बाबरी मस्जिद की जमीन के लिए “नो शिफ्ट, नो गिफ्ट”

Rishi Mishra | Mar 21, 2017, 19:58 IST
Supreme Court of India
लखनऊ। शरीयत में मस्जिद के लिए “नो शिफ्ट, नो गिफ्ट” का सिद्धांत लागू है। मतलब न मस्जिद की जगह बदली जा सकती है और न ही किसी तरह के उपहार में किसी अन्य को दी जा सकती है। मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड और बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी का भी राम मंदिर-बाबरी मस्जिद विवाद को लेकर ये ही स्टैंड है। ऐसे में इस मसले पर हिंदू संगठनों, सरकार और मुस्लिम पक्षकारों के बीच बात बनने की संभावना बहुत कम ही है।

भारतीय जनता पार्टी तो सुप्रीम कोर्ट के फैसले से बहुत अधिक उत्साहित है, मगर मुस्लिम पक्षकारों के बात करके बीच का रास्ता निकलेगा, इसकी संभावना बहुत कम है। बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी की ओर से इस बारे में साफ इन्कार कर दिया गया, कमेटी की ओर से स्पष्ट कहा गया है कि मस्जिद की भूमि का किसी भी हाल में समर्पण नहीं किया जाएगा।

कई बार आपस में बातचीत हो चुकी है जिसमें हर बार हमसे मस्जिद की जमीन सरेंडर करने को कहा जाता है। ये शरीयत के लिहाज से संभव नहीं है। हम ये जमीन नहीं दे सकते हैं। मस्जिद जहां थी, वहीं बन सकती है।
जफरयाब जिलानी, अधिवक्ता, बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी

2010 में जब हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने रामजन्म भूमि बाबरी मस्जिद भू- स्वामित्व विवाद में अपना फैसला सुनाया था, उसके बाद में भी ये बात आई थी कि, इस विवाद का बातचीत से हल निकाल लिया जाए। हाईकोर्ट ने तब विवादित स्थल के तीन हिस्से करके इनको बाबरी मस्जिद, रामजन्मभूमि और निर्मोही अखाड़ा के बीच तीन हिस्सों में बराबर बांट दिया जाए। इस फैसले के बाद में राजधानी के नदवातुल उलेमा परिसर में ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की मीटिंग हुई थी जिसमें कहा गया था कि मस्जिद की जमीन न तो देंगे और न ही मस्जिद की जगह बदली जाएगी।

भारतीय जनता पार्टी का स्पष्ट मत है कि, आपसी बातचीत और संवैधानिक दायरे में रहते हुए श्रीराम जन्मभूमि पर भव्य मंदिर का निर्माण किया जाए। सुप्रीम कोर्ट की अपील सराहनीय है। हम इसका स्वागत करते हैं। राम मंदिर किसी तरह की राजनीति नहीं करोड़ों हिंदुओं की आस्था का विषय है।
राकेश त्रिपाठी, प्रवक्ता, भाजपा

मतलब नो गिफ्ट-नो शिफ्ट जिसके बाद में मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने सुप्रीम कोर्ट में हाईकोर्ट के फैसले के बाद याचिका दायर की थी। इस याचिका की सुनवाई ही पिछले करीब साढ़े छह साल से सुप्रीम कोर्ट में लंबित है। जिस पर आखिरकार अब सुप्रीम कोर्ट ने सभी पक्षों से आपसी बातचीत से मसले का हल निकालने के लिए अपील की है। मगर बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी इस मसले पर पिघलने को राजी नहीं है।

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