एमएसपी पर गेहूं बेचने के लिए करना पड़ रहा लंबा इंतजार, किसान परेशान

पूरे देश में हुई गेहूं खरीद में यूपी चौथे नंबर पर है। प्रदेश में 2 जून तक 41 लाख मीट्रिक टन से ज्यादा की खरीद हो चुकी हैं लेकिन सैकड़ों किसान अब भी तौल केंद्र के बाहर अपनी बारी का इंतजार कर रहे हैं।

Sumit YadavSumit Yadav   3 Jun 2021 2:21 PM GMT

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एमएसपी पर गेहूं बेचने के लिए करना पड़ रहा लंबा इंतजार, किसान परेशान

पूरे देश में हुई गेहूं खरीद में यूपी चौथे नंबर पर है। प्रदेश में सैकड़ों किसान अभी गेहूं की बिक्री के इंतजार में हैं।

सुमित यादव/रामजी मिश्र, कम्युनिटी जर्नलिस्ट

उन्नाव/शाहजहांपुर (उत्तर प्रदेश)। उन्नाव में साहब खेड़ा गांव के आदित्य कुमार को अपना 26 क्विंटल गेहूं बेचने के लिए गेहूं खरीद केंद्र पर एक हफ्ते तक इंतजार करना पड़ा। लेकिन शाहजहांपुर के हरपाल सिंह 13 दिन बाद भी अपना गेहूं नहीं बेच पाएं हैं। वो शाहजहांपुर के बंडा में स्थित मंडी के बाहर लाइन लगाए खड़े हैं।

"मेरे पास 70-80 कुंतल गेहूं है। बंडा मंडी के बाहर इस वक्त (3 जून) को बंडा-पूरनपुर रोड पर दोनों तरफ करीब 2-2 किलोमीटर लंबी लाइऩ में ट्रैक्टर ट्राली खड़े हैं। मंडी के अंदर भी 200 से ज्यादा ट्राली तौल के इंतजार में हैं।" हरपाल सिंह कहते हैं।

7 एकड़ जमीन के मालिक हरपाल शाहजहांपुर जिले में महोलिया विरान गांव के रहने वाले हैं और 22 मई को मंडी गेहूं लेकर गए थे। वो बताते हैं, "अंदर एक कांटे पर रोज 300 क्विंटल गेहूं ही तौला जाता है। इसके बाद तौल बंद। जब से यहां आए हैं 2-3 बार गेहूं बरसात में भीग चुका है। क्या करें, चिंता बहुत है लेकिना क्या मर जाएं।"

न्यूनतम समर्थऩ मूल्य पर 1975 रुपए प्रति क्विंटल की दर पर पूरे देश में इस बार गेहूं की रिकॉर्ड (409.80 लाख मीट्रिक टन) खरीद की गई है। 31 मई तक के आंकडों के अनुसार राष्ट्रीय स्तर पर हुई इस खरीद में यूपी (40.87 एलएमटी) चौथे नंबर पर है। पहले नंबर पंजाब (132.1 LMT), दूसरे नंबर पर मध्य प्रदेश (128.08 LMT), तीसरे नंबर पर हरियाणा (84.93 LMT) है। उत्तर प्रदेश में कई जिलों में हरपाल सिंह जैसे किसान सरकारी खरीद केंद्रों के सामने अभी तौल का इंतजार कर रहे हैं।

यूपी के उऩ्नाव जिले में अचलगंज सरकारी खरीद केंद्र के बाहर लगी किसानों के ट्रैक्टर ट्रालियों की कतार।

शहाजहांपुर जिले में ही इसी मंडी के बाहर लाइऩ में खड़े खुटार ब्लॉक में खमरिया के किसान गुरप्रीत सिंह के पास 15 एकड़ खेती हैं और करीब 200 क्विंटल गेहूं है।

गुरुप्रीत कहते हैं, "औसतन आप मानिए की 50 क्विंटल गेहूं बेचने में आपको 10 से 15 दिन लग जाएंगे। 200-300 क्विंटल गेहूं तौलने में पूरा महीना निकला जा रहा है। एक बार 50 क्विंटल की तौल हुई आप फिर जाइए टोकन कटाइए, लाइऩ में लगिए फिर नंबर आएगा तो ऐसे तौल हो रही हैं यहां।"

दूसरे कई जिलों में भी यही हाल है। उन्नाव में सदर तहसील क्षेत्र के साहब खेड़ा निवासी आदित्य कुमार (38वर्ष) 27 मई को रात में अपने ट्रैक्टर से सिकन्दरपुर कर्ण ब्लॉक के अचलगंज में एसएफसी द्वारा संचालित केंद्र पर गेहूं बेचने के लिए गए थे। केंद्र पर पहले से मौजूद दर्जनों गाड़ियों के चलते सात दिन बाद 2 जून को आदित्य का गेहूं तौला गया।

