अप्रैल से देशभर में मनरेगा मजदूरी सीधे श्रमिकों के खातों में
भास्कर त्रिपाठी | Sep 16, 2016, 16:06 IST
नई दिल्ली। आने वाले वित्तीय वर्ष से सभी मनरेगा मजदूरों के खाते में उनकी मजदूरी भेजी जाएगी। केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री चौधरी बीरेन्द्र सिंह ने यह जानकारी दी।
रोज़गार सृजन की विश्व की सबसे बड़ी योजना मनरेगा के दस साल पूरे होने के उपलक्ष्य में 2 फरवरी को आयोजित राष्ट्रीय मनरेगा सम्मेलन में पूरे देश से आए लोगों ने हिस्सा लिया।सम्मेलन में शिरकत करने पहुँचे केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली और ग्रामीण विकास मंत्री ने योजना के महत्व, उपलब्धि और बदलावों को साझा किया।
आने वाले वर्षों में मनरेगा की प्रक्रिया को सरल और मजबूत करने पर ध्यान दिया जाएगा। इस संबंध में एक मास्टर सर्कुलर जारी किया गया है। इसमें इस कानून को लागू करने के संबंध में केंद्र सरकार के सभी प्रमुख निर्देशों को मिला दिया जाएगा। राज्यों को इसमें लचीलापन लाने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा।
केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री चौधरी बीरेन्द्र सिंह ने कहा, "अप्रैल 2016 से पूरे देश के मनरेगा मज़दूरों का पैसा सीधे उनके खाते में भेजेंगे।पहले एकहज़ार से ज़्यादा अलग-अलग सरकुलर जाते थे, अब केवल एक मास्टर सरकुलर जाएगा।"
उन्होंने आगे बताया, "पंचायतों को सीधे दो लाख करोड़ से ज़्यादा रुपए भेजेंगे, छोटी पंचायतों को 30 लाख के आस पास व बड़ी पंचायतों को एक करोड़ रुपए तक मिलेगा।मनरेगा से अभी हम आठ करोड़ परिवारों तक पहुँचे हैं, लक्ष्य 11 करोड़ लोगों तक पहुँचने का है।मनरेगा की 64 प्रतिशत राशि केवल कृषि कार्यों में ख़र्च होगी।"
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा, "लम्बे समय तक जब कोई योजना चलती है तो उसमें उदासीनता आ जाती है, 2013 तक मनरेगा की भी वही स्थिति थी, हमने इसमें बदलाव किए हैं।हमेशा ये तो देखा जाता है कि बजट में कितना पैसा योजना को मिला पर वो कितना ख़र्च हुआ ये कोई नहीं देखता, हमसे पहले तक योजना को दिए गए पैसे दिसम्बर तक काट लिये जाते थे, ये चलन ख़त्म कर दिया गया है।"
वित्त मंत्री ने आगे कहा, "मनरेगा को ज़्यादा संसाधन देकर ग्रामीणों की क्षमता को बढ़ाया जाएगा। जब पूरा विश्व अर्थव्यवस्था में मंदी झेल रहा है ऐसे में भारत सात प्रतिशत की जीडीपी की दर से बढ़ रहा हैं, ग्रामीण क्षमता बढ़ेगी तो विकास के इंजन को बल मिलेगा।"
इस संबंध में समवर्ती ऑडिट और निगरानी की जाएगी। मंत्रालय श्रमिकों को कुशल भी बनाएगा। प्रोजेक्ट लाइफ के जरिये 10000 तकनीशियनों को प्रशिक्षित किया जाएगा। उन्हें स्वरोजगार और जीविका के लिए पारिश्रमिक कमाने के लिए प्रशिक्षित किया जाएगा।
रोज़गार सृजन की विश्व की सबसे बड़ी योजना मनरेगा के दस साल पूरे होने के उपलक्ष्य में 2 फरवरी को आयोजित राष्ट्रीय मनरेगा सम्मेलन में पूरे देश से आए लोगों ने हिस्सा लिया।सम्मेलन में शिरकत करने पहुँचे केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली और ग्रामीण विकास मंत्री ने योजना के महत्व, उपलब्धि और बदलावों को साझा किया।
आने वाले वर्षों में मनरेगा की प्रक्रिया को सरल और मजबूत करने पर ध्यान दिया जाएगा। इस संबंध में एक मास्टर सर्कुलर जारी किया गया है। इसमें इस कानून को लागू करने के संबंध में केंद्र सरकार के सभी प्रमुख निर्देशों को मिला दिया जाएगा। राज्यों को इसमें लचीलापन लाने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा।
केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री चौधरी बीरेन्द्र सिंह ने कहा, "अप्रैल 2016 से पूरे देश के मनरेगा मज़दूरों का पैसा सीधे उनके खाते में भेजेंगे।पहले एकहज़ार से ज़्यादा अलग-अलग सरकुलर जाते थे, अब केवल एक मास्टर सरकुलर जाएगा।"
उन्होंने आगे बताया, "पंचायतों को सीधे दो लाख करोड़ से ज़्यादा रुपए भेजेंगे, छोटी पंचायतों को 30 लाख के आस पास व बड़ी पंचायतों को एक करोड़ रुपए तक मिलेगा।मनरेगा से अभी हम आठ करोड़ परिवारों तक पहुँचे हैं, लक्ष्य 11 करोड़ लोगों तक पहुँचने का है।मनरेगा की 64 प्रतिशत राशि केवल कृषि कार्यों में ख़र्च होगी।"
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा, "लम्बे समय तक जब कोई योजना चलती है तो उसमें उदासीनता आ जाती है, 2013 तक मनरेगा की भी वही स्थिति थी, हमने इसमें बदलाव किए हैं।हमेशा ये तो देखा जाता है कि बजट में कितना पैसा योजना को मिला पर वो कितना ख़र्च हुआ ये कोई नहीं देखता, हमसे पहले तक योजना को दिए गए पैसे दिसम्बर तक काट लिये जाते थे, ये चलन ख़त्म कर दिया गया है।"
वित्त मंत्री ने आगे कहा, "मनरेगा को ज़्यादा संसाधन देकर ग्रामीणों की क्षमता को बढ़ाया जाएगा। जब पूरा विश्व अर्थव्यवस्था में मंदी झेल रहा है ऐसे में भारत सात प्रतिशत की जीडीपी की दर से बढ़ रहा हैं, ग्रामीण क्षमता बढ़ेगी तो विकास के इंजन को बल मिलेगा।"
इस संबंध में समवर्ती ऑडिट और निगरानी की जाएगी। मंत्रालय श्रमिकों को कुशल भी बनाएगा। प्रोजेक्ट लाइफ के जरिये 10000 तकनीशियनों को प्रशिक्षित किया जाएगा। उन्हें स्वरोजगार और जीविका के लिए पारिश्रमिक कमाने के लिए प्रशिक्षित किया जाएगा।