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दालें महंगी तेल महंगा फल महंगे आलू महंगा

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भास्कर त्रिपाठी/जसवंत सोनकर

लखनऊ। पिछले तीन सालों की ही तरह इस साल भी कटाई को तैयार रबी की फसल आंधी, बेमौसम बारिश और ओले गिरने से बर्बाद हो गई। इससे खेती की त्रासदी झेल रहे किसान की हालत तो बदतर होगी ही, आपकी थाली के पकवानों का ज़ायका भी बिगड़ना शुरू हो गया है।

दो हफ्तों से लगातार हो रही बारिश ने उत्तर भारत के कृषि प्रधान राज्यों पंजाब, हरयाणा, उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र में हज़ारों एकड़ फसलें बार्बाद हो गई हैं। बर्बाद होने वाली फसलों में गेहूं, सरसों, दलहन, अलसी, जौ और जई की फसलें बर्बाद हो गई हैं। इसके कारण खुदरा और वायदा बाजार में इन फसलों के दामों में भारी उछाल देखा जा रहा है।

लखनऊ की रकाबगंज मण्डी में दाल के थोक आढ़ती राजेंद्र अग्रवाल बताते हैं, “रबी फसलों पर बारिश और ओलावृष्टि की तगड़ी मार पड़ी है, फसलों की बर्बादी के कारण अभी से मटर व मसूर जैसी दालों के दाम में चार सौ रुपए प्रति क्विंटल की तेजी आ गई है। पिछले एक सप्ताह में काबुली चना 1500 रुपए प्रति क्विंटल तक बढ़ गया है”।

संसद में नुकसान के लिए किसानों को त्वरित मुआवज़ा देने की मांग के बाद केंद्रीय कृषि मंत्रालय ने भी राज्यों से नुकसान की रिपोर्ट देने को कहा है। पिछले वर्ष भी मार्च में हुई बारिश के चलते देश में एक करोड़ 10 लाख हेक्टेयर में रबी फसल बर्बाद हो गई थी।

केंद्र सरकार ने वर्ष 2016 की शुरुआत में आशा जताई थी कि वे कृषि विकास की दर को 0.2 प्रतिशत से बढ़ाकर एक प्रतिशत तक ला पाएंगे, लेकिन अब इस मंशा को झटका लगता दिख रहा है। उत्तराखण्ड, जम्मू और कश्मीर, हिमांचल प्रदेश और मध्य प्रदेश में भी ओले गिरे हैं, जिसके कारण बागवानी फसलें भी बुरी तरह प्रभावित हुई हैं, फलों के दाम बाजार में बढ़ गए हैं।

“दाल के दामों पर तो असर पड़ना तय है ही, तिलहन के दाम जो कि पिछले साल के मुकाबले इस वर्ष 16 प्रतिशत ज्यादा चल रहे थे, वे और ज्य़ादा बढ़ जाएंगे,” बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के कृषि अर्थशास्त्री प्रो आर.के. सिंह ने गाँव कनेक्शन से कहा।

अभी तक की सूचनाओं के आधार पर पश्चिमी उत्तर प्रदेश, पूर्वी राजस्थान, पंजाब और हरयाणा में सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है। नुकसान के प्राथमिक आंकड़ों की मानें तो 10-15 प्रतिशत तक फसलें बर्बाद हो चुकी हैं। राष्ट्रीय अख़बार हिदुस्तान टाइम्स को कृषि मंत्रालय द्वारा दी गई जानकारी के आधार पर तो नुकसान 50 फीसदी तक होने की संभावना है। 2013 में बेमौसम बारिश से रबी की फसल बर्बाद होने के बाद से रबी-2016, लगातार सातवीं फसल होगी जो सूखे या बेमौसम वर्षा जैसी स्थितियों से बर्बाद हो जाएगी। “मेरा ज्य़ादा डर इस बात को लेकर है कि जिस कृषि त्रासदी से देश गुज़र रहा है, जिसमें औसतन 5,000 किसान आत्महत्या कर रहे हैं ये आंकड़ा कहीं बदतर न हो जाए,” प्रो. सिंह ने चिंता जताई।

इस साल रबी की फसल को दोहरी मार झेलनी पड़ी है, पहले सामान्य से ऊंचे तापमान के चलते फसलों के दाने अच्छी तरह परिपक्व नहीं हो पाए और उत्पादन कम होने की आशंका जताई जाने लगी, अब इस बारिश से तो फसलें खेतों में लेट गईं।

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