ऐसे शुरू करें अच्छी कमाई वाला पोल्ट्री फार्मिंग का बिजनेस, यहाँ मिलेगी पूरी जानकारी

अंडे और चिकन की माँग बढ़ने से मुर्गी पालन (Poultry Farming) की तरफ लोगों का रुझान बढ़ा है। 'आमदनी बढ़ाएँ' के इस भाग में चलिए जानते हैं पोल्ट्री फार्मिंग प्रशिक्षण कार्यक्रम के बारे में।

Update: 2024-02-27 10:22 GMT

आप मुर्गी पालन से जुड़ा कोई व्यवसाय शुरु करना चाहते हैं, लेकिन समझ में नहीं आ रहा है कि कहाँ से शुरुआत करें?

परेशान मत होइए गाँव कनेक्शन के ख़ास सेगमेंट 'आमदनी बढ़ाए' में इसकी पूरी जानकारी दी जा रही है।

उत्तर प्रदेश के बरेली के इज्जतनगर में स्थित केंद्रीय पक्षी अनुसंधान संस्थान के प्रधान वैज्ञानिक डॉ एमपी सागर आज पोल्ट्री फार्मिंग प्रशिक्षण के बारे में जानकारी दे रहे हैं।

डॉ एमपी गाँव कनेक्शन से बताते हैं, "जब भी कोई भी बिनी किसी ट्रेनिंग के कोई रोज़गार शुरु करता है तो बहुत ज़्यादा चांसेस होते हैं कि उसे सफलता नहीं मिलती है। इसलिए हम यही सलाह देना चाहेंगे कि अगर आप कोई भी काम शुरू करने जा रहे हैं तो सबसे पहले उसके बारे में पूरी जानकारी हासिल कर लें।"


वो आगे कहते हैं, "देश में बहुत कम ही जगह है जहाँ पर आधिकारिक रुप से पोल्ट्री फार्मिंग का प्रशिक्षण दिया जाता है; केंद्रीय पक्षी अनुसंधान संस्थान उनमें से एक है। यहाँ पर कई तरह की ट्रेनिंग दी जाती है।"

ट्रेनिंग कार्यक्रम

केंद्रीय पक्षी अनुसंधान संस्थान में साल भर अलग-अलग तरह के प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। जिनमें ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों माध्यमों से शामिल हुआ जा सकता है।

1 - पोल्ट्री उत्पादन प्रबंधन पर लघु स्तरीय प्रशिक्षण कार्यक्रम

डॉ एमपी सागर बताते हैं, "जैसे कोई कम पढ़ा लिखा है तो उनके लिए ये ट्रेनिंग कार्यक्रम चलाया जाता है। इसके लिए हर तीन महीने यानी साल में चार बार ट्रेनिंग दी जाती है। बहुत आसान तरीके से पूरी प्रक्रिया सिखाई जाती है।

इसमें ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों माध्यमों में शामिल हुआ जा सकता है। एक बैच में 80 लोगों को शामिल किया जाता है। इसमें इनको होने वाली बीमारियाँ, इनके रहने के लिए घर, इनके लिए कौन सी सरकारी योजनाएँ चल रही हैं, इनकी जानकारी देते हैं।

2- स्वरोजगार के लिए कमर्शियल पोल्ट्री फार्मिंग उद्यमिता विकास कार्यक्रम

इस ट्रेनिंग कार्यक्रम में पोल्ट्री उत्पादों की लगातार बढ़ती माँग को पूरा करने के लिए पोल्ट्री फार्मिंग ट्रेनिंग में पोल्ट्री की नस्ल- मुर्गी (लेयर, ब्रायलर और बैकयार्ड), बटेर, गिनी फाउल, टर्की पालन की पूरी जानकारी देते हैं।

इसमें मुर्गी पालन से लेकर उसे बाज़ार में पहुँचाने तक की जानकारी दी जाती है। पाँच दिन के ट्रेनिंग कार्यक्रम में 50-60 लोग शामिल हो सकते हैं।

3- स्पेशल ट्रेनिंग प्रोग्राम

इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में अलग-अलग तरह के विशेष कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। जैसे कि बटेर पालन, गिनी फाउल पालन, टर्की पालन, बैकयार्ड पोल्ट्री फार्मिंग, कंट्रोल, ब्रॉयलर पालन, लेयर पालन, पोल्ट्री फीड व क्वालिटी पोल्ट्री प्रोसेसिंग व प्रोडक्ट टेक्नोलॉजी, पोल्ट्री रोग और जैव सुरक्षा उपाय, पोल्ट्री हैचरी, के लिए अलग-अलग ट्रेनिंग कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। छह दिवसीय ट्रेनिंग कार्यक्रम में 60 लोग शामिल हो सकते हैं।


ट्रेनिंग के बाद फार्म शुरू करने में मिलती है मदद

यहाँ से ट्रेनिंग लेने के बाद अगर आप अपना व्यवसाय शुरू करना चाहते हैं तो पूरी मदद की जाती है। जिसने कोर्स पूरा कर लिया है उसे सर्टिफिकेट दिया जाता है।

