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आराम से बैठिए, टाइम बम फटने वाला है

मनीष मिश्रा | Sep 16, 2016, 15:59 IST
India
लखनऊ। देश में कम बारिश होने व खेती में भू-जल के अंधाधुंध उपयोग से हालात पूरे देश में भयावह हो रहे हैं। अगर ऐसे ही रहा तो वह दिन दूर नहीं जब भू-जल संकट का टाइम बम फटेगा और पीने को पानी नहीं मिलेगा।


केंद्रीय जल आयोग की 2014 की रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2012 व 2013 के बीच मानसून से पूर्व देश में भू-जलस्तर 0-4 मीटर तक नीचे चला गया। वहीं, यूपी में वर्ष 2000 से 2011 के बीच 820 ब्लॉक में से 630 में भू-जलस्तर गिरा है।

''नीतियां बनाते समय शोध को ध्यान में नहीं रखा जाता। राजनीतिक लाभ के लिए सरकारें इसेे नज़रअंदाज कर देती हैं। इससे सही तस्वीर सामने नहीं आ पाती और नीतियां बनाने में सही डेटा नहीं मिल पाता।" बनारस हिन्दू विवि में भूगोल विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. वीके राय बताते हैं। प्रो. राय भूगर्भ जल विभाग में भी जुड़े रहे हैं।

उत्तर प्रदेश में सिंचाई के लिए उपयोग होने वाले कुल पानी 75 प्रतिशत भूजल का ही उपयोग होता है। प्रदेश में मात्र 74 हज़ार किमी नहरें हैं। इनसे सिंचित क्षेत्रफल 19 प्रतिशत है, जबकि राजकीय नलकूपों से 2.76 प्रतिशत और लघु सिंचाई और निजी माध्यमों से सिंचित क्षेत्र 77.39 प्रतिशत है।

''पिछले 10 वर्षों में यूपी में नहरों की लंबाई कुछ किमी या मीटरों में ही बढ़ी है। सरकारों का ध्यान लघु सिंचाई पर ज्य़ादा रहा है। इससे स्थिति और $खराब हुई है।" प्रो. वीके राय बताते हैं।

उत्तर प्रदेश में करीब 42 लाख ट्यूबवेल, 25 हज़ार गहरे कुएं और 32,047 हज़ार राजकीय नलकूप लगातार भूमिगत जल निकाल रहे हैं। यही नहीं, हाल ही में उत्तर प्रदेश सरकार ने 1020 नए नलकूपों का लोकार्पण और वर्ष 2015-16 में निर्माण लिए 380 नए नलकूपों का शिलान्यास भी किया है।

''प्रदेश में भूजल दोहन और रिचार्ज में बहुत अंतर है। हालात ऐसे ही रहे तो गंभीर समस्या आ सकती है।" जल पुरुष एवं मैग्सेसे पुरस्कार विजेता राजेन्द्र सिंह कहते हैं, ''लेकिन यूपी में जैसे भू-स्तरीय जल के उपयोग और भू-जल रिचार्ज पर काम हो रहा है। उसका असर अगले दो वर्षों में ज़रूर दिखेगा।"

उत्तर प्रदेश भू-गर्भ जल विभाग के अनुसार प्रदेश में सिंचाई के लिए 70 प्रतिशत भूमिगत जल का प्रयोग होता है। पेयजल के लिए 80 प्रतिशत और उद्योग क्षेत्र की ज़रूरत का 85 प्रतिशत भूमिगत जल से पूरा किया जाता है।

''भूमिगत जल के अंधाधुंध दोहन से पश्चिमी उत्तर प्रदेश में भूमिगत जल का स्तर काफ़ी नीचे चला गया है किसान काफ़ी नीचे से पानी निकाल कर सिंचाई करते हैं। अगर भूमिगत जल के रिचार्ज की व्यवस्था नहीं की गई तो स्थिति काफ़ी खतरनाक हो सकती है।" भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय अध्यक्ष राकेश सिंह टिकैत कहते हैं।

हालांकि, इस वर्ष प्रदेश सरकार ने 'मुख्यमंत्री जल बचाव अभियान' शुरू किया है। इसके तहत गाँवों में वर्षा जल संचयन के लिए तालाब खोदने का काम भी शुरू हुआ। लेकिन तालाब खोदने में हीलाहवाली और साथ ही कम बारिश होने से यह भू-जल संकट की स्थिति सुधर नहीं सकी।

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