आलू की बढ़ती कीमतों से किसे होगा फायदा?

पहले आलू के गिरते दाम और फसल की बुवाई के लिए किसानों ने कोल्ड स्टोरेज में रखा आलू निकाल लिया, लेकिन पिछले दिनों हुई बारिश में अगैती फसल भी बर्बाद हो गई। अब किसानों को खुद के लिए महंगे दाम में आलू खरीदना पड़ रहा है।

Ajay MishraAjay Mishra   25 Oct 2021 2:30 PM GMT

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कन्नौज (उत्तर प्रदेश)। पिछले दिनों हुई बारिश से खरीफ की तैयार फसलों का नुकसान तो हुआ ही, रबी की आलू जैसी फसलों की अगैती खेती भी बर्बाद हो गई। नतीजन पहले किसानों से सस्ते में आलू बेचा था और अब उन्हें महंगे दाम में आलू खरीदना पड़ रहा है।

उत्तर प्रदेश के प्रमुख आलू उत्पादक जिलों में कन्नौज भी शामिल है। कन्नौज के सदर ब्लॉक के खुसटिया गांव के 60 वर्षीय किसान विनोद कुमार समझाते हुए कहते हैं, "आने वाले दिनों में एक हजार रुपए में आलू की एक कट्टी (50-55 किलो) में बिक सकता है, हमने अपने आलू के 100 कट्टी 200 से 270 रुपए में बेचा था, लेकिन अब जब हमें खरीदना है तो उसी रेट में नहीं खरीद सकते हैं। अभी तो 700-800 रुपए में 50 किलो आलू बिक रहा है।"

जो आलू फुटकर में 17 अक्टूबर से पहले 15 रुपए में था वो अब 20 से 25 रुपए किलो हो गया है। आलू तैयार होने के बाद किसान उसे कोल्ड स्टोरेज में रख देते हैं, ताकि अगली फसल के लिए बीज तो उपलब्ध ही रहे और आलू का अच्छा रेट मिलने पर उसे बेच भी सकें। यही हाल इस बार भी हुआ किसानों ने बुवाई के लिए आलू निकाल लिया और बाकी के खर्च के लिए बचा आलू भी बेच दिया।

भारी बारिश के चलते कन्नौज में आलू की अगेती फसल बर्बाद हो गई। फोटो- अजय मिश्रा

वो आगे कहते हैं, "रेट बढ़ने का फायदा उसे ही हुआ जिसके पास आलू है। किसान को फायदा नहीं है। बरसात से तो नुकसान ही हुआ है। गरीब आदमी आलू नहीं खरीद पाएगा।"

दरअसल, बरसात के बाद आलू के भाव चढ़ गए हैं। पहले ज्यादातर किसानों ने सस्ते दर पर आलू बेच दिया था। क्योंकि उन्हें रुपए की जरूरत थी, आलू बुवाई करनी थी। अपने खाने भर का रखकर लोगों आलू बेच दिया, साथ ही खेत में आलू लगा दिया, लेकिन दो-तीन बार की बारिश में फसल तो चली गई, अब जब फिर बुवाई के लिए आलू की जरूरत है तो किसान दोगुने दाम में व्यापारियों से आलू खरीदने को मजबूर है।

कन्नौज क्षेत्र के ही गांव खालेपुर्वा निवासी हरिश्चंद्र बताते हैं, "खेती बटाई, कटौती के साथ ही अपनी भी की थी। करीब 15 बीघा (तीन एकड़) रकबा में आलू फसल लगाई थी। सितम्बर में पहले बरसात और अक्तूबर में ईशननदी में आई बाढ़ से आलू की फसल चली गई।"

आगे कहा कि गांव के हर व्यक्ति का नुकसान हुआ है। करीब एक लाख रुपए का उनका ही नुकसान हुआ है। अब तक गांव में बरसात से हुए नुकसान की कोई जांच करने भी नहीं आया है। कुछ लोगों ने बताया कि डीएम ऑफिस में शिकायत दर्ज करा दो, लेकिन अब तक पहुंच नहीं सके हैं।

उत्तर प्रदेश, जो भारत का सबसे अधिक आलू उत्पादक राज्य है, देश के कुल आलू उत्पादन में 35 प्रतिशत का योगदान देता है। आलू की खेती के तहत राज्य में 610,000 हेक्टेयर क्षेत्र के साथ, 2019-20 में 14.78 मिलियन टन आलू का उत्पादन हुआ था। केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के अनुसार, देश में आलू का उत्पादन 2020-21 में बढ़कर 53.69 मिलियन टन हो गया, जबकि 2019-20 में यह 48.56 मिलियन टन था।