डॉ एमपी सागर कहते हैं, "पूरी ट्रेनिंग लेने वाले को सर्टिफिकेट देते हैं; जिसकी मदद से आप बैंक से लोन भी ले सकते हैं; वो हर जगह मान्य होता है।"

महिलाएँ और युवा भी हो रहे हैं शामिल

डॉ एमपी सागर कहते हैं, "ज़्यादातर किसान ही आते हैं, अभी कुछ वर्षों में युवा और महिलाएँ भी शामिल होने लगे हैं; ऑनलाइन प्रोग्राम की मदद से महिलाओं की भागीदारी बढ़ी है, अब तो बुजुर्ग भी शामिल होने लगे हैं।"

दूसरे देश के लोगों के लिए भी चलाए जाते हैं ख़ास कार्यक्रम

भारत ही नहीं, दूसरे देशों में रहने वाले लोगों के लिए कई कार्यक्रम चलाए जाते हैं। इसमें पोल्ट्री हैचरी प्रबंधन, पोल्ट्री पोषण और फीड प्रौद्योगिकी, पोल्ट्री प्रोसेसिंग और उत्पाद प्रौद्योगिकी, पोल्ट्री में कृत्रिम गर्भाधान, पोल्ट्री प्रोडक्शन के लिए बायोटेक्नोलॉजी टूल्स, जैसे कई कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।

इसमें शामिल होने के लिए पोल्ट्री उत्पादन में व्यावहारिक अनुभव के साथ कृषि/पशु विज्ञान/पशु चिकित्सा विज्ञान/जीव विज्ञान में स्नातक की डिग्री होनी चाहिए। साथ ही अंग्रेजी का ज्ञान होना चाहिए। इस में एक साथ पाँच लोग शामिल हो सकते हैं।

अधिक जानकारी के लिए यहाँ करें संपर्क

अगर आपको किसी भी तरह की जानकारी चाहिए तो केंद्रीय पक्षी अनुसंधान संस्थान के प्रधान वैज्ञानिक डॉ एमपी सागर से संपर्क कर सकते हैं।

फोन : 0581-2303223, 2301220, 2310023;

मोबाइल: +91- 7302186187, 9457395667

ईमेल: mpsagar59@rediffmail.com;cari_director@rediffmail.com

केंद्रीय पक्षी अनुसंधान संस्थान के अलावा आप देश के अलग-अलग राज्यों में स्थित इन संस्थानों और विश्वविद्यालयों में भी पोल्ट्री फार्मिंग का प्रशिक्षण ले सकते हैं -

  • केंद्रीय कुक्कुट विकास संगठन और प्रशिक्षण संस्थान (सीपीडीओटीआई), हेसरघट्टा, कर्नाटक
  • केंद्रीय कुक्कुट विकास संगठन (सीपीडीओ), मुंबई, महाराष्ट्र
  • केंद्रीय कुक्कुट विकास संगठन (सीपीडीओ), चंडीगढ़.
  • केंद्रीय कुक्कुट विकास संगठन (सीपीडीओ), भुवनेश्‍वर, ओडिशा
  • अखिल भारतीय समन्वित पोल्ट्री अनुसंधान परियोजना (एआईसीआरपी), हैदराबाद, तेलंगाना
  • आईसीएआर-केंद्रीय तटीय कृषि अनुसंधान संस्थान, गोवा
  • आईसीएआर-पोल्ट्री अनुसंधान निदेशालय (डीपीआर), हैदराबाद, तेलंगाना
  • आईसीएआर-राष्ट्रीय पशु आनुवंशिक संसाधन ब्यूरो (एनबीएजीआर), करनाल, हरियाणा
  • कर्नाटक पशु चिकित्सा पशु एवं मत्स्य विज्ञान विश्वविद्यालय (KVAFSU), बीदर, कर्नाटक
  • तमिलनाडु पशु चिकित्सा और पशु विज्ञान विश्वविद्यालय (तनुवास), चेन्नई, तमिलनाडु
  • केरल कृषि विश्वविद्यालय, त्रिशूर, केरल
  • केरल पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान विश्वविद्यालय (KVASU), पुकोडे, केरल
  • महाराष्ट्र पशु और मत्स्य विज्ञान विश्वविद्यालय (एमएएफएसयू), नागपुर, महाराष्ट्र
  • बिरसा कृषि विश्वविद्यालय, रांची, झारखंड
  • असम कृषि विश्वविद्यालय, खानापारा, गुवाहाटी, असम
  • महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (एमपीयूएटी), उदयपुर, राजस्थान
  • नानाजी देशमुख पशु चिकित्सा विज्ञान विश्वविद्यालय, जबलपुर, मध्य प्रदेश
  • सीएसके हिमाचल प्रदेश कृषि विश्वविद्यालय, पालमपुर, हिमाचल प्रदेश

पिछले भाग में बैकयार्ड पोल्ट्री फार्मिंग की विस्तार से जानकारी दी गई थी, अगले भाग में बैकयार्ड पोल्ट्री फार्मिंग में पाली जाने वाली नस्लों की जानकारी देंगे।

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