भारतीय मौसम विभाग का पूर्वानुमान, कई राज्यों में देर से पहुंचेगा मानसून

Update: 2020-04-15 04:15 GMT

भारतीय मौसम विभाग 15 अप्रैल को इस साल के पहले दक्षिण-पश्चिम मानसून का पूर्वानुमान जारी कर दिया। अपने पूर्वानुमान में मौसम विभाग ने कहा कि इस साल मानसून की पहली बारिश पांच जून से शुरू हो सकती है। वर्षा सामान्य रहने की उम्मीद है और जून से सितंबर तक 100 फीसदी (सामान्य) तक बारिश हो सकती है।

पांच जून से 13 सितंबर तक लगभग 100 फीसदी तक बारिश होने का बनुमान है। दूसरे चरण का पूर्वानुमान मई के अंतिम सप्ताह या जून के पहले सप्ताह में जारी होगा।

पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय में सचिव एम. राजीवन ने नई दिल्ली में एक प्रेसवार्ता के दौरान कहा कि आगामी मानसून सीजन में लंबी अवधि की बारिश का औसत शतप्रतिशत रहने का अनुमान है। आईएमडी के अनुसार, मानसून के दौरान 96 फीसदी से 104 फीसदी के बीच लंबी अवधि के औसत बारिश को सामान्य बारिश माना जाता है। यहां लंबी अवधि से मतलब पूरे मानसून सीजन से है जो जून से लेकर सितंबर तक रहता है।

दिल्ली में मॉनसून आने की तारीख 29 जून के बजाय 27 जून बताई गई है। वहीं मानसून दस दिन देरी से विदा होगा। ये बदलाव जलवायु में आ रहे परिवर्तनों के चलते देखे जा रहे हैं। वहीं केरल में मानसून के 1 जून तक पहुंच जाने की उम्मीद है। चेन्नई के लिए 4 जून, पंजिम 7 जून, हैदराबाद 8 जून, पुणे 10 और मुंबई 11 तारीख को मानसून की शुरुआत होगी।

चार महीने (जून-सितंबर) का दक्षिण-पश्चिम मानसून हर साल एक जून को केरल से शुरू होता है। लॉकडाउन और कोरोना के बीच देश की अर्थव्यवस्था के लिए ये पूर्वानुमान बेहद महत्वपूर्ण है। किसानों की नजरे भी अच्छे मानसून की ओर रहती हैं।

भारतीय मौसम विभाग (IMD) आज दोपहर एक बजे पूर्वानुमान जारी करेगा। वर्ष 2019 में भी आज के ही दिन मानसून पूर्वानुमान जारी किया गया था। दक्षिण-पश्चिम मानसून खरीफ की फसल जैसे धान, मोटे अनाज, दहलन और तिलहन के जरूरी होते हैं। ऐसे में जब लॉकडाउन से देश के किसान नुकसान उठा रहे हैं, अच्छी बारिश से उन्हें राहत मिल सकती है।

भारत में मानसून का समय एक जून से 30 सितंबर तक होता है लेकिन पिछले कुछ वर्षों में इसमें देरी आई है। अब देश के ज्यादातर हिस्सों में मानसून 15 जून के बाद सक्रिय हो पाता है।

भारतीय मौसम विभाग जून से सितंबर के बीच होने वाली मानसून वर्षा का पूर्वानुमान दो चरणों में जारी करता है। पहला पूर्वानुमान अप्रैल में जबकि दूसरा अनुमान जून में जारी किया जाता है। मौसम विभाग, मानसून पूर्वानुमान जारी करने के लिए स्टैटिसटिकल एंसेंबल कास्टिंग सिस्टम का इस्तेमाल करता है।


आईएमडी ने पिछले साल दीर्घावधि (Long Range Forecast) औसत की तुलना में 96% मानसून वर्षा की संभावना जताई थी। इसमें पांच फीसदी का एरर मार्जिन भी रखा गया था। चार महीनों के मानसून सीजन में औसतन 887 मिलीमीटर बारिश होती है, लेकिन पिछले साल इतनी बारिश नहीं हुई।


वर्ष 2012 से भारतीय मौसम विभाग आईएमडी ने डायनेमिकल ग्लोबल क्लाइमेट फोरकास्टिंग सिस्टम यानि सीएफएस का भी इस्तेमाल शुरू किया। जिसे मॉनसून मिशन के अंतर्गत मॉनसून का पूर्वानुमान जारी करने के लिए तैयार किया गया है।

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