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मिर्जापुर: भदोही की कालीन फैक्ट्रियों से निकले पानी से बर्बाद खेतों के किसान करेंगे चुनाव का बहिष्कार

Brijendra Dubey | Feb 11, 2022, 09:01 IST
मिर्जापुर के जगपट्टी गांव में सात मार्च को मतदान होना है। लेकिन मिर्जापुर के जगपट्टी गांव के निवासियों का कहना है कि पड़ोसी भदोही जिले में कालीन उद्योग के अपशिष्ट रिसकर उनके खेतों तक पहुंच रहे हैं और उनकी फसलों को बर्बाद कर रहे हैं। इसके विरोध में वे मतदान नहीं करेंगे।
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जगपट्टी (मिर्जापुर, उत्तर प्रदेश)। दुजयी देवी के छह बीघा (लगभग एक हेक्टेयर) खेत में पिछले दस सालों में अनाज का एक दाना नहीं उगा है। ऐसा फसल की अनदेखी करने की वजह से नहीं हुआ है। बल्कि इसका कारण उनके खेतों में रिसकर आने वाले प्रदूषित पानी है जो जमीन पर मेहनत करने के बावजूद, वहां घास तक नहीं उगने देता है।

मिर्जापुर के जगपट्टी गांव में रहने वाली, 70 साल की ये बुजुर्ग महिला गांव कनेक्शन से कहती है, "का खाई, का कमायी। दस साल से ये हो रहा है। सब खेत डूब जात है मैले पानी में।"

चुनावी राज्य उत्तर प्रदेश में मिर्जापुर और भदोही जिलों की सीमा पर स्थित जगपट्टी गांव में सिर्फ दुजयी ही नहीं हैं, जो इस समस्या से जूझ रही हैं। बल्कि गांव में रहने वाले 4 हजार लोग इसकी वजह से खेती नहीं कर पा रहे हैं। कभी खेती उनकी आमदनी का मुख्य जरिया हुआ करती थी।

भदोही जिले में सीमा पार कारखानों से गंदा और दूषित अपशिष्ट जल एक खुले नाले में बहा दिया जाता है। नाले से होते हुए ये गंदा पानी जगपट्टी और उसके आसपास की 50 एकड़ (लगभग 20 हेक्टेयर) खेती की जमीन पर भर जाता है। जिसकी वजह से समय के साथ-साथ खेती की ये जमीन बंजर होती चली गईं। ">देखिए वीडियो

जगपट्टी में रहने 35 साल के सत्यकेतु मौर्य ने गांव कनेक्शन को बताया, "हमारे खेतों को जलमग्न करने वाला गंदा पानी जहरीले रसायनों से भरा है। ये पड़ोसी भदोही जिले के खमरिया शहर में स्थित कालीन बनाने वाली फैक्ट्रियों से आता है।"

मौर्य ने कहा, "हम, अधिकारियों से इस गंदे पानी के खतरे से निजात दिलाने का अनुरोध करते रहे हैं। लेकिन पिछले 10 साल में इसके लिए कुछ भी नहीं किया गया। इस बार, ग्रामीणों ने आने वाले चुनावों में मतदान नहीं करने का फैसला किया है।"

उत्तर प्रदेश में सात चरणों में होने वाले विधानसभा चुनावों का, 10 फरवरी को पहला दिन था। अगले चरणों का मतदान 14 फरवरी, 20 फरवरी, 23 फरवरी, 27 फरवरी, 3 मार्च और 7 मार्च को होगा। परिणाम 10 मार्च को घोषित किए जाएंगे। जगपट्टी गांव में सातवें चरण यानी 7 मार्च को मतदान होना है।

ग्रामीणों के अनुसार दुर्गंध के अलावा मलेरिया जैसी बीमारियों का भी लगातार खतरा बना रहता है। गांव की रहने वाली 18 वर्षीय सुनीता मौर्या ने गांव कनेक्शन को बताया, "खेतों में पानी भरा है और इस पानी में मच्छर पनपते हैं। यहां मलेरिया बहुत आम है। हमें अपने स्कूल जाने के लिए इन इलाकों से गुजरना पड़ता है। यहां दुर्गंध इतनी ज्यादा है कि कोई हमसे मिलने भी नहीं आता है।"

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जगपट्टी गांव के लोग

मिर्जापुर में खेतों को बर्बाद करता भदोही का सीवेज और औद्योगिक अपशिष्ट

भदोही जिला अपने कालीन उत्पादन के लिए प्रसिद्ध है। जुलाई 2018 में 'भारत के भदोही में कालीन उद्योग का अस्तित्व' नामक एक अध्ययन प्रकाशित हुआ था। उसके अनुसार, भदोही में बने कालीन ऊन और कपास का एक अनूठा मिश्रण हैं और यहां बने उत्पादों का मुख्य रूप से निर्यात किया जाता है।

राज्य सरकार के सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम और निर्यात उत्पादन विभाग के अनुसार, जिले में लगभग 63 हजार कारीगरों की आजीविका कालीन उद्योग पर निर्भर है। भदोही में छोटी इकाइयां हैं और उनकी स्थापना कुटीर उद्योग की तरह की गई है। जगपट्टी से सिर्फ एक किलोमीटर की दूरी पर स्थित खमरिया शहर (भदोही), मजदूरों को बड़े पैमाने पर रोजगार देता है।

