छत्तीसगढ़ः नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में नक्सली हिंसा का असर, कुछ केंद्रों पर शून्य मतदान

हालांकि जो क्षेत्र नक्सल प्रभावित नहीं हैं, वहां पर लोग बड़ी संख्या में वोट के लिए बाहर आ रहे हैं।

Update: 2019-04-11 11:04 GMT
मतदान के लिए जाती महिलाएं (फोटो- मंगल कुंजाम)

- मंगल कुंजाम (कम्युनिटी जर्नलिस्ट, छत्तीसगढ़)

किरंदुल (छत्तीसगढ़)। छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित इलाकों में नक्सली हिंसा का असर दिख रहा है। जिसके कारण काफी कम संख्या में लोग मतदान के लिए आ रहे हैं। कुछ केंद्रों पर तो शून्य मतदान की भी खबर आ रही है।

आपको बता दें कि छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा में नौ अप्रैल को बीजेपी विधायक भीमा मंडावी की टुकड़ी पर नक्सलियों ने हमला कर दिया था जिसकी वजह से विधायक सहित चार सुरक्षाकर्मियों की मौत हो गई थी। इसके बाद नक्सलियों ने चुनाव के बाहिष्कार की भी घोषणा की थी। इस संबंध में नक्सलियों ने ग्रामीणों को चेतावनी भी दी थी। इसकी वजह से लोग कम संख्या में मतदान के लिए बाहर आ रहे हैं।

कि दंतेवाड़ा के जिस कुआकोंडा इलाके में विधायक को नक्सलियों ने विस्फोट कर उड़ा दिया था उस इलाके में पिछले विधानसभा में लोगो ने बढ़चढ़कर मतदान किया था। लेकिन इस बार नक्सलियों के बहिष्कार का बहुत अधिक असर देखने को मिल रहा है। दोपहर एक बजे तक पुरगेल, आलानार, गुमियापाल, हिरोली में इकाई की संख्या में वोट पड़े। वहीं पेरपा, समलवार, किलेपाल, टिकनपाल, बैलाडीला में भी मतदान प्रतिशत कम रहा।

क्षेत्र के कुछ ग्राम पंचायतों में नक्सली लगतार लोकसभा चुनाव का बहिष्कार करने की अपील कर रहे हैं। वे बैनर और पोस्टरों के माध्यम से इन चुनावों का विरोध कर रहे हैं। इन नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में पहले चरण का चुनाव कराने के लिए 80 हज़ार जवान तैनात किए गए हैं। हालांकि जो क्षेत्र नक्सल प्रभावित नहीं हैं, वहां पर लोग बड़ी संख्या में वोट के लिए बाहर आ रहे हैं। एक बजे तक 37 प्रतिशत मतदान की खबर है।


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