कभी करते थे छह सौ रुपए की नौकरी, अब चला रहे खुद का कॉलेज

Meenal TingalMeenal Tingal   18 Aug 2017 1:51 PM GMT

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कभी करते थे छह सौ रुपए की नौकरी, अब चला रहे खुद का कॉलेजसोहरामऊ में स्थित आईपीएसआर कॉलेज

स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क

लखनऊ। उन्नाव जिले के सोहरामऊ में स्थित इंस्टीट्यूट ऑफ पैरामेडिकल साइंस एण्ड रिसर्च (आईपीएसआर) की इन दिनों खूब चर्चा है। कारण है इस वर्ष उत्तर प्रदेश स्तर पर कॉलेज से दो टापर्स निकले हैं। खास बात यह है कि इस वर्ष प्रदेश स्तर पर दो टॉपर्स देने वाले इस आईपीएसआर की स्थापना किसी उद्योगपति द्वारा नहीं की गई बल्कि एक ऐसे व्यक्ति बद्री विशाल तिवारी के द्वारा वर्ष 2007 में की गई है, जिन्होंने एक कोचिंग में मात्र 600 रुपए प्रतिमाह पर कई वर्ष नौकरी की है। आज इस इंस्टीट्यूट में लगभग साढ़े पांच सौ छात्र-छात्राएं शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं।

इस कॉलेज में पढ़ने वाली सोनल गर्ग ने मार्केटिंग एण्ड सेल्स मैनेजमेंट में और मोहम्मद शाद ने फार्मेसी में उत्तर प्रदेश में पहला स्थान पाया है। दोनों ही मेधावियों को पिछले दिनों मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी द्वारा सम्मानित किया जा चुका है। आईपीएसआर इंस्टीट्यूट में भविष्य की दिशा तय कर चुके युवा जहां मैनेजमेंट, फार्मेसी और बीटीसी जैसे कोर्सेज की पढ़ाई कर रहे हैं। वहीं उन बच्चों के लिए भी पंचशिला इंटरनेशनल स्कूल की नींव रखी जा चुकी है जहां बच्चे अपने बेहतर भविष्य की शुरुआत कर रहे हैं।

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इस स्कूल में शहर व गाँव के लगभग 110 छात्र-छात्राएं शिक्षित हो रहे हैं। आईपीएसआर इंस्टीट्यूट के चेयरमैन बद्री विशाल तिवारी बताते हैं, “मैं एक गरीब किसान परिवार से संबंध रखता हूं। पढ़ाई के लिए बहुत संघर्ष करना पड़ा, लेकिन मैं पढ़ाई में हमेशा से अच्छा रहा इसलिए आगे बढ़ने की सोचता रहा। इसीलिए वर्ष 1984 में मैंने इलाहाबाद से पोस्ट ग्रेजुएशन किया। इसके बाद पीसीएस बनने की तमन्ना में वर्ष 1987 व 1993 में मैंने दो बार पीसीएस का रिटेन एक्जाम क्वालीफाई किया, लेकिन दोनों ही बार मैं इंटरव्यू में छट गया। फिर परिवार के पालन-पोषण के लिए मैंने एक कोचिंग में 600 रुपए प्रतिमाह की नौकरी की।”

चेयरमैन बद्री विशाल तिवारी।

कॉलेज के बारे में मेधावियों की राय

मार्केटिंग एण्ड सेल्स मैनेजमेंट से 74 फीसदी अंक प्राप्त कर प्रदेश स्तर पर टॉप करने वाली सोनल गर्ग कहती हैं, “मैंने अपने जीवन में यह बड़ी जीत हासिल की है। इस जीत में मेरे इंस्टीट्यूट के अध्यापकों के साथ मेरे घरवालों का भी साथ रहा। मैं अब एमबीए करूंगी और उसके बाद एसएससी की तैयारी करूंगी। मैं अभी फिलहाल रिलाइन्स जियो में प्रमोटर के तौर पर काम कर रही हूं, लेकिन आने वाले दिनों में बहुत आगे तक जाने का सपना है।

मैं चाहती हूं कि लोग मुझे मेरे नाम को उसी तरह से पहचाने जैसे की अंबानी को पहचानते हैं।” इसी इंस्टीट्यूट से फार्मेसी में 82 फीसदी अंक पाकर प्रदेश में टॉप करने वाले मोहम्मद शाद कहते हैं, “मैंने इसी कोर्स के पहले वर्ष में भी टॉप किया था और इस वर्ष फाइनल में भी टॉप किया है। इसमें मेरी मेहनत तो शामिल है ही मेरे घरवालों और दोस्तों के साथ मेरे इंस्टीट्यूट के टीचरों का भी बहुत सहयोग है, जिन्होंने मुझे हमेशा प्रोत्साहित किया है। मैं अब एमबीबीएस की तैयारी करूंगा क्योंकि मेरा सपना डॉक्टर बनने का है।”

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आईपीएसआर इंस्टीट्यूट चेयरमैन बद्री विशाल तिवारी ने बताया कई ऐसे बच्चों को देखा जो दूर-दराज के ग्रामीण क्षेत्रों से सिर्फ इसलिए पढ़ने आते थे, क्योंकि इनके गाँव के आस-पास कोई कोचिंग व इंस्टीट्यूट नहीं था। इसलिए मैंने सोचा कि किसी ग्रामीण क्षेत्र में ऐसे इंस्टीट्यूट की स्थापना की जाए, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों से आने वाले बच्चों को पढ़ने के लिए परेशानियों का सामना न करना पड़े।

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