लेकिन जिस तरीके से यहां अपशिष्ट निपटान के उपाय अपनाएं जा रहे हैं, वो आसपास के क्षेत्रों जैसे मिर्जापुर के जगपट्टी के गांवों के लिए खतरा पैदा करते हैं।

इस खमरिया कस्बे से एक खुला नाला शुरू होता है, जहां कारखानों से निकले अपशिष्टों को बहा दिया जाता है। इन छोटी इकाइयों के रासायनिक कचरे के साथ-साथ भदोही में घरों से निकलने वाला अनुपचारित सीवेज भी इसी नाले में खाली होता है। और यह जहरीला गंदा पानी रिसकर जगपट्टी के खेतों में पहुंच रहा है औऱ उन्हें बंजर बना रहा है।

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दुजयी देवी जिनके खेतों में 10 साल से कोई फसल नहीं उगी

प्रदूषण की समस्या से बेखबर प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड

उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सोनभद्र सर्कल के क्षेत्र अधिकारी टीएन सिंह ने जगपट्टी में अपशिष्ट से पैदा हुए संकट के बारे में अनभिज्ञता जाहिर करते हुए कहा, "अभी तक किसी ने भी इस मुद्दे को प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सामने नहीं उठाया है। हमें इसकी जानकारी नहीं है। लेकिन अगर हमें ऐसा करने का निर्देश दिया गया तो हम निश्चित रूप से समस्या के समाधान के लिए कदम उठाएंगे।"

हालांकि, मिर्जापुर से विधायक रत्नाकर मिश्रा ने स्वीकार किया कि जगपट्टी में खेती योग्य भूमि के दूषित जल से डूबने की समस्या पहले से रही है।

मिश्रा ने गांव कनेक्शन को बताया, "हां, मुझे इसकी जानकारी है और मैंने इस मुद्दे को विधानसभा में उठाया है। भूमि का सर्वेक्षण चल रहा है और हम जल्द ही ग्रामीणों को राहत पहुचाएंगे।"

लेकिन ग्रामीणों को उनकी इन बातों से ज्यादा उम्मीद नहीं है। उनके अनुसार, उन्होंने इस तरह के वादे पहले भी सुने हैं और उन्हें कोई कारण नहीं दिखता कि इतने सालों से जो मामला लटका पड़ा है उसके समाधान के लिए सरकारी अधिकारी कुछ करेंगे।

सत्यकेतु मौर्य ने शिकायती लहजे में कहा, "मैंने संबंधित अधिकारियों को लिखे गए आधिकारिक पत्रों सहित सभी दस्तावेजों के साथ एक फाइल तैयार की है। फ़ाइल मोटी होती गई है लेकिन हमारी मदद के लिए कुछ भी नहीं किया गया है। हमारी जमीन और रोजगार का जरिया सब खत्म हो गया है।"

12वीं में पढ़ने वाली सुनीता के लिए ये पहली बार मतदान का अवसर है। उन्होंने कहा, "इस साल, हमने फैसला किया है कि हम अधिकारियों पर भरोसा नहीं करेंगे और चुनाव का बहिष्कार करेंगे। यहां राजनेता आते हैं और चले जाते हैं। लेकिन कुछ होता नहीं है। गांव में इस बार मतदान नहीं होगा।"

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'बजट प्रारूप तैयार किया जा रहा है'

28 दिसंबर, 2021 को प्रदर्शनकारी ग्रामीण जगपट्टी गांव से 14 किलोमीटर दूर मिर्जापुर मुख्यालय तक पहुंचे और अपनी शिकायतों का समाधान कराने के लिए जिलाधिकारी के कार्यालय में नारेबाजी की।

इसके बाद मिर्जापुर के अपर जिलाधिकारी शिव प्रताप शुक्ल ने भदोही के जिलाधिकारी को पत्र लिखकर भदोही में नाले में कूड़ा न फेंके, यह सुनिश्चित करने का अनुरोध किया। गांव कनेक्शन के पास चिट्ठी की कॉपी है।

भदोही प्रशासन को एक सीमेंटेड नाला बनाने के लिए भी कहा गया ताकि मिर्जापुर में किसानों के खेतों तक पानी न पहुंच पाए। लेकिन एक माह से अधिक समय बीत जाने के बाद भी इस मामले में कोई प्रगति नहीं हुई है।

भदोही में खमरिया नगर पालिका के कार्यकारी अधिकारी विजय यादव ने गांव कनेक्शन को बताया कि बजट तैयार कर आवंटित होने के बाद ही नाले का निर्माण कार्य शुरू किया जाएगा।

उन्होंने कहा, "अभी बजट प्रारुप तैयार किया जा रहा है। तत्काल राहत संभव नहीं है क्योंकि नौकरशाही प्रक्रिया के अनुसार ही काम किया जाएगा।"

वे कहते हैं कि नाले से जुड़े काम को जल्दबाजी में नहीं बल्कि 'नौकरशाही प्रक्रिया' के अनुसार किया जाएगा। यानी जगपट्टी में रहने वाले लोगों को अभी लंबे समय तक इंतजार करना होगा।

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