षर करवा लेते हैं और ऐसे उनका काम चलता रहता है। ऐसी सभी पैथाैलॉजी की जांच होनी चाहिए और इन पर कार्रवाई होनी चाहिए।

पैथाैलॉजी वाले सकते में, सूझ नहीं रहे जवाब

सरकार डायग्नोस्टिक्स के प्रबंधक अमन पांडेय ने बताया, “एक बार रिपोर्ट फिर से दिखाइए फिर इस पर बात करते हैं कि आखिर जांच अलग क्यों आई हैं।’’ इंद्रा डायग्नोस्टिक्स के प्रबंधक रंजीत सिंह ने बताया, ‘’ये किट पर भी निर्भर करता है कि किस प्रकार की किट पैथालॉजी प्रयोग कर रही है। रिपोर्ट तीन जगह से अलग अलग आई है। इस पर आप रिपोर्ट लेकर आ जाइये फिर बात करते हैं।’’ एस.आर.एल डायग्नोस्टिक्स ने बात न करके इस पर कोई भी जानकारी देने से इनकार किया।

लाखों जिंदगियों से रोज़ हो रहा खिलवाड़

राजधानी में सैकड़ों ऐसे पैथौलॉजी केंद्र है, जहां पर डॉक्टर की जगह पर रखे गये कर्मचारी जांचें करते हैं। डॉक्टर के नाम का बोर्ड तो लगा है, लेकिन डॉक्टर जांच करने के लिए कभी नहीं आते है।

शहर में पैथौलॉजी तो खुलती हैं, लेकिन पैथौलॉजी पर सिर्फ डॉक्टर का नाम तो लगा दिया जाता है, लेकिन जांच करवाने गये व्यक्ति की कभी भी मुलाकात डॉक्टर से नहीं हो पाती है। पैथौलॉजी खोलते वक्त डॉक्टर अपना नाम दर्ज करवा लेते हैं। पैथौलॉजी में डॉक्टर के नाम का बड़ा-बड़ा बोर्ड लगा होता है कि डॉ. प्रभात (काल्पनिक नाम) और नाम आगे उनकी बड़ी सी डिग्री लिखी होती है, जिसके कारण डॉ. को पैथौलॉजी खोलने का लाइसेंस मिलता है।

हाल ही में जांच रिपोर्ट कराने वाले सरोजनी नगर के रहने वाले मनोज कुमार त्रिपाठी (45 वर्ष) बताते हैं, “डॉक्टर अपने काम से छुटकारा पाने के लिए कुछ कर्मचारियों को रख लेता है, जो कि जांच के साथ-साथ पूरी प्रक्रिया करते हैं और रिपोर्ट डॉक्टर के नाम से बना देते हैं। बनी हुईं रिपोर्ट पर उस डॉक्टर के हस्ताक्षर और मुहर लगवा लेते हैं। और रिपोर्ट उस व्यक्ति को दे दी जाती है।” मनोज आगे बताते हैं, “यही कारण होता है कि आप जितनी पैथौलॉजी से जांच करवाते है, तो रिपोर्ट अलग-अलग आती है और मरीज के लिए खतरे का कारण बन जाती है।”

एक प्राइवेट चिकित्सक ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, ‘’डॉक्टर अपने नाम से पैथौलॉजी तो खोल लेते हैं, लेकिन वहां काम करने के लिए डॉक्टर के अलावा कुछ लोगों को रख लिया जाता है। पता नहीं उनको कुछ आता भी है या नही, रिपोर्ट पर डॉक्टर के हस्ताक्षर करवा लेते हैं और ऐसे उनका काम चलता रहता है।

लखनऊ में स्थित आदर्श डायग्नोस्टिक सेंटर में उनसे पूछने पर बताया गया कि खून की जांच आपको करवानी है, आप आ जाइये डाक्टर साहब तो है नहीं पर यहां का स्टाफ आपकी खून की जाँच जरूर कर देगा। डॉक्टर से मुलाक़ात तो नहीं हो सकती। लखनऊ में स्थित केयर डायग्नोस्टिक सेंटर पर बात करने पर उन्होंने बताया आप जाँच करवा सकते है, डॉक्टर तो नहीं मिलेंगे लेकिन आपकी जाँच हो जाएगी आप आके जांच करवा सकते हैं।

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