छ्त्तीसगढ़ में आदिवासी अरहर या तुवर के पत्तों और दूब (दूर्वा घास) का रस समान मात्रा में तैयार करते हैं, इस रस की करीब 3-3 बूंद मात्रा को नाक में डालने की सलाह देते हैं। माना जाता है कि लगातार एक माह ऐसा करने से माईग्रेन उपचार में बेहद लाभ होता है।
छ्त्तीसगढ़ में आदिवासी अरहर या तुवर के पत्तों और दूब (दूर्वा घास) का रस समान मात्रा में तैयार करते हैं, इस रस की करीब 3-3 बूंद मात्रा को नाक में डालने की सलाह देते हैं। माना जाता है कि लगातार एक माह ऐसा करने से माईग्रेन उपचार में बेहद लाभ होता है।