कन्नौज में टिड़ियापुर गांव के किसान राजेंद्र के घर के कई लोग इस समय बीमार हैं और कानपुर में भर्ती हैं। राजेंद्र कहते हैं, "घरों में इन दिनों डेंगू व बुखार के कई मरीज हैं। कानपुर इलाज कराने में रुपए खर्च हो रहे हैं। पहले 300 रुपए में आलू कट्टी बेच दी थी क्योंकि रुपयों की जरूरत थी। इस समय बाजार में 650 रुपए रेट चल रहा होगा। किसान ने तो आलू बेच दिया था, अब किसान व्यापारियों से बढ़े हुए दामों में खुद खरीद रहा है।"

उद्यान विभाग के कन्नौज कार्यालय के मुताबिक जिले में 142 कोल्ड स्टोरेज हैं। इसमें 1445986.71 मीट्रिक टन आलू रखने की क्षमता है। पिछले साल हुई फसल के बाद 1229088 मीट्रिक टन आलू कोल्ड स्टोरेज में भंडारण किया गया था। अब 50 से 60 फीसदी तक निकासी हो चुकी है।

कन्नौज के उद्यान निरीक्षक अनुज कटियार बताते हैं, "करीब 50 हजार हेक्टेयर में आलू की खेती होती है। तकरीबन 50 फीसदी आलू की निकासी हो चुकी है। जो आलू बचा है, उसमें किसानों व व्यापारियों दोनों का है। जो आलू बोया गया था, वह बरसात में बेकार हो गया। अब 50 रुपए से लेकर 100 रुपए पैकेट (एक बोरी- 50 किलो) तक रेट बढ़ गया है। आगे भी बढ़ने की संभावना है। कोल्ड स्टोरेज में जो बचा है, वह आलू बीज में किसान उपयोग करेंगे। साथ ही सब्जी के रूप में भी खाया जाएगा। इससे पहले 30 से 40 फीसदी बुवाई में खत्म हो गया।"

सितंबर में गाँव कनेक्शन ने आलू किसानों पर स्टोरी की थी, तब किसानों को सस्ते में आलू बेचना पड़ा था। कई किसानों को तो डर था कि दीपावली तक अगेती फसल आ जाएगी, जिससे कोल्ड स्टोरेज में रखी आलू का दाम और गिर जाएगा, इस वजह से भी किसानों कोल्ड स्टोर से आलू निकाल कर बेच दिया था।

14 से 20 अक्टूबर के बीच यूपी में सामान्य की 6.4 मिलीमीटर बारिश के मुकाबले 58.4 मिलीमीटर बारिश हुई जो औसत से 814 फीसदी ज्यादा थी। यूपी के लखनऊ, बाराबंकी, सीतापुर, शाहजहांपुर, पीलीभीत, लखीमपुर, हापुड़, गाजियाबाद, मेरठ, अयोध्या, कन्नौज, कानपुर देहात, कानपुर और पूर्वांचल के बस्ती, मऊ, गोरखपुर समेत दर्जनों जिलों में मूसलाधार बारिश से खेत कई दिन जलमग्न रहे।

जिला उद्यान अधिकारी कन्नौज मनोज चतुर्वेदी बताते हैं, "जिले में इस समय आलू की ही मुख्य फसल है जो बरसात की वजह से बर्बाद हो गई है। 50 हजार हेक्टेयर क्षेत्रफल में आलू होता है। 35-40 फीसदी बुवाई हो चुकी होगी, जो पानी में बेकार हो गई।'

किसानों के साथ ही फुटकर सब्जी विक्रेताओं को भी महंगे में आलू खरीदना पड़ रहा है। कन्नौज के तिर्वा कस्बे में फुटकर सब्जी विक्रेता बंटी राठौर बताते हैं, "पहले आलू 15 रुपए किलो बिक रहा था, अब 20 रुपए किलो का भाव हो गया है। वह कोल्ड स्टोरेज के बाहर से एक पैकेट 600 रुपए में लाते थे, अब 700 से 800 रुपए में बिक रहा है।"

कन्नौज के एक निजी कोल्ड स्टोरेज के प्रबंधक अरविंद प्रताप सिंह कहते हैं, "अब आलू का भाव 700 से 800 रुपए प्रति पैकेट यानि 50-55 किलो तक हो गया है। 155 रुपए भाड़ा भी लगता है। कोल्ड स्टोरेज में आलू बहुत कम रह गया है। एक सप्ताह पहले आलू 350-375 रुपए पैकेट था। ईशननदी में उफान होने पर आसपास के गांव सहनापुर, सिकरोरी, फगुहा, बांगर, भुड़िया आदि सैकड़ों गांव के किसानों की आलू की बुवाई पानी में बेकार हो गई।"

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