रोशनी तो हुई पर टीवी तक नहीं चलता

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रोशनी तो हुई पर टीवी तक नहीं चलता

चंदूपुर में लगाए गए सौर ऊर्जा संयंत्र से हर बीपीएल परिवार को दी जा रही 50 वॉट बिजली

कन्नौज/हरदोई। कन्नौज जि़ला मुख्यालय से 40 किलोमीटर दक्षिण में बसे गाँव चंदूपुर में लोगों को बिजली देने के लिए सौर ऊर्जा संयंत्र लगाए गए हैं ताकि गाँव को रोशनी मुहैया कराई जा सके। संयंत्रों से मिलने वाली बिजली से पूरे गाँव में रोशनी तो हो गई है पर गाँव वाले रोशनी के साथ-साथ टीवी और फ्रिज भी चलाना चाहते हैं।

चंदूपुर गाँव के बिजली कनेक्शन लाभार्थी ब्रज मोहन सिंह (50 वर्ष) का कहना है, ''हमें जो बिजली मिलती है उसे कोई खास फायदा नहीं है। अगर हम लाइट जलाकर मोबाइल चार्ज करते हैं तो लाइट धीमी हो जाती है। ऐसी लाइट से क्या फायदा जिसमें हम टीवी और फ्रिज नहीं चला सकते।"

इस संयंत्र का उद्घाटन जुलाई में डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम और मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने किया था। उनका उद्देश्य गाँवों के घरों में रोशनी पहुंचाना था। वह अपने उद्देश्य में सफल तो रहे पर ग्रामीण पंखा, टीवी आदि चलाना चाहते हैं।

फिलहाल इन संयंत्रों से बस काम चलाऊ बिजली आती है जिससे एक बल्ब या ट्यूब लाइट और एक मोबाइल चार्जिंग पोर्ट दे दिया है। कन्नौज जि़ले के नेडा अधिकारी हरी शुक्ला ने बताया, ''इसकी क्षमता 250 किलो वॉट है और यह एक मिनी ग्रिड संयंत्र है। बीपीएल परिवारों के लिए 50 वॉट का कनेक्शन दिया जा रहा है। इसमें एक छोटी ट्यूब लाइट या बल्ब और एक मोबाइल चार्ज करने का सॉकेट दिया जा रहा है।"

हालांकि संयंत्र पूरी तरह सरकार के अधीन है और इससे कनेक्शन और बिजली मुफ्त दी जा रही है। इस ग्रिड से 12 सिंचाई और एक चक्की का कनेक्शन भी दिया जाना है, जिसमें अभी एक सिंचाई का कनेक्शन दे दिया गया है। इससे चंदूपुर और पास के गाँव फकीरपुर को मिला कर 495 कनेक्शन दिए जाने हैं। इसमें से करीब 250 कनेक्शन दिए भी जा चुके हैं और बाकी कार्य प्रगति पर हैं।

चंदूपुर गाँव के ही राजे सिंह शेखर (40 वर्ष) बताते हैं, ''50 वॉट की बिजली सप्लाई गाँव वालों के साथ मजाक की तरह है। इतने कम में तो मोबाइल चार्ज होने में बहुत समय लगता है।"

प्राइवेट कंपनियां भी कर रहीं बिजली पहुंचाने की कोशिश

गाँव में सौर ऊर्जा के जरिए बिजली पहुंचाने की कोशिश में कई प्राइवेट कंपनियां भी शामिल हैं। इस कड़ी में हरदोई के जलगाँव में निजी कंपनी ओएमसी ने एक ऐसा ही सौर ऊर्जा संयंत्र लगाया है। जिससे वह गाँव में लगे मोबाइल टॉवरों को बिजली देती है और उससे पैसा कमाती हैं। मोबाइल टावरों से बची बिजली को वह गाँव के लोगों को देती है। हर महीने 140 रुपए देकर वह एक बल्ब और एक मोबाइल चार्जिंग वाला सॉकेट देती है। 60 वॉट का कनेक्शन बहुत कम ही लोगों ने गाँव में ले रखा है लेकिन कनेक्शन लेने के लिए उन्हें 800 रुपए देने होते हैं। इसलिए करीब 400 घरों की आबादी वाले गाँव में केवल आठ लोगों ने ही कनेक्शन ले रखे हैं।

सबसे बड़ा सौर ऊर्जा संयंत्र गुजरात में

भारत में फिलहाल सबसे बड़ा सौर ऊर्जा संयंत्र गुजरात में लगा है जो 25 मेगा वॉट का है और गुजरात देश में सबसे बड़ा सौर ऊर्जा से बिजली उत्पादन करने वाला राज्य है। मोहन सिंह बताते है, अच्छी बात यह है कि संयंत्र का उद्घाटन करने जब मुख्यमंत्री आए तो उन्होंने गाँव को कई मूलभूत सुविधाओं की घोषणा की। इसके बाद से यहां सरकारी बिजली भी लग गई, लेकिन और जगहों की तरह आती नहीं है। क्षेत्र में कनेक्शन बीपीएल और एपीएल के आधार पर दिए जाने हैं। इसमें एपीएल को परिवार के आकार के हिसाब से दिए जा रहे हैं। छोटे परिवारों को 500 वॉट का कनेक्शन और बड़े परिवारों को 700 वॉट का कनेक्शन दिया जाना है।

 

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