गांव कनेक्शन से बात करते हुए आदित्य ने बताया, "सेंटर (क्रय केंद्र) शुरू होने के हफ्ते बाद हमने केंद्र पर अपना नाम नोट करा दिया था, उस समय बताया गया था कि आपको फोन कॉल कर बुला लिया जाएगा, लेकिन कई हफ्ते बाद भी कोई फोन नहीं आया। जब मैं सेंटर पहुंचा तो वहां मौजूद कर्मचारी कृष्णा ने कहा कि आपको बुलाया जाएगा। बाद में 26 मई की तारीख दी गई। लेकिन मैं 27 मई को पहुंचा तो वहां पहले से दर्जनों ट्रैक्टर तौल के इंतजार में खड़े थे।"

आदित्य कहते हैं, "केवल 26 कुन्तल गेहूं बेचने के लिए हमको ट्रैक्टर ट्राली के साथ सात दिन इंतजार करना पड़ा, बाजार में गेहूं सस्ता होने के कारण सरकारी केंद्रों पर बेचना पड़ता है लेकिन यहां गेहूं बेचना हर किसी के लिए संभव नहीं है।"

यूपी में जब तक किसान गेहूं लाएंगे खरीद जारी रहेगी- नवनीत सहगल

उत्तर प्रदेश में 1 अप्रैल से गेहूं खरीद शुरु हुई थी और 15 जून जारी रखने के निर्देश जारी किए गए थे लेकिन अब सरकार ने कहा कि जब किसान किसानों गेहूं लेकर आते रहेंगे खरीद जारी रहेगी। 2 जून को प्रदेश के अपर मुख्य सचिव सूचना नवनीत सहगल ने मीडिया को बताया, "किसानों से एमएसपी पर 15 जून तक गेहूं खरीद जारी रहेगी। अब तक 8,83,603 किसानों से 41,56,069.06 मीट्रिक टन गेहूं खरीद की जा चुकी है।"

उन्होंने आगे कहा, " मुख्यमंत्री जी ने खाद्य एवं रसद विभाग को निर्देशित किया है कि जब तक किसान गेहूं लाएं तब तक खरीद जारी रखी जाए। कोई भी जनपद लक्ष्य पूरा होने के पश्चात भी गेहूं खरीद बंद नहीं करेगा। बड़े किसानों के साथ-साथ छोटे किसानों से भी गेहूं खरीदा जाएगा।"

खुले बाजार में गेहूं का भाव 1500-1600 रुपए प्रति क्विंटल है, जबकि सरकारी रेट (एमएसपी) 1975 रुपए प्रति क्विंटल है। इसीलिए किसान लंबा इंतजार करके भी चाहते हैं कि सरकारी केंद्र पर तौल हो जाए।

उन्नाव में ही साहब खेड़ा गांव के रजोल यादव (48 वर्ष) भी आदित्य के साथ अपना गेहूं लाएं थे। रजोल को भी आदित्य की ही तरह एक हफ्ता इंतजार करना पड़ा। उनके 40 क्विंटल गेहूं की तौल 1 जून को हुई। राजौल खेती के साथ पशुपालन भी करते हैं। इसलिए दूध दुहने, ग्राहक तक पहुंचाने के लिए उन्हें घर जाना होता था इसलिए सेंटर पर गेहूं रखवाली का काम उनका 15 साल का बेटा कर रहा था।

राजौल बताते हैं, " 40 क्विंटल गेहूं बेचने में 6 दिन लगे। ट्रैक्टर ट्राली किराए पर थी। उसका 1000 रुपए भाड़ा तय था लेकिन सेंटर पर लाइऩ लगी थी तो ट्रैक्टर चला गया लेकिन ट्राली वहीं रही जिसके 200 रुपए रोज के देने पड़े।"

जिस केंद्र (अचलगंज) पर आदित्य और रजौल के गेहूं की तौल हुई, वहां की केंद्र प्रभारी रुचिका प्रजापति ने गांव कनेक्शन को बताया, "अब तक (2 जून) हम 177 किसानों का 5953 कुन्तल (क्विंटल) गेहूं खरीद चुके हैं, एक दिन में 350 कुन्तल की तौल होने से किसानों को 3 से 4 दिन इंतजार करना पड़ रहा है। हमारे पास एक कांटे का परमिशन है। हमनें एसडीएम साहब से एक और काँटे के लिए परमिशन माँगी है,अगर स्वीकृति मिल जाएगी तो खरीद में तेजी आ जायेगी।"

केंद्रीय उपभोक्ता एवं खाद्य मंत्रालय के अनुसार देश में गेहूं की खरीद।

गेहूं खरीद से जुड़े कई अधिकारी-कर्मचारी हुई कोरोना पॉजिटिव

गेहूं खरीद में देरी और खरीद प्रक्रिया लंबी खिंचने की एक वजह कोरोना संक्रमण भी रहा है। खरीद प्रक्रिया से जुड़े कई कर्मचारी और अधिकारी कोविड पॉजिटिव हो गए थे।

रुचिता बताती हैं, "खरीद शुरू होते ही मैं कोरोना पॉजिटिव हो गयी थीं,और लंबे समय तक अस्पताल में रहीं, जिसके कारण भी खरीद प्रभावित रही। 13 मई से मैंने केंद्र आना शुरू किया इसके पहले यहां के चौकीदार श्रीकृष्ण के सहयोग से किसी तरह खरीद करा रही थी, पंचायत चुनाव के पहले किसान भी कम आ रहे थे,पंचायत चुनाव के बाद किसानों ने तेजी से आना शुरू किया है।"

उन्नाव जिले की पाटन तहसील के अंतर्गत बीघापुर में संचालित पीसीएफ केंद्र का इस ताला नहीं खुल सका। एक अप्रैल से शुरू हुई खरीद के एक हफ्ते बाद ही केंद्र प्रभारी अरविंद कुमार कोरोना पॉजिटिव हो गए, तभी से केंद्र पर ताला लटका रहा है। रोज दर्जनों किसान मायूस होकर लौट रहे हैं। बीघापुर से दस किलोमीटर दूर सिकन्दरपुर कर्ण ब्लॉक के बदले खेड़ा के राम नरेश यादव (46 वर्ष) ने भी गेहूं बेचने के लिए ऑनलाइन पंजीकरण कराया था,गेहूं की कटाई के बाद केंद्र पहुँचे तो वहाँ ताला लगा मिला,पता करने पर मौजूद किसानों ने बताया कि केंद्र प्रभारी कोरोना पॉजिटिव है,इस समय नहीं आ रहे हैं।

राम नरेश गाँव कनेक्शन से बताते हैं, "महीने भर इंतजार करने के बाद भी केंद्र न खुलने से मजबूर हो कर स्थानीय व्यापारी को 1550 में तौल दिया। पैसे की जरूरत थी इसलिए और इंतजार नहीं कर सका।"

गांव कनेक्शन से बात करते हुए उन्नाव के जिला विपणन अधिकारी उदय प्रताप सिंह बताते हैं, "जिले भर में 68 केंद्र खोलें गए थे बाद में पांच केंद्र और खोले गए। कुल 73 केंद्रों पर खरीद की जा रही है, जिसमें विपणन के 06, पीसीएक के सबसे ज्यादा 56, मंडी विभाग के 02, आवश्यक वस्तु निगम के 08 और भारतीय खाद्य निगम का एक केंद्र शामिल है,लगातार केंद्रों की निगरानी की जा रही है। जहां कहीं पर दिक्कत की बात सामने आ रही हैं उसमें सुधार किया जा रहा है। हम एक जून तक 30 हजार मीट्रिक टन गेंहू की खरीद कर चुके हैं, जो पिछले साल की तुलना में एक हजार मीट्रिक टन ज्यादा है।"

वो आगे बताते हैं, "उन्नाव में 17763 किसानों ने गेहूं के लिए ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन कराया था, जिसमें अब तक 7765 किसानों का गेहं लिया जा चुका है। लेकिन अब शासन ने रजिस्ट्रेशन रोक दिया है।"

उन्नाव में कई केंद्र पर एक किसान 30 क्विंटल गेहूं लिया जा रहा है जबकि बाकी जगह 50 क्विंटल की सीमा हैं, इस पर वो कहते हैं, "सोमवार से गुरुवार तक यह नियम लागू किया गया है, जिससे छोटे ज्यादा से ज्यादा किसानों की तौल की जा सके, जबकि शेष दिनों में सभी की तौल की जा रही है,हमारा लक्ष्य अधिकतम किसानों से खरीद करने का है।"

"अब गेहूं भीगा तो किसानों का हो जाएगा भारी नुकसान"

गेहूं खरीद में देरी को लेकर किसानों के एक संगठन "राष्ट्रीय किसान मजदूर संगठन" के शाहजहांपुर अध्यक्ष अमरजीत सिंह कहते हैं, " अभी हजारों किसानों का गेहूं तौला नहीं गया है, 15 जून को तौल बंद कर दी तो ये किसान क्या करेंगे? 2-3 बार बारिश हो चुकी है। तिरपाल डालकर किसान गेहूं बचा रहे हैं। गेहूं खराब हुआ तो कौन जिम्मेदार होगा?"

अमरजीत शाहजहांपुर की बंडा मंडी को लेकर सवाल करते हैं, "मंडी में कुछ दलाल ऐसे लगे हैं जो बाहर से किसान से माल सस्ते दाम में खरीदकर बेच रहे हैं। मैं पूछता वो कितना बड़ा किसान है जो एक महीने से अपना माल बेच रहा है। वो किसान का ही माल खरीदकर उसी के नाम से बेच रहा है। ऐसे लोग अंदर मिलीभगत कर किसान और सरकार दोनों को धोखा दे रहे हैं, इन पर कार्रवाई होनी चाहिए।